एक्ज़ाॅटिक फूड की महक के साथ ‘‘डेज़र्ट स्टार्म में शास्त्रीय और लोक का मिश्रण
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘शरद रंग’’ व एक्जाॅटिक फूड फेस्टीवल का आगाज़ शास्त्रीय और लोक के अनूठे सामंजस्य और गायकी और वादन का वैविध्य के साथ हुआ। वहीं शिल्पग्राम का हाट बाजार विभिन्न व्यंजनों की खुशबू से महक उठा।शास्त्रीय, उपशास्त्रीय तथा कला के विभिन्न रंगों को कला प्रेमियों को परोसने तथा कला के प्रति लगाव पैदा करने के लिये केन्द्र द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ‘‘शरद रंग’’ का आगाज़ शाम को रंगमंच पर दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। पद्मभूषण और ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित पं. विश्व मोहन भट्ट, गज़ल गायक डाॅ. प्रेम भण्डारी, केन्द्र निदेशक फुरकान खान व अतिरि
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘शरद रंग’’ व एक्जाॅटिक फूड फेस्टीवल का आगाज़ शास्त्रीय और लोक के अनूठे सामंजस्य और गायकी और वादन का वैविध्य के साथ हुआ। वहीं शिल्पग्राम का हाट बाजार विभिन्न व्यंजनों की खुशबू से महक उठा।शास्त्रीय, उपशास्त्रीय तथा कला के विभिन्न रंगों को कला प्रेमियों को परोसने तथा कला के प्रति लगाव पैदा करने के लिये केन्द्र द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ‘‘शरद रंग’’ का आगाज़ शाम को रंगमंच पर दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। पद्मभूषण और ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित पं. विश्व मोहन भट्ट, गज़ल गायक डाॅ. प्रेम भण्डारी, केन्द्र निदेशक फुरकान खान व अतिरिक्त निदेशक सुधांशु सिंह ने गणपति की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
शरद रंग की पहली सांझ मुक्ताकाशी रंगमंच पर पं. विश्व मोहन भट्ट व उनके साथियों ने ‘‘डेज़र्ट स्टाॅर्म’’ में लोक और शास्त्रीय कला का अनूठे सामंजस्य से श्रोता दर्शकों को सम्मोहित सा कर दिया। मोहन वीणा वादक पं. भट्ट व उनके साथियों ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत लोक प्रिय माण्ड ‘‘केसरिया बालम’’ से की जिसमें मेाहन वीणा के साथ लोक गायक अनवर खां ने अपने सुमधुर गायन से दर्शकों को सम्माहित सा कर दिया।
इसके बाद कार्यक्रम में लोक गीत ‘‘बलम जी म्हारा’’ को सुरीले और मोहक ब्लैंडिंग के साथ प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात पहाड़ी भोपाली राग में लोक और शास्त्रीय वाद्य यंत्रों का अनूठा समागम देखने व सुनने को मिला। राग किडवानी में निबद्ध लोक गीत ‘‘हिचकी‘‘ दर्शकों को खूब रास आई। कार्यक्रम में लोक गीत ‘‘हेलो म्हारो’’ एक खूबसूरत बंदिश बन सकी। पं. विश्व मोहन भट्ट व उनके साथियों ने प्रस्तुति के आखिर में ‘‘मीटिंग बाय दी रिवर’’ में दर्शकों को संगीत का एक अनूठा स्वाद चखाया।
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डेज़र्ट स्टाॅर्म की प्रस्तुति में मोहन वीणा के जनक पं. भट्ट के साथ उनके सुपुत्र और सात्विक वीणा के जनक सलिल भट्ट ने सात्विक वीणा पर अपनी बंदिशों से रोमांचित सा कर दिया। इनके साथ तबले पर पं. राम कुमार मिश्रा ने जबरदस्त संगत की तथा लयकारी से प्रस्तुति को रोचक बनाया। इसके अलावा लोक कलाकार गोराम खां व कुटले खां ने प्रस्तुति को गाम्भीर्यपूर्ण बनाने में महत्ती सहयोग दिया।
एक्ज़ाॅटिक फूड फेस्टीवल: इससे पूर्व गुरूवार को दोपहर में फूड फेस्टीवल की शुरूआत हुई जिसमें कई शहर वासियों ने अमृतसरी नान, छोला कुलछा, बिहारी लिट्टी चोखा, साउथ इंडियन डिश डोसा, उतप्पा, वाहिद के बनाये लज़ीज़ व्यंजन, राजस्थानी तड़का आदि पर कई लोग व्यंजनों का रसास्वादन करते हुए नजर आये। दोपहर में ही बंजारा मंच पर एक ओर जहां लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुयों से दर्शकों को रिझाया वहीं उदयपुर के कलाकार राकेश झंवर व उनके साथियों के संगीत बैण्ड ने मधुर गीतों और धुनों से दर्शकों को लुभाया।
शरद रंग में आज: पांच दिवसीय शरद रंग के दूसरे दिन मध्यान्ह 12.00 बजे फूड फेस्टीवल ‘‘एक्जाॅटिक फूड’’ शुरू होगा तथा शिल्पग्राम परिसर में विभिन्न स्थानों पर लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। दूसरे दिन शाम को नई दिल्ली की प्रसिद्ध गायिका विधी शर्मा द्वारा सुगम संगीत में गीत, गज़ल व सूफी गीतों का गायन किया जायेगा।
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