उदयपुर। उदयपुर संभाग मुख्यालय के महाराणा भोपाल चिकित्सालय में चित्तौड़गढ़ जिले से इलाज के लिए आई साढ़े 5 वर्ष की तबस्सुम को नया जीवनदान मिला, पैरालाइज बेहोश अवस्था में आई तब्बसूम 4 माह बाद चलते-फिरते मुस्कुराते अपने घर को लौट आई तो उसके परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और यह सब संभव हुआ मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान योजना में।
एमबी अधीक्षक डॉ आर एल सुमन ने बताया कि पैरों से शुरू हुआ पैरालिसिस सांस नली तक पहुंचने के कारण यह बच्ची चल नहीं पा रही थी, सांस में तकलीफ के साथ अस्पताल में 4 महीने पहले भर्ती हुई गंभीर अवस्था में मरणासन्न बच्ची को वेंटिलेटर पर इलाज कर डॉक्टरों ने महंगा इलाज नि:शुल्क उपलब्ध कराकर जीवनदान बचाया।
अधीक्षक डॉ. सुमन, डॉ. बी एल मेघवाल, डॉ नीतू बेनीवाल की यूनिट में डॉक्टर्स की टीम ने लगातार मेहनत कर बच्ची को बचाया 39 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद करीब 3 महीने पैरालाइज रही और उसके बाद में थोड़ा थोड़ा हलचल से शुरू होकर बच्ची उठने बैठने लगी परंतु तीसरे महीने में बच्चे को सांस की नली में सिकुड़न से वापस से तकलीफ हुई कई बार बीच-बीच में वेंटिलेटर पर लेना पड़ा परंतु ट्यूब के द्वारा वेंटिलेशन दिया गया। श्वास नली में सिकुड़न ट्रैक यल स्टेनोसिस की सर्जरी अभी तक उदयपुर में नहीं की गई।
सर्जन डॉ नवनीत माथुर एवं डॉ. रेखा की टीम द्वारा मुंबई से पारस्परिक संबंधों से डॉ आशीष शर्मा को बुला करके पहली बार उदयपुर में ट्रैकयल रिसेक्शन एवं अनास्टोमोसिस किया गया। उसके बाद धीरे-धीरे ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब को बंद किया एवं बच्ची बोलने लगी डिस्चार्ज के समय बच्चे पूरी तरह बोली एवं चलना फिरना घूमना सभी के साथ बच्ची को डिस्चार्ज किया।
जीबीएस की बीमारी ज्यादातर वायरल इनफेक्शंस के बाद एक पैरालिसिस की बीमारी होती है जिसके कारण से पिछले 1 साल में 27 मरीज अस्पताल में भर्ती किए गए और एक बच्चे के अलावा सभी मरीज को बचाया गया, परंतु वेंटिलेटर लंबा चलने के बाद के कारण पहली बार ट्रैकिंयल अनास्टोमोसिस सर्जरी सफलता पूर्वक की गई इलाज के लिए इम्यूनोग्लोबुलीन की डोज डबल करके दी गई जिसकी कीमत करीब एक लाख रुपए होती है। मरीज का यह सब इलाज मुख्यमंत्री निशुल्क निरोगी राजस्थान के तहत संपूर्ण निशुल्क किया गया।
अधीक्षक डॉ सुमन ने बताया अस्पताल सर्व सुविधा युक्त संपूर्ण है, अभिभावक मरीज को लेकर इधर-उधर अंधविश्वासों में समय खराब नहीं कर समय पर अस्पताल लाएं जिससे उनको बेहतर से बेहतर इलाज प्रदान कर बीमारी से निजात दिलाई जा सके।
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