बाल साहित्य बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक -डॉ दुलाराम सहारण

बाल साहित्य बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक -डॉ दुलाराम सहारण

 
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उदयपुर 6 नवम्बर। बाल साहित्य को विभिन्न आयाम प्रदान करने की दृष्टि से नगर में दो दिवसीय बाल साहित्यकार सम्मेलन के आज प्रथम सत्र में "समकालीन बाल कथा साहित्य का वर्गीकरण" विषय पर के के आशु द्वारा लिखित आलेख का वाचन रेखा लोढ़ा स्मित ने किया। इस सत्र की अध्यक्षता राजकुमार जैन "राजन" ने की। मुख्य अतिथि बाल वाटिका के संपादक डा. भेरू लाल गर्ग ने संबोधित करते हुए कथा साहित्य को परिवेश जनित बताया। इस सत्र में कुसुम अग्रवाल एवं अनीता शर्मा ने विचार व्यक्त किए। संचालन पंकज वीरवाल ने किया। पत्र वाचन का द्वितीय सत्र का विषय "विविधता भरे बाल उपन्यास" जिसकी प्रस्तुति डा.अंजीव "अंजुम" ने की। आपने अनेक बाल उपन्यासों का उदाहरण देते हुए उनकी विलक्षण विशेषताओं को रेखांकित किया। इस सत्र की अध्यक्षता टाबरटोली के संपादक दीनदयाल शर्मा ने की। संगीता सेठी सत्र की मुख्य अतिथि थी। विशिष्ट अतिथि किशोर कुमार निर्वाण थे। सत्र का संचालन विमला नागला ने किया। मधु माहेश्वरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

दूसरे दिन डॉ विमला भंडारी मंच पर अतिथियों का स्वागत किया ने मधु माहेश्वरी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद तृतीय सत्र में बच्चों का देश के सह संपादक प्रकाश तातेड़ ने आत्म कथात्मक बाल साहित्य विषय पर पत्र वाचन किया और कहा कि इस विधा में लेखन कम हो रहा है। इसे प्राथमिकता देना बाल साहित्यकारों का परम दायित्व है। आत्मकथात्मक बाल साहित्य विषय पर डा.सत्यनारायण सत्य ने कहा कि आत्मकथा जैसी उपेक्षित विधा को महत्ता तभी की जा सकती है जब इसे बच्चों तक पहुंचाया जाए। मुख्य अतिथि चांद मोहम्मद घोसी ने कहा कि आत्मकथा बच्चों का समग्र विकास करती हुई जिज्ञासा को शांत करने वाला वास्तविक आत्मकथात्मक बाल साहित्य है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में दिनेश पांचाल ने बताया कि आत्मकथात्मक विधा में "मैं" से हटकर समग्रता का रूप दिया जाना चाहिए। इस सत्र का संचालन आशा पांडेय ओझा ने किया।

चतुर्थ सत्र में सौराष्ट्र से सोमनाथ,जो भुला न सका, मस्ती की पाठशाला की समीक्षाएं पढ़ी गई। सौराष्ट्र में सोमनाथ यात्रा साहित्य विधा पुस्तक की समीक्षा विश्वनाथ भाटी ने की। जो भुला ना सका आत्मकथा विधा की इस पुस्तक की समीक्षा डॉ आशा शर्मा ने की। बाल कथा संग्रह मस्ती की पाठशाला की समीक्षा डॉ विमला भंडारी ने की। समापन सत्र की अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा.दुलाराम सहारण ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सहारण ने कहा कि बाल साहित्य पर देश की भावी पीढ़ी का भविष्य अवलंबित है। विशिष्ट अतिथि टीकम बोहरा "अनजान", डा.ज्योतिपुंज एवं हरीश बी शर्मा थे। इस अवसर पर सौराष्ट्र से सोमनाथ, जो भुला न सका, मस्ती की पाठशाला, किस्से जंगल के पुस्तकों एवं साहित्य गुंजन पत्रिका का लोकार्पण किया गया। संचालन रेखा लोढ़ा स्मित ने किया। डा. जगदीश भंडारी ने आगंतुक बाल साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया। सामूहिक राष्ट्रगान करने बाद समापन एवं विसर्जन हुआ।

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