GMCH न्यूरोलॉजी की गंभीर बीमारी “सुपर-रिफ्रैक्टरी स्टेटस एपिलेप्टिकस” का इलाज

GMCH न्यूरोलॉजी की गंभीर बीमारी “सुपर-रिफ्रैक्टरी स्टेटस एपिलेप्टिकस” का इलाज

मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत निःशुल्क इलाज

 
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गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में राजसमंद के रहने वाले 22 वर्षीय महेश सिंह (परिवर्तित नाम) का न्यूरोसाइंसेज की अनुभवी डॉक्टर्स की टीम ने अपने अथक प्रयासों से रोगी का सफल उपचार कर स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया। इस इलाज को सफल बनाने वाली टीम में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनीस जुक्करवाला, आई.सी.यू इन्टेन्सीविस्ट डॉ. शुभकरण शर्मा, डॉ सैय्यद जावेद व टीम शामिल है। रोगी का सम्पूर्ण इलाज मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत निःशुल्क किया गया। 

विस्तृत जानकारी

डॉ. अनीस जुक्करवाला ने सुपर-रिफ्रैक्टरी स्टेटस एपिलेप्टिकस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि न्यूरोलॉजी के इलाज में स्टेटस एपिलेप्टिकस सबसे जटिल बीमारी में से एक है। स्टेटस एपिलेप्टिकस एक ऐसी स्थिति है जहां सीज़र (दौरे) 5 मिनट से अधिक समय तक जारी रहते हैं और इंजेक्शन एंटी-सीज़र दवाओं (एएसएम) के साथ तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। जब स्टेटस एपिलेप्टिकस इंजेक्शन से नियंत्रित नहीं होता है, तो इसे सुपर-रिफ्रैक्टरी स्टेटस एपिलेप्टिकस के रूप में जाना जाता है।

महेश सिंह (परिवर्तित नाम) 22 वर्षीय रोगी को गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में तेज़ बुखार व बार-बार दौरे और बेहोशी की स्थिति में लाया गया। रोगी का ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण उन्हें तुरंत आईसीयू में लिया गया और आवश्यकतानुसार वेंटिलेट किया गया। रोगी को इंजेक्शन के रूप में एएसएम दिए गए लेकिन 2-3 डोज़ के बावजूद रोगी के दौरे नियंत्रित नहीं हो रहे थे। रोगी को मिडाज़ोलम शुरू किया गया जिसके बाद भी दौरे नहीं रुके। मिडाज़ोलम आईसीयू या आपात स्थिति में दौरे को समाप्त करने के लिए आमतौर इस्तेमाल की जाती है। 

इस बीच रोगी में स्टेटस एपिलेप्टिकस के लिए आवश्यक सभी परिक्षण किये गए, सभी परीक्षणों के बाद इसे दुर्दम्य दौरे और स्टेटस एपिलेप्टिकस के साथ वायरल एन्सेफलाइटिस का मामला सामने आया। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के न्यूरोसाइंस विभाग की टीम और आईसीयू टीम द्वारा रोगी के साइलेंट सीजर को समाप्त करने के लिए बेडसाइड निरंतर ई.ई.जी की गयी। साइलेंट सीजर को मेडिकल साइंस में इलेक्ट्रोग्राफिक सीजर कहा जाता है।

डॉ अनीस ने बताया कि ये साइलेंट सीजर( दौरे) बाहरी रूप से नहीं देखे जा सकते लेकिन मस्तिष्क के महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान पहुंचाने की उच्च क्षमता होती है। थियोपेंटोन कोमा की शुरूआत पर विचार किया गया क्योंकि उस समय कोई अन्य बेहतर विकल्प नहीं था। थियोपेंटोन एक बहुत शक्तिशाली एनेस्थेटिक दवा है। इसलिए, ऐसी दवाओं का उपयोग करने का अनुभव होना बहुत मायने रखता है। इसकी डोज़ को ई.ई.जी के आधार पर समायोजित किया गया। 

अन्य उपचार जैसे एंटी-वायरल, स्टेरॉयड, इम्यूनो-ग्लोबुलिन और एंटी सीज़र दवाएं भी दी गईं। ई.ई.जी में साइलेंट सीज़र अंततः समय पर हस्तक्षेप के बाद बंद हो गए, थियोपेंटोन को धीरे- धीरे कम करके बंद कर दिया गया, रोगी धीरे-धीरे होश में आ गया, ट्रेकियोस्टोमी जो लंबे समय तक वेंटिलेटर की आवश्यकता के कारण वायुमार्ग की रक्षा के लिए किया गया था, साथ ही रोगी में अच्छी तरह से सुधार के बाद बंद कर दिया गया। रोगी अभी स्वस्थ है और हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी है। 

रोगी के पिता ने कहा कि वह पेशे से किसान है वह अपने बच्चे की इस गंभीर बीमारी का खर्च वहन नही कर सकते थे ऐसे में मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉ अनीस जुक्करवाला व उनकी टीम द्वारा बच्चे का सफल इलाज होने पर और बच्चे को पुनः स्वस्थ पाकर उनका परिवार अत्यंत खुश है। 

गीतांजली हॉस्पिटल एक टर्शरी केयर मल्टी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल है यहाँ के न्यूरोसाइंसेज विभाग में सभी एडवांस तकनीके व संसाधन उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।

गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 16 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।

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