दुनिया में बढ़े हार्ट अटेक और फैल्योर केसेज, नयी तकनीकों से मिल रही है सफलता


दुनिया में बढ़े हार्ट अटेक और फैल्योर केसेज, नयी तकनीकों से मिल रही है सफलता

देश-विदेश के हृदय रोग विशेषज्ञों की कार्डियोलाॅजी समिट शुरू

 
Cardiac Summit in Udaipur Heart Health Information and public awareness

हृदय रोगों के कारण, निवारण और नयी उपचार तकनीकों के उपयोग को लेकर विचार -विमर्श करने के लिए लेकसिटी में दो दिवसीय हृदय रोग विशेषज्ञों का सम्मेलन शुरू हुआ।  छठी कार्डियक समिट का आयोजन हार्ट एंड रिदम सोसायटी एवं एपीआई उदयपुर, पारस हेल्थ और आईएमए उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

आयोजन चेयरमैन डाॅ. अमित खण्डेलवाल ने बताया कि उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट तथा विशिष्ट अतिथि आरएनटी मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल एवं नियन्त्रक डाॅ. विपिन माथुर रहे। पहले दिन के मुख्य वक्ता सिंगापुर के डाॅ. डेविड सिम रहे, उन्होंने हार्ट फैल्योर की विकट स्थितियों और उनसे बचाव के बारे में विचार रखे और कहा कि नयी तकनीकों का उपयोग बढ़ाने से अधिक लाभ हो सकता है। समिट के दूसरे दिन रविवार को फतहसागर की पाल पर आमजन को हृदय रोगों व उपचार के प्रति जागरूक करने के लिए दिल की बात दिल से कार्यक्रम का आयोजन होगा, जिसमें जुम्बा, सीपीआर और प्रेरणादायी सेशन होंगे।

डाॅ. अमित खण्डेवाल ने बताया कि सम्मेलन की शुरूआत ईको वर्कशाॅप से हुई, नई दिल्ली के डाॅ. अविनाश वर्मा के नेतृत्व में केस स्टडी पर आधारित ईसीजी प्रश्नोत्तरी हुई जिसमें चिकित्सकांे और रेजीडेंट्स ने भाग लिया। साइंटिफिक सेशन में  डायस्लीपिडेमिया पर जयपुर के डाॅ. राम चितलांगिया और मुम्बई के डाॅ. ब्रजेश कुंवर ने बात करते हुए कहा कि डिस्लिपिडेमिया कोलेस्ट्रॉल, कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, (एलडीएल-सी), ट्राइग्लिसराइड्स और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) जैसे लिपिड का असंतुलन है जो बाद में गंभीर हृदय रोगों को कारण बन सकता है।   डिस्लिपिडेमिया उपचार का लक्ष्य लिपिड स्तर को स्वस्थ स्तर तक कम करना है। यदि लिपिड स्तर मामूली रूप से बढ़ा हुआ है, तो  केवल आहार और जीवनशैली में संशोधन की आवश्यकता है, गंभीर स्थितियों में आपके कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के लिए दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। अनियमित दिल की धड़कन विषय पर नई दिल्ली के डाॅ. अविनाश वर्मा और डाॅ. वी.के. बहल ने कहा कि आमतौर पर दिल का तेजी से धड़कना या कम धड़कना, कमजोरी होना को मरीज नजरअंदाज करता है लेकिन समय पर जांच और उपचार नहीं करवाने से ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट फैल्योर जैसे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।  आट्रीयल फेब्रीलेशन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए चिकित्सकों को जागरूकता शिविरों का आयोजन करना चाहिए साथ ही नये उपचार विकल्पों को अधिक उपयोग में लेना चाहिए।

बढते हार्ट फैल्योर के केसेज, जागरूकता की कमी, उपचार विकल्पों का अभाव और आमजन तक गुणवत्तायुक्त उपचार प्रबंधन की आवष्यकता के विभिन्न पहलुओं पर नई दिल्ली के डाॅ. अनिल धाल, रायपुर के डाॅ. प्रशान्त अडवाणी, मुम्बई के डाॅ. निखिल परचुरे, सिंगापुर के डाॅ. डेविड सिम और वडोदरा के डाॅ. शोमू बोहरा महत्वपूर्ण विचार रखे। इन्होंने कहा कि हार्ट फैल्योर की स्थिति में प्राथमिक स्तर पर क्या किया जाए इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सकों और लोगों को अवेयर करना चाहिए अन्यथा मरीज की मृत्यु होने का खतरा रहता है।
डाॅ. अमित खण्डेवाल ने बताया कि प्रिवेन्टिव कोर्डियोलाॅजी की वर्तमान स्थिति और पूर्वानुमान पर कोटा के डाॅ. साकेत गोयल ने कहा कि समय के साथ हो रहे आविष्कारों को अपनाने की जरूरत है। पारम्परिक उपचार तकनीकें कारगत तो हैं लेकिन नवाचारों को अपनाने से अधिक अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। संबोधित करेंगे। हृदय रोगों की स्थिति में आधुनिक उपचार तकनीक टावी के उपयोग और सफलता के बारे में मुम्बई के डाॅ. हरीश मेहता और डाॅ. अमित खण्डेलवाल व्याख्यान देते हुए कहा कि आज देश और दुनिया में टावी तकनीक पर भरोसा बढ़ा है क्योंकि इसकी सफलता दर काफी अच्छी है और भविष्य में इसका उपयोग और भी बढ़ेगा।

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