भारतीय लोक कला मण्डल में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत हुए भव्य कार्यक्रम

भारतीय लोक कला मण्डल में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत हुए भव्य कार्यक्रम

भारत की आन, बान और शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया

 
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16 अगस्त 2022, उदयपुर, भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मनाए जा रहे आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में अर्थात स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय लोक कला मण्डल में सर्व प्रथम प्रातः 8ः30 बजे संस्था के प्रांगण में विधिवत तरीके से भारत की आन, बान और शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया, साथ ही इस अवसर पर राष्ट्र भक्तिपूर्ण गीत भी भारतीय लोक कला मण्डल के कलारों द्वारा प्रस्तुत किये गए।

तत्तपश्चात सभी कलाकरों एवं अधिकारियों को मिठाई खि़लाई गई। इसके पश्चात जिला प्रशासन से विशेष अनुमति प्राप्त कर शाम 06 बजे से रात्रि 09 बजे तक फतहसागर की पाल पर गूंज बैंड के द्वारा भारतीय लोक कला मण्डल एवं मोंक रेस्टोरेंट के संयुक्त तत्वावधान में देश भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी गई जिसे शहर वासियों के साथ हज़ारों की संख्या में आए पर्यटकों ने सराहा और इन गीतों का आनन्द लिया। 

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर यह वर्ष पूरे भारत में आज़ादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है और इसके तहत गूंज बैंड के कलाकारों ने ‘‘देश भक्ति गीत एवं संगीत की अपनी प्रस्तुतियों से शहर वासियों का दिल जीत लिया। इस अवसर पर ज़ब कलाकरों ने ‘‘वतन मेरे आज़ाद रहे तु’’...., संदेशे आते है...., ‘‘वंदे मातरम’’... जैसे गीतों को गाया तो सैकड़ों की संख्या में आए शहरवासी एवं सैलानि अपने कदमों को रोक नहीं पाए और वे स्वयं भी कलाकरों के साथ नाचने एवं गाने लगे। इसी के साथ 15 अगस्त 2022 को ही सांय 08ः30 बजे भारतीय लोक कला मण्डल के गोविन्द कठपुतली प्रेक्षालय में गुलज़ार की तीन कहानियों पर आधारित नाटक गुलज़ार-नामा का मंचन मुम्बई की बिगुल संस्था द्वारा किया गया।

‘‘गुलज़ार-नामा’’ में तीन कहानियों का चुनाव अभिनेताओं की व्यक्तिगत उधेड़ बुन और चुनी हुई कहानियों से गुज़रते हुए सवाल जवाब से उकेरा गया प्रयास था जिसमें कलाकरों ने यह बताने का प्रयास किया कि लिखी हुई कहानियों का अपना एक कथन और अपना संसार होता है। जिसको केंद्र में स्थित करते हुए हर अभिनेता ने अपने जीवन, समाज और मुख्यतः अपनी कल्पना के दिशा-निर्देश से इन प्रस्तुतियों को न सिर्फ शब्दों से, बल्कि स्वयं कहानी और कहानी के साथ अपने संबंध से एक आयाम देने कि कोशिश की है। इन कहानियों की नाट्य प्रस्तुति के अहम अंग मूलतः (शारीरिक भाव,वस्तु विशेष,ध्वनि ) इत्यादि से एक सांचे में ढालने का प्रयास किया गया है।

एक अभिनेता, लेखक (कहानी) और दर्शक के बीच का पुल तो है परंतु लेखक का कथन भी हर दर्शक अभिनेता के रंग और उसके कहानी से संबंध द्वारा देखता है। इसी बात का अपना एक विशेष महत्व है और साथ ही साथ ‘‘गुलज़ार-नामा’’ की बुनियाद भी यही है। नाटक में मुख्य किरदारों में अमिताब, कृष्णा एवं संजय थे। यह कहानियाँ भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार पद्म भूषण, ग्रेमी अवार्ड विनर और अपने गीत जय हो के लिए आस्कर से सम्मानित श्री गुल्ज़ार साहब की तीन कहानियों ‘‘रावी पार’’ जिसमें अभिनय अमिताभ पाण्डे, ‘‘लेकिन’’ जिसमें अभिनय संजय जोशी एवं ‘‘मर्द’’ जिसमें अभिनय कृष्णा कुमार ने किया। इन तीनों ही कहानियों में अभिनेताओं ने अपने सशक्त अभिनय की छाप छोड़ने के साथ बंटवारे की त्रासदी तथा मानवीय संवेदना को गहराई से छुआ तथा दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। इन तीनों प्रस्तुतियों के पश्चात एक बार फिर से देश भक्तिपूर्ण गीत प्रस्तुत किये गए जिन पर दर्शक झूम उठे।

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