अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर सिटी पैलेसे में 56 फीट लम्बी फड़ प्रदर्शनी
उदयपुर, 17 मई 2019 महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर सिटी पैलेस म्यूजियम आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की जानकारी के लिए तथा मेवाड़ की आकर्षक फड़ कला को प्रोत्साहन की दिशा में फड पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी जनाना महल के लक्ष्मी चौक में आगामी 10 जून 2019 तक प्रदर्शित रहेगी।
उदयपुर, 17 मई 2019 महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर सिटी पैलेस म्यूजियम आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की जानकारी के लिए तथा मेवाड़ की आकर्षक फड़ कला को प्रोत्साहन की दिशा में फड पेंटिंग को प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी जनाना महल के लक्ष्मी चौक में आगामी 10 जून 2019 तक प्रदर्शित रहेगी।
शनिवार, 18 मई 2019 को अन्तरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर स्कूल के बच्चों के लिए सिटी पैलेस म्यूजियम में निःशुल्क प्रवेश रहेगा – इसके लिए बच्चों को स्कूल का पहचान पत्र लाना अनिवार्य है।
मेवाड़ की फड़ चित्रकारी 700 वर्षों से भी पुरानी कला है। यह कला राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र में खूब फली-फुली। इस कला में बनाई गई चित्रकारी को पढ़-गाकर सुनाए जाने का प्रचलन रहा है, जिसमें कथावाचक द्वारा लोक देवताओं व नायक-नायिकाओं की कहानियां और किवंदंतियों का वर्णन कपड़े पर बनी फड़ कला के चित्रों को समझाते हुए करता था। शाहपुरा की पारम्परिक फड़ चित्रकारी का भारतीय कला जगत ही नहीं वरन् विदेशों में भी बोलबाला रहा है।
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि मेवाड़ के बारह सौ वर्षों के इतिहास को संक्षिप्त रूप से फड़ कला में 56 फिट लम्बे केनवास पर उतारा गया है। जिसमें मेवाड़नाथ परमेश्वराजी महाराज एकलिंगनाथजी, महर्षि हारीत राशि और बापा रावल के वृतांत को दर्शाते हुए मेवाड़ की मुख्य-प्रमुख घटनाक्रमों के साथ ऐतिहासिक जानकारियों वाले दृश्यों को दर्शाया गया है। इसके साथ ही 56 फिट की इस पेंटिंग में मेवाड़ के प्रथम से लेकर 76वें एकलिंग दीवान को दर्शाया गया है। महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप और महाराणा राजसिंह जी के ऐतिहासिक घटनाक्रमों के चलते यह पेंटिंग बहुत ही आकर्षक बन पड़ी है। इस पेंटिंग में प्रभु द्वारिकाधीशजी और श्रीनाथजी के आगमन को भी दर्शाया गया है। यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों एवं विद्यार्थियों को भी रू-ब-रू करवाना है।
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फड़ चित्रकारी में प्रायः धार्मिक चित्रकारी ही होती है जो परम्परागत रूप से कपड़े या कैनवास के लम्बे टुकड़े पर बनाई जाती है। इस कला की विशेषता यह है कि इसमें काम में आने वाले रंग भी फूलों और जड़ी-बूटियों द्वारा तैयार किया जाता है। जो स्वयं चित्रकार तैयार करते है। राजस्थान के लोक-देवी-देवताओं के कथावृत्त, अवतारों और देश के कई महानायकों के जीवन से संबंधित चित्रण भी होता है। परम्परा के अनुसार भोपा, पुजारी-गायक अपने चित्रित फड़ को अपने साथ ले जाते हैं और चित्रित लोक देवताओं, मंदिर के रूप में समझाते हुए इसकी जानकारी से रूबरू करवाते हैं। 56 फिट लम्बी इस पेंटिंग को बनाने वाले देश के ख्यातनाम कलाकार मेवाड़ के शाहपुरा निवासी अभिषेक जोशी है, जिन्हें यह कला विरासत में अपने पुरखों से मिली।
प्रदर्शनी को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2019 पर आईसीओएम की थीम के अनुरूप बनाने का प्रयास किया गया है। इस अवसर पर फाउण्डेशन बच्चों को यहां आमंत्रित कर उन्हें फड़ की आकर्षक चुनिंदा कहानियों वाली पुस्तक के साथ एक एक्टिविटी शीट निःशुल्क प्रदान करेंगे, शीट पर स्टूडेंट अपनी पसंद के चित्रों को उतार सकते है और अपने साथ घर ले जा सकते है।
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