डॉ. एस. आर रंगनाथन की जयंती धूमधाम से मनाई गई


डॉ. एस. आर रंगनाथन की जयंती धूमधाम से मनाई गई

पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के पितामह पदम श्री अवार्ड से सम्मानित डॉ. एस. आर रंगनाथन
 

उदयपुर 12 अगस्त 2022 । पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के पितामह पदम श्री अवार्ड से सम्मानित पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. एस. आर रंगनाथन की जयंती 12 अगस्त 2022 को धूमधाम से मनाई गई। ई-पब्लिक लाईब्रेरी नगर निगम अशोक नगर में आयोजित स्मराणंजलि कार्यक्रम में पुस्तकालय समिति अध्यक्ष चन्द्रकला बोल्या समिति, पुस्तकालयाध्यक्ष भगवत सिंह राव, सदस्य करणमल जारोली, अरविदं जारोली, डॉ सोनिका जैन, वरिष्ठ सहायक नीरज शर्मा ने रंगनाथन की तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर श्रद्धांजलि दी ।

इस अवसर पर चन्द्रकला बोल्या ने कहा कि डा. एस. आर. रंगनाथन का जन्म 12 अगस्त 1892 को शियाली. मद्रास ( वर्तमान चेन्नई) में हुआ था । रंगनाथन के योगदान का पुस्तकालय विज्ञान पर विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। रंगनाथन की शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, टीचर्स कॉलेज, सइदापेट में हुई थीं। मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में उन्होंने 1913 और 1916 में गणित में बी. ए. और एम. ए. की उपाधि प्राप्त की।

1917 में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटूर और 1921-23 के दौरान प्रेजिडेंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया । डा. एस. आर. रंगनाथन को भारतीय पुस्तकालय विज्ञान के जनक कहा जाता है।

भगवत सिंह राव ने कहा कि 1924 में रंगनाथन को मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता हासिल करने के लिए वह यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए । 1925 से मद्रास में। उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक इस पद पर बने रहे। 1945-47 के दौरान उन्होंने बनारस (वर्तमान वाराणसी) हिन्दू विश्वविद्यालय में पुस्तकालाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप मैं कार्य किया। 

1947-54 के दौरान उन्होंने दिल्लीविश्वविद्यालय में पढ़ाया। 1954-57 के दौरान वह ज्यूरिख स्विट्ज़रलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे। इसके बाद वह भारत लौट आए और 1959 तक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में अतिथि प्राध्यापक रहे। 1962 में उन्होंने बंगलौर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने और जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे।

1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। उनके जन्म दिन 12 अगस्त को पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस (Librarian's Day) मनाया जाता है।

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