गर्भवती महिलाओं में "क्रोमोसोमल असामान्यता" के लिए केवल उम्र ही इकलौता कारण नहीं- रेडक्लिफ लैब्स की शोध


गर्भवती महिलाओं में "क्रोमोसोमल असामान्यता" के लिए केवल उम्र ही इकलौता कारण नहीं- रेडक्लिफ लैब्स की शोध

362 में से नौ (2.48%) महिलाएं क्रोमोसोमोपैथी के लिए स्क्रीन पॉजिटिव पाई गईं

 
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क्रोमोसोमल विसंगतियों के लिए प्रीनेटल स्क्रीनिंग पर ग्राउंड-ब्रेकिंग रिसर्च

नई दिल्ली। भारतीय महिलाओं में डिलेवरी से पहले रिस्क का वैज्ञानिक डेटा तैयार करने की पहल रेडक्लिफ लैब्स ने की है। इसके लिए चार महीने तक रिसर्च किया गया गया। क्रोमोसोमल विसंगतियों को जानने के लिए डिलेवरी से पहले गर्भवती महिलाओं के सैम्पल लिए गए। रेडक्लिफ लैब्स के प्रयोगशाला निदेशक डॉ सोहिनी सेन गुप्ता के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम रिसर्च की। 

रिसर्च के लिए डिलेवरी से पहले 362 गर्भवती महिलाओं के सैम्पल लिए गए, जिसमें से 9 यानी 2.48% महिलाएं क्रोमोसोमोपैथी की स्क्रीनिंग में पॉजिटिव पाई गईं। डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम, और पटौ सिंड्रोम जैसे क्रोमोसोमल असामान्यताओं के साथ पैदा होने वाले भ्रूण के भविष्य को लेकर कुछ कहने के लिए पहली तिमाही के दौरान मैटरनल ड्यूल मार्कर स्क्रीनिंग पर रिसर्च को फोकस किया गया। हार्मोनल टेस्ट, अल्ट्रासोनोग्राफी डिटेल, मां और फेमिली बैक ग्राउंड और लेटिस्ट सॉफ़्टवेयर पर बने एल्गोरिदम एडिशन 6.3 का उपयोग किया।  रिसर्च टीम ने गर्भवती महिलाओं में स्क्रीन-पॉजिटिव और स्क्रीन- निगेटिव  की पहचान की, जिससे डॉक्टर गर्भावस्था के भविष्य के परिणामों को लेकर बता सके और निर्णय ले सके। 

जन्म दोषों पर संयुक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)  आई मार्च ऑफ डाइम्स (एमओडी) की विश्व रिपोर्ट के अनुसार, हर साल दुनियाभर में 7.9 मिलियन बच्चे में जन्म दोष वाले होते हैं, इनमें से 94% बच्चे मध्य और निम्न-आय वाले देशों के होते हैं। नवजात और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण होती है, जो 3.3 मिलियन है। 

नवजात की मौत में बड़ा कारण

भारत में नवजात की मृत्यु के 10 कारणों में से एक जन्मजात असामान्यताएं हैं। भारत में यह 1000 जीवित बच्चों में 61 से 69.9 के बीच है। भारत से मृत्यु दर के आंकड़ों को देखें तो 2017 में बच्चों में जन्म दोष से 16% मौत का आंकड़ा रहा है, यह बच्चे पांच वर्ष से कम उम्र के थे। विश्व स्तर पर देखें तो जन्म दोष से करने वाले नवजातों में 21% मामले भारत में हैं।

रोका जा सकता है विसंगति को

विशेषज्ञों को मानना है कि गर्भावस्था या क्रोमोसोमल असामान्यता की संभावना के बावजूद, गर्भावस्था के दौरान जन्मजात विसंगतियों का समय पर पता लग जाए तो उन्हें रोका जा सकता है। सभी गर्भवती महिलाओं को डिलेवरी से पहले एनटी अल्ट्रासाउंड के साथ या बिना सीरम स्क्रीनिंग के साथ-साथ कोरियोनिक विलस सैंपलिंग(सीवीएस या एमनियोसेंटेसिस जांच करानी चाहिए। ट्राइसॉमी स्क्रीनिंग से एन्यूप्लोइड भ्रूण विकसित होने में उच्च या निम्न जोखिम का पता लग जाता है। 

भारत में पहला रिसर्च

रेडक्लिफ लैब्स के संस्थापक धीरज जैन का कहना है, " रेडक्लिफ लैब्स का यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिप्रोडक्शन, कॉन्ट्रासेप्शन, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में पब्लिश हुआ है। भारत में अपनी तरह का पहला अनूठा रिसर्च पेपर है। बीते साल 23 मिलियन बच्चों को जन्म देन वाला भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यह दुर्भाग्य पूर्ण है कि भारतीय महिलाओं में डिलेवरी से पहले जोखिम को समझने के लिए कोई वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं है।" रिसर्च के निष्कर्षों में जोखिम को भ्रूण आयु पर निर्भर होने की वजाए कारणों को इकट्‌ठा कर उसको समझना मुख्य है। 

dr sohini sengupta

ऐसा माना जाता है कि 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की डिलेवरी में क्रोमोसोमल असामान्यताओं वाले बच्चे का जोखिम बढ़ जाता है, लेकिन रेडक्लिफ के रिसर्च में पता चलता है कि केवल उम्र ही क्रोमोसोमल असामान्यता का कारण नहीं होती। रिसर्च टीम ने पाया बीटा एचसीजी के हाई लेबल, पीएपीपी ए हार्मोन के लो लेबल,  हाई एनटी बैल्यू और नाक की हड्डी की स्थिति भ्रूण में पॉजिटिव क्रोमोसोमल विसंगति हाई रिस्क वाली होती है। 

ज्ञान की कमी को पूरा करेगा

प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सोहिनी सेनगुप्ता ने शोध के निष्कर्षों के बारे में बताते हुए कहा, "यह अध्ययन अद्वितीय है क्योंकि यह भारतीय महिलाओं में प्रसव पूर्व जोखिम मूल्यांकन में एक महत्वपूर्ण ज्ञान की कमी को खत्म करने वाला है। रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया के साथ उनके सहयोग से साधन cobas® 8000, और Elecsys® PAPP-A और Elecsys® मुक्त βhCG  से हम सटीक डेटा प्राप्त करने में अहम डेटा हासिल करने में कामयाब रहे। यह शोध डॉक्टरों को बेहतर निर्णय लेने और रोगी परिणामों में योगदान देगा।"

रिसर्च, नवाचार हमारी प्रतिबद्धता

रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया के चिकित्सा, वैज्ञानिक और नियामक मामलों के प्रमुख डॉ. संदीप सेवलिकर ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि महिलाओं को उनके जीवन के सभी चरणों में अनुरूप और समान स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों से लाभ मिले। इसलिए हम रिसर्च, संसाधन ओर नवाचार कर रहे हैं। रेडक्लिफ और डॉ. सोहिनी के साथ हमारा सहयोग प्रसव पूर्व देखभाल के क्षेत्र में रोगी के परिणामों में सुधार लाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम इस शोध में अपनी उन्नत तकनीकों का योगदान देकर खुश हैं, जिसमें महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने में कामयाब होंगे। डॉ. सोहिनी और उनकी टीम द्वारा क्रोमोसोमल विसंगतियों के लिए प्रसव पूर्व जांच को लेकर किया गया शोध कार्य, प्रसवपूर्व देखभाल के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। अध्ययन के निष्कर्षों में अनगिनत महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के जीवन को सुरक्षित करेगा। 

रेडक्लिफ लैब्स के बारे में

रेडक्लिफ लैब्स पूरे भारत में उन्नत परीक्षण लैब्स के साथ नियमित और विशेष परीक्षण मेनू दोनों के साथ एक व्यापक पोर्टफोलियो में सेवाएं उपलब्ध कराती है। ऑन डिमांड एक घंटे में होम कलेक्शन और उसी दिन रिपोर्टिंग रेडक्लिफ को सबसे अलग करती है। रेडक्लिफ लैब्स अपनी लैब्स और कलेक्शन सेंटर्स के विशाल नेटवर्क में 3500 प्लस टेस्ट उपलब्ध करा रही है। कंपनी ने एक मिलियन से अधिक भारतीयों की सेवा की है। हर दिन दो लाख से अधिक टेस्ट कर रहा है। टेस्ट पोर्टफोलियो में नियमित पैथोलॉजी परीक्षण, उन्नत अनुवांशिक जांच, प्रजनन स्वास्थ्य जांच, कैंसर और कल्याण/फिटनेस में अनुसंधान-आधारित डीएनए टेस्ट हैं। स्मार्ट रिपोर्ट जो समय से पहले और पुरानी बीमारियों को परिणाम देती हैं। कंपनी के पास इस समय पूरे भारत में 40 प्लस लैब्स और 1000 प्लस वेलनेस कलेक्शन सेंटर हैं। रेडक्लिफ की सभी लैब्स एनएबीएल और सीएपी के दिशानिर्देशों का पालन करती हैं।

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