उदयपुर 5 सितंबर 2024। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, जिसे आमतौर पर पीसीओएस के नाम से भी जाना जाता है, महिलाओं में होने वाली एक गंभीर समस्या है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में प्रजनन आयु की अनुमानित 8-13% महिलाएं पीसीओएस से प्रभावित हैं। इस समस्या के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से प्रत्येक वर्ष सितंबर माह में पीसीओएस जागरूकता माह मनाया जाता है। इसी क्रम में राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय में प्राणीशास्त्र स्नातकोत्तर पारिषद के तत्वावधान में सेमिनार आयोजित हुआ।
आयोजन सचिव डॉ मीनाक्षी माहुर ने बताया कि सेमीनार में मुख्य वक्ता डॉ के आर शर्मा, एंड्रोलॉजिस्ट एवं प्रोफेसर एमेरिटस, पेसिफिक मेडिकल कॉलेज बेदला एवं हॉस्पिटल तथा डॉ आकांक्षा शर्मा, आयुर्वेद चिकित्सक, ने छात्राओं को पी सी ओ एस जागरूकता माह मनाने का मकसद बताया तथा इस समस्या के प्रति जागरूकता और एक सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
सेमिनार समन्वयक डॉ कानन सक्सेना ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि छात्राओं से संवाद करते हुए पाया कि वे पी सी ओ एस की समस्या से ग्रसित हैं , इस कारण सेमिनार का आयोजन किया गया है। सेमीनार में महाविद्यालय की 135 छात्राओं, शोधार्थियों तथा संकाय सदस्यों ने भाग लिया। प्राचार्य डॉ दीपक माहेश्वरी ने विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि इस सेमिनार से छात्राओं में जागरूकता बढ़ेगी।
सेमिनार के प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ के. आर. शर्मा ने शरीर मे जनन हॉर्मोन की कमी व अधिकता से होने वाली शारीरिक समस्याओं के बारे मे समझाते हुए छात्राओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया। द्वितीय तकनीकी सत्र में डॉ आकांक्षा शर्मा ने आयुर्वेद की महत्ता का महत्व बताते हुए कहा कि पीसीओएस जागरूकता माह का उद्देश्य पी सी ओ एस से प्रभावित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करना और उनके लक्षणों को दूर करने के साथ-साथ मधुमेह, हृदय रोग, फैटी लिवर रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम को रोकने और कम करने में मदद करना है। डॉ आकांक्षा ने पथ्य अपथ्य आहार और विहार के बारे मे एवं वात, पित्त और अम्ल की शरीर में महत्ता को बताते हुए पी सी ओ एस को नियंत्रित करने के उपायों की जानकारी देते हुए जीवन में योग व निद्रा की उपयोगिता बताई।
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