कहने को तो हम 24वीं सदी में चल रहे हैं, हमारे पास दुनिया भर की latest टेक्नोलॉजी है, एक से एक हाई टेक एजुकेशन सोर्स हैं, लेकिन सोच !! अब भी वही पुरानी वाली है। आज भी हमारे यहाँ महिलाएं माहवारी यानि पीरियड्स से जैसी रूटीन बात पर खुल के कुछ नहीं कह पाती। मेडिकल स्टोर से पैड को काली थैली में कवर करके लाया जाता है, माहवारी के दिनों में किचन और मंदिर में हाथ नहीं लगाया जाता है। सीधे शब्दों में कहें, तो महीने के कुछ दिन महिलाओं के लिए बेहिसाब शर्म संकोच वाले होते हैं।
जींस और मिनी स्कर्ट में घूमने वाली so called मॉडर्न गर्ल भी पीरियड्स का नाम लेने में शर्माती है। इस शर्म और इस सोच को बदलने के लिए रेडियो सिटी ने शुरू की पैड यात्रा । जिसमें आरजे नूपुर ने पीरियड्स जैसे मुद्दे और उससे जुड़े तरह तरह के वहम पर खुल कर बात की, ताकि महिलाएं पीरियड्स को लेकर जागृत हों और पैड की ज़रूरत को समझें। नूपुर ने जब बताया कि ये बहुत नेचुरल प्रोसेस है, जिससे हर महिला हर माह गुज़रती है। इस दौरान होने वाले pain के साथ जो शर्म और संकोच का दर्द होता है, वो इस तकलीफ को और बढ़ा देता है।
आरजे नूपुर की मुहीम पैड यात्रा के साथ जुड़कर राजस्थानी और बॉलीवुड सिंगर रिनी चन्द्रा ने भी अपनी पीरियड स्टोरी share की, और बताया कि उन्हें भी किस किस तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान मशहूर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ मुकेश गुप्ता भी नूपुर से जुड़े और माहवारी के वक़्त स्वच्छता बरतने के बारे में खुल कर समझाया।
पैड यात्रा के दौरान नूपुर ने बहुत सारे लिस्नर्स से बात की, जहाँ बहुत से कॉलर्स ने बताया कि कैसे वे अभी भी इस नेचुरल प्रोसेस को शर्म की तरह समझ कर गलती कर रहे हैं, वहीँ कुछ लड़को ने बताया की लड़कियों को नार्मल फील कराने के लिए और लड़कियों की सहायता के लिए वह भी अपने बैग में एक सेनेटरी नैपकिन्स रखने लगे हैं। समाज को ऐसी जागृत सोच वाले युवाओं की ज़रूरत है। सात दिनों की इस पैड यात्रा का समापन निचले तबके की लड़कियों को माहवारी से जुडी जानकारी देने और उन्हें पैड वितरित कर की जाएगी।
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