दो दिवसीय इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज एनजीओज कॉन्फ्रेंस-2022 का आगाज़

दो दिवसीय इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज एनजीओज कॉन्फ्रेंस-2022 का आगाज़ 

मेवाड़ ने 150 साल पूर्व बालिका शिक्षा की अलख जगाई

 
l

इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज एनजीओज कॉन्फ्रेंस-2022 का आगाज रविवार को मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की विशेष मौजूदगी में सिटी पैलेस के दरबार हॉल में हुआ। इससे पहले लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने देश-विदेश से आए मेहमानों का अतिथि देवोभवः की मेवाड़ी परम्परानुसार अभिवादन किया। इस अवसर पर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि जिस तरह सांस्कृतिक धरोहरों के सतत और समावेशी विकास के लिए काम किए जा रहे हैं उसी प्रकार ‘शिक्षा परमोधरम’ जैसे सुविचारों के साथ आज से 150 वर्षों पूर्व मेवाड़ के महाराणाओं ने बालिका शिक्षा की अलख सबसे पहले जगाई।

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ‘शम्भूरत्न पाठशाला‘ की स्थापना करवाई, जिसमें बालिकाओं के लिए जरूरी शिक्षण एवं शिक्षा की व्यवस्था करवाई। क्योंकि नारी से ही घर और घर से परिवार और परिवार से समाज और समाज से राष्ट्र चलता है। यदि महिलाएं शिक्षित होंगी तो परिवार में अच्छे संस्कारों के वातावरण में निरंतर बनी रहेगी। इस ऐतिहासिक दरबार हॉल में भारत के महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब ने न्युक्लियर साइंस पर एक सम्मेलन आयोजित किया था और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर अपने हस्ताक्षर किये।

उस सम्मेलन के बाद आज फिर एक महत्वपूर्ण काॅन्फ्रेंस का आयोजन हो रहा है जो हम सभी के लिए गौरव का विषय और ऐतिहासिक पल है। दरबार हॉल के ऐतिहासिक वृतांत को प्रस्तुत करते हुए मेवाड़ ने कहा कि वर्ष 1948 में मेरे पड़दादा महाराणा भूपाल सिंह जी ने इसी दरबार हॉल में मेदपाट (मेवाड़) की प्राचीन सत्ता को भारत माता के चरणारविन्दों में समर्पित करते हुए गणतंत्रीय सिद्धांतों पर चलने के लिए भारत की एकता हेतु समर्पित कर दिया था।

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों के समावेशी विकास के लिए प्रेरक शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ हमें हमारी प्राकृतिक विरासतों के संरक्षण पर भी कार्य करने चाहिए और हमें हमारी भौगोलिक सीमाओं से भी आगे जाकर विश्व की समस्त धरोहरों संरक्षण-संवर्धन के कार्य करने की आवश्यकता है। ऐसे आयोजनों के लिए मेवाड़ ने हर वर्ष के लिए उपस्थित संस्थाओं को स्वागत के साथ आमंत्रित कर अपना आग्रह प्रस्तुत किया। यूनेस्को नई दिल्ली कार्यालय के बैनर तले इंटरनेशनल इंफोर्मेशन एंड नेटवर्किंग सेंटर (आईसीएच) के सह-सहयोग से एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों के लिए दो दिवसीय ‘इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज एनजीओज कॉन्फ्रेंस-2022’ का
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के सहयोग से दरबार हॉल में किया जा रहा है। 

कार्यक्रम का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासतों को सतत और समावेशी विकास के लिए प्रेरक शक्ति प्रदान करना है। उद्घाटन सत्र में यूनेस्कों नई दिल्ली क्लस्टर कार्यालय के निदेशक एरिक फाल्ट ने उदयपुर राजपरिवार, दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विरासत के लिए कार्यरत विभिन्न संस्थाओं, विशेषज्ञों, उपस्थित सदस्यों आदि का अभिवादन करते हुए सांस्कृतिक धरोहरों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इन धरोहरों का संरक्षण एवं इनके व्यापक प्रचार प्रसार में कार्यरत गैर सरकारी संस्थाओं पर बात करते हुए एरिक ने कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों का अस्तित्व मानव समुदायों के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसी धरोहरों का जीवंत रहना और आगे से आगे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इसे वास्तविक रूप में संजोय रखना वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नितांत आवश्यक है। सांस्कृतिक धरोहरों का उन समुदाय विशेष के लोगों और कद्रदाताओं के बिना कल्पना करना कठिन है, ये धरोहरें इन्हीं से जीवंत है जिन्हें हम सभी को संरक्षण प्रदान करना है और निरंतर आगे बढ़ाना है। इनके सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र 2030 तक सांस्कृतिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, इनका आर्थिक विकास, टिकाऊ उत्पादन और अच्छी खपत जैसे मुद्दे पर अपना योगदान देगा।

समृद्ध सांस्कृतिक विरासतों के साथ उसकी प्रथाओं, परम्पराओं को जीवंत रखते हुए इनके समावेशी विकास के लिए हमें सामुदायिक भागीदारी निभाते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। मुझे विश्वास है यह सम्मेलन उसी दिशा में अग्रसर होगा। उन्होंने मंच पर आईसीएच की भागीदारी और सफल प्रयासों की भी सराहना की। राजस्थान राज्य सरकार के पर्यटन विभाग के क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय की उप निदेशक शिखा सक्सेना ने बधाई देते हुए सभी अतिथियों और संस्थाओं को भविष्य की शुभकामनाएं प्रदान की।  इसके साथ ही इंटरनेशनल इन्फोर्मेशन एंड नेटवर्किंग सेन्टर फोर इंटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज-ऐशिया प्रशांत क्षेत्र के डायरेक्टर जनरल किम जीसुंग ने संस्था का परिचय प्रस्तुत करने हुए आईसीएच की कार्यप्रणाली को प्रस्तुत किया साथ ही उन्होंने अब तक संस्था की मुख्य प्रमुख योजनाओं और सम्मेलनों आदि पर प्रजेंटेशन के माध्यम से संस्था कार्यो का ब्यौरा प्रस्तुत किया।

सत्र के शुभारंभ पर कदम की सह-संस्थापक पायल नाथ द्वारा सत्र का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन का मूल उद्देश्य सांस्कृतिक विरासतों को सतत और समावेशी विकास के लिए प्रेरक शक्ति पर विचार प्रस्तुत किए। सत्र में आग्रे महेश बाबू ने ‘मेरी कला मेरी पहचान’ में भारतवर्ष के केरल, छतिसगढ़, राजस्थान, उडीसा, कश्मिर, गोवा, कर्नाटक आदि राज्यों के पारम्परिक नृत्यों की झलकियों का प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया। जिसमें भारत की विभिन्नता में एकता की झलक प्रस्तुत की। सर्व शांति आयोग (साशा) की सुजाता गोस्वामी ने महिलाओं के लिए रोजगार की दृष्टि से पारंपरिक पेंटिंग, सिलाई, ज्वैलरी, वस्त्र-परिधान पर किए जा रहे कार्यो के साथ ही इनके लिए मार्केट चेन पर अपने कार्ययोजनाओं को सभी के साथ साझा किया।

लद्दाख कला एंव मीडिया संगठन की संस्थापक एवं कार्यकारी निदेशक मोनिशा अहमद ने लद्दाख के पारंपरिक नृत्य, विरासतों, संगीत, पेंटिंग, लोगों के पहनावें, कई महत्वपूर्ण प्रकाशनों के साथ साथ वहाँ की संस्कृति की विशेषता पर संस्थापन की कार्ययोजना प्रस्तुत की। किष्किंधा ट्रस्ट की संस्थापक एवं ट्रस्टी शमा पवार ने हम्पी वल्र्ड हेरिटेज साइट, हनुमान जन्मस्थली, सुग्रीव के निवास स्थल, रामायण में वर्णनानुसार वहाँ के परिदृश्यों आदि पर विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए उस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। जैसेलमेर की गुंसर लोक संगीत संस्थान के बक्श खां ने राजस्थान के मरु क्षेत्र के पारम्परिक संगीत, कालबेलिया नृत्य, गायन आदि पर संस्था द्वारा इस विद्या को बचाते हुए वर्तमान में बच्चों को शिक्षित किया
जा रहा है। जिसमें संस्था स्वयं अपने वाद्य यंत्रों को बनाना व उसके उपयोग व कला की शिक्षा व प्रेरणा प्रदान कर रही है पर अपनी योजनाएं प्रस्तुत की। इसके बाद प्रश्नोत्तर आदि का क्रम जारी रहा।

दूसरे सत्र में पूनम श्रॉफ, सीनियर कॉ-ओर्डिनेटर, सेल्फ एम्प्लोइड वुमेन्स एसोशिएशन ने संस्थाओं का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। सायरा बलूच और सखी बेन आहिर के साथ सेवा संस्थान के कार्यो की रुपरेखाएं बताई। इस तरह यूनेस्को के लिए अनन्या भट्टाचार्य, महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन की ओर से आशिश त्यागी ने सत्र को सुचारु रखते हुए यूनेस्को के लिए नई दिल्ली कार्यालय के निदेशक के एरिक फाल्ट, तालियाना कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की क्रिएटिव डायरेक्टर पीटर डीअस्कोली, क्राफ्ट रेविवल ट्रस्ट की संस्थापक ट्रस्टी रितु सेठी ने अपने प्रकाशन पर संक्षिप्त जानकारियां साझा की।

महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से सिटी पेलेस संग्रहालय का भ्रमण करवाते हुए अतिथियों को मेवाड़ के पारंपरिक आर्ट एंड क्राफ्ट के कलाकारों से रु-ब-रु करवाया।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  WhatsApp |  Telegram |  Signal

From around the web