तीन दिवसीय 16वाँ दाऊदी बोहरा विश्व सम्मेलन 14 से उदयपुर में

तीन दिवसीय 16वाँ दाऊदी बोहरा विश्व सम्मेलन 14 से उदयपुर में  
 

सुधारवादी आंदोलन में विगत 50 सालों घटित महत्वपूर्ण घटनाओं पर आधारित कलैंडर का होगा विमोचन
 
तीन दिवसीय 16वाँ दाऊदी बोहरा विश्व सम्मेलन 14 से उदयपुर में
कम्युनिटी के वरिष्ठ सदस्य कमाण्डर मंसूर अली बोहरा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में बोहरा यूथ आंदोलन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना हैं। समाज में कई परम्पराएं हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जो जिन्हें प्रगतिशील समाज स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सैयदना को समाज के हर सदस्य की जान-माल का मालिक माना जाता है, जबकि प्रगतिशील समाज कहता है कि जान का मालिक तो अल्लाह ही है। 

उदयपुर। सेंट्रल बोर्ड ऑफ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी, सुधारवादी दाऊदी बोहरा जमाअत और बोहरा यूथ संस्थान उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय 16वां दाउदी बोहरा विश्व सम्मेलन 14 फरवरी से टाउनहाॅल स्थित सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित किया जायेगा। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों के सुधारवादी बोहरा सदस्यों के अलावा अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैण्ड, कुवैत, केन्या, यूएई (दुबई), ओमान (मस्कट), कतर आदि देशों से बड़ी संख्या में सुधारवादी समुदाय के लोग भाग लेंगे। 

50 वर्षो से रूढ़िवादिता के खिलाफ जारी है सुधारवादीयो का आंदोलन,   

दाऊदी बोहरा (बोहरा यूथ) शिया मुस्लिम बोहरा समुदाय का वह धड़ा है जिसे प्रगतिशील कहा जाता है और जो बरसों से मृत्यु के बाद धर्मगुरु के रुक्के और रजा जैसी प्रथा के खिलाफ आवाज उठा रहा है। इस विश्व सम्मेलन में समाज में व्याप्त रूढ़ीवादी परम्पराओं को छोड़ समय के साथ उचित दिशा में समाज को आगे बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। 
कम्युनिटी के वरिष्ठ सदस्य कमाण्डर मंसूर अली बोहरा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में बोहरा यूथ आंदोलन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना हैं। समाज में कई परम्पराएं हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जो जिन्हें प्रगतिशील समाज स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सैयदना को समाज के हर सदस्य की जान-माल का मालिक माना जाता है, जबकि प्रगतिशील समाज कहता है कि जान का मालिक तो अल्लाह ही है। 
बोहरा ने बताया कि इस सुधारवादी आंदोलन से जुड़े लोगों को कई समस्याएं भी झेलनी पड़ी हैं और अब भी झेल रहे हैं। कई जगहों पर मृत्यु के बाद उनके विरोधी देह को दफनाने नहीं देते हैं। ऐसे में मुम्बई या अन्य स्थानों से बोहरा यूथ सुधारवादी आंदोलन से जुड़े लोग मृत्योपरांत देह को उदयपुर लाते हैं और उनका अंतिम संस्कार उदयपुर के कब्रस्तान में किया जाता है। 
 

दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता मंसूर अली ओड़ा वाला ने बताया कि इस विश्व सम्मेलन के मुख्य अतिथि ख्यात लेखक प्रोफेसर अपूर्वानंद एवं विशिष्ठ अतिथि राजनैतिक टिप्पणीकार, लेखक एवं सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेकुलरिज्म के अध्यक्ष प्रोफेस्सर राम पुनियानी होंगे।  उन्होंने बताया की सम्मेलन की व्यापक तैयारियों के लिए साहित्कारों, लेखकों, शिक्षाविदों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक 25 सदस्यीय स्वागत समिति भी बनाई गई है।

सम्मेलन के संयोजक अनीस मियाँजी ने बताया की स्थानीय सुखाड़िया रंगमंच पर सम्मेलन के पहले दिन 14 फरवरी को उद्घाटन सत्र में प्रतिष्ठित डॉ. असगर अली इंजीनियर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड साहित्यकार के. पी. रम्माणुन्नी को दिया जायेगा। इसके अलावा कनाड़ा के लेखक-पत्रकार शौकत अजमेरी और उदयपुर की डॉ. जैनब बानू द्वारा बोहरा सुधारवादी आंदोलन पर लिखित पुस्तकों के विमोचन के अलावा इस अवसर पर बोहरा सुधारवादी आंदोलन में विगत 50 सालों घटित महत्वपूर्ण  घटनाओं पर आधारित कलैंडर का भी लोकार्पण किया जायेगा। 

उन्होंने बताया कि रात्रि में कौमी एकता पर कवि सम्मेलन-मुशायरे का भी आयोजन किया जायेगा। जिसमें शहर और राज्य के प्रतिष्ठित कवि, शायर अपने कलाम प्रस्तुत करेंगे।

दूसरे दिन बोहरा जमात खाना में बोहरा सुधारवादी आंदोलन पर प्रदर्शनी लगाई जायेगी,जो आम जन के लिए दो दिन तक खुली रहेगी। दूसरे दिन के सत्र में देश-विदेश से आये बोहरा सुधारवादी प्रतिभागियों द्वारा अपने क्षेत्र में किये गये कार्यों पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किये जायेंगे।

तीसरे दिन बोहरा सुधारवादी आंदोलन की भविष्य की रुपरेखा तैयार करने के अलावा समाज और देश की ज्वलंत समस्याओं और अन्य सामाजिक, राजनैतिक कुरीतियों के विरुद्ध प्रस्ताव पारित किये जायेंगे। इसी दिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी की कार्यकारिणी के चुनाव के साथ सम्मेलन का समापन होगा। इस विश्व सम्मेलन के साथ ही बोहरा सुधारवादी आंदोलन के विगत दो वर्षीय स्वर्ण जयंती समारोह का भी समापन हो जायेगा।

क्या है बोहरा सुधारवादी आंदोलन 

बोहरा सुधारवादी आंदोलन 70 के दशक से समाज के जागरूक लोगो द्वारा धर्म के नाम पर किये जा रहे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक शोषण के खिलाफ मेवाड़ की धरती उदयपुर से एक आंदोलन शुरू किया गया था।  इस आंदोलन का उद्देश्य मूलभूत धार्मिक उसूलो को परिवर्तित करना नहीं था बल्कि धर्म के नाम हो रहे आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक अत्याचारों व् शोषणों से कौम के आमजन को मुक्ति दिलाना था। धर्म के नाम पर एकत्र धन (सबील, फितरा, ज़कात) का हिसाब माँगना, सैयदना साहब द्वारा प्रत्येक कार्य के पहले रज़ा (अनुमति) की पाबन्दी से छुटकारा और गैर ज़रूरी पाबंदियों से छुटकारा दिलवाना भी इस आंदोलन की प्रमुख मांग थी। 

उक्त न्यायोचित मांग को सैयदना साहब का कार्यालय जिसे "कोठार" के नाम से जाना जाता है, कोठार ने सुधारवादियों को धर्म विरोधी घोषित कर उन लोगो के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार की घोषणा कर दी। 

सामाजिक बहिष्कार एक बोहरा सदस्य के लिए क्रूर हथियार है, जिसके फ़लस्वरूप उस व्यक्ति को समाज के किसी आयोजन में शामिल नहीं किया जाता। बहिष्कृत व्यक्ति से रोटी बेटी का रिश्ता भी नहीं रखा जाता यहाँ तक की उससे कोई बातचीत भी नहीं कर सकता। सामजिक तौर पर बहिष्कृत व्यक्ति किसी मस्जिद, दरगाह और धार्मिक स्थल पर नहीं जा सकता। यहाँ तक की मरने के बाद उसे किसी कब्रिस्तान में दफनाने भी नहीं दिया जाता है। इसी क्रूरता के चलते पिता-पुत्र, माँ-बेटी, और भाई भाई में अलगाव पैदा हो गया। यह सब अमानवीय और अलोकतांत्रिक त्रासदी सुधारवादियों को भोगनी पड़ रही है। देश की आज़ादी के 70 साल बाद आज भी इस तकनिकी और वैज्ञानिक युग में इस मध्ययुगीन तयाचारो को भोगने को अभिशप्त है। 

बोहरा सुधारवादी आंदोलन विगत 50 सालो में इस कुचक्र को तोड़ने, लोकतान्त्रिक और मानवीय अधिकार प्राप्त करने में लगातार प्रयासरत है। जबकि कट्टरपंथियों द्वारा इस आंदोलन को कुचलने के भरसक प्रयत्न किया जा रहा है। 

यध्यपि ऐसे सुधारवादी आंदोलन 19वी शताब्दी के अंत से 1970 तक अनेक बार हुए है, लेकिन हर बार विफल हो गए।  लेकिन 1970 से उदयपुर से शरू हुआ बोहरा यूथ आंदोलन एक व्यापक आंदोलन हो गया और आज तक लगातार चल रहा है।    
 

 

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