हम भारतीय होने पर गर्व महसूस करते हैं परन्तु आज भी हमारे समाज में जो अन्धविश्वास व अंधभक्ति विद्यमान है उससे बहुत से लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में डूंगरपुर से इलाज के लिए आयी बच्ची मीना कुमारी (परिवर्तित नाम) मात्र 9 वर्ष की आयु में पेशाब के रुक जाने की स्थिति में गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया। नेफ्रोलोजिस्ट डॉ. सूरज कुमार गुप्ता व उनकी टीम एवं यूरोलोजिस्ट डॉ. विश्वास बहेती एवं उनकी टीम द्वारा बच्ची का सफल उपचार कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया।
बच्ची की माँ ने जानकारी दी कि बच्ची पेशाब नही कर पा रही थी और साथ ही शरीर में सूजन बढ़ रही थी और बुखार नही उतर रहा था जिस कारण वह उसको मंदिरों और भोपों में ले जा रहे थे पर उसकी तबियत में कोई सुधार नही आया और तबीयत और ज़्यादा बिगड़ गयी थी।
डॉ. सूरज एवं डॉ. विश्वास ने बताया कि बच्ची की एक किडनी जन्म से ही खराब थी और एक किडनी जो कार्य कर रही थी उसमे एवं किडनी की नली यूरेटर में स्टोन की वजह से रुकावट आ गयी थी और किडनी ने काम करना बंद कर दिया था। जब बच्ची को गीतांजली हॉस्पिटल लगया गया उसकी हालत बहुत खराब थी, बच्ची का कुछ समय तक डायलिसिस किया गया। इसके पश्चात् बच्ची की हालत में स्थिरता एवं सुधार आने के बाद मूत्राशय के रास्ते से बच्ची के डी.जे. स्टेंट डाला गया जिससे कि किडनी का द्वार जो कि बाधित हो गया था वह खुल गया और किडनी ने सामन्य रूप से कार्य करना शुरू कर दिया और किडनी फंक्शन की जांच करने पर किडनी की रिपोर्ट भी अब सामान्य है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सब सुविधाएं उपलब्ध हैं। गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं। यूरो विभाग व नेफ्रोलॉजी विभाग की कुशल डॉक्टर्स के निर्णयानुसार रोगीयों का सर्वोत्तम इलाज निरंतर रूप से किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टा का परिचायक है।
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