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100% FDI: चायनिज़ कम्पनीयों का भारत में प्रवेश हुआ तो उनके आगे देशी कम्पनियों का टिकना मुश्किल- फोर्टी

स्थानीय स्तर पर जहाॅ उद्योग आज भी एसी समस्याओं से जुझ रहे हैं राष्ट्रिय स्तर पर भी कुछ समस्याएं हैं। हाल हीं में सरकार नें शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजुरी दी। पहले सौ फिसदी एफडीआई पर तीस फिसदी कच्चा माल भारतीय बाजार से लेना अनिवार्य था लेकिन अब यह प्रावधान भी समाप्त कर दिया गया हैं इससे भारतीय उद्योग को दोतरफा नुकसान होग। आने वाले सालों में छोटे देशी व्यापारी तो खत्म हीं हो जाएगें और सुस्थापित बड़ी कम्पनीयों भी इसके कुप्रभाव से बच नहीं पाएगी। करीब सभी अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों में चीन कि हिस्सेदारी बढ़ी हैं। यदि चायनिज़ कम्पनीयों का भारत में प्रवेश हुआ तो उनकी उग्र व्यापारीक रणनीति के आगे देशी कम्पनियों का टिकना मुश्किल होगा।

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100% FDI: चायनिज़ कम्पनीयों का भारत में प्रवेश हुआ तो उनके आगे देशी कम्पनियों का टिकना मुश्किल- फोर्टी

फैडरेशन आॅफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (फोर्टी) के प्रदेशाध्यक्ष श्री सुरेश अग्रवाल ने सम्भागीय अध्यक्ष श्री प्रवीण सुथार के साथ उदयपुर के औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा किया। उद्यमियों एवं एसोसिएशन अध्यक्षों से मुलाकात कि और विचार विमर्श किया। प्री इंजीनियरड बिल्डींग कम्पनी लोटस हाई टेक इंडस्ट्री भी विज़िट कि कम्पनी कि गुणवता, कार्यशैली एवं कार्य वातावरण देख बहुत प्रभावित हुए और कहा कि उदयपुर के उद्यमियों में राष्ट्रिय हीं नहीं अन्र्तराष्ट्रिय स्तर तक उद्योग को बढ़ाने कि क्षमता और उत्साह हैं। लेकिन औद्योगिक भुमि एवं आधारभुत सुविधाओं कि कमी हैं जिसे उन्होने उद्योग विकास में एक बड़ी बाधा बताया।

गुजरात में उद्योगो के विकास हेतु औद्योगिक भुमि एवं आधारभुत सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं लेकिन राज्य सरकार में उद्योग विकास के प्रति इस तत्परता का अभाव हैं। सरकार को यहाॅ और औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करना चाहिए। इससे उद्योगो कि स्थापना होगी, रोजगार बढ़ेगा साथ हीं सरकार कि आय भी बढ़ेगी।

स्थानीय स्तर पर जहाॅ उद्योग आज भी एसी समस्याओं से जुझ रहे हैं राष्ट्रिय स्तर पर भी कुछ समस्याएं हैं। हाल हीं में सरकार नें शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (100% FDI) को मंजुरी दी। पहले सौ फिसदी एफडीआई पर तीस फिसदी कच्चा माल भारतीय बाजार से लेना अनिवार्य था लेकिन अब यह प्रावधान भी समाप्त कर दिया गया हैं इससे भारतीय उद्योग को दोतरफा नुकसान होग। आने वाले सालों में छोटे देशी व्यापारी तो खत्म हीं हो जाएगें और सुस्थापित बड़ी कम्पनीयों भी इसके कुप्रभाव से बच नहीं पाएगी। करीब सभी अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों में चीन कि हिस्सेदारी बढ़ी हैं। यदि चायनिज़ कम्पनीयों का भारत में प्रवेश हुआ तो उनकी उग्र व्यापारीक रणनीति के आगे देशी कम्पनियों का टिकना मुश्किल होगा।

हमारा मानना है कि सरकार का यह निर्णय देशी व्यापार एवं उद्योग के लिए घातक साबित होगा इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए। यदि इसे लागु किया भी जाए तो कम से कम पचहत्तर फिसदी कच्चा माल भारतीय बाजार से लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि देशी कम्पनियों को इससे कुछ राहत और संरक्षण मिलें।

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