आयड़-बेडच-बनास के समग्र सुधार की बने योजना
राज्य व केंद्र की जल् नीतियो में नदी बेसिन अथवा उपबेसिन को एक इकाई मानते हुए समग्र जल संसाधन प्रबंधन (आई डब्लू आर एम ) आधारित नदी सुध
राज्य व केंद्र की जल् नीतियो में नदी बेसिन अथवा उपबेसिन को एक इकाई मानते हुए समग्र जल संसाधन प्रबंधन (आई डब्लू आर एम ) आधारित नदी सुधार, संरक्षण की बात कही गई है। इसी सिद्धांत के आधार पर आयड़- बेडच- बनास के समग्र सुधार की एक समेकित योजना बननी चाहिए। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किये गए।
झील संरक्षण समिति के सहसचिव, पोलीटेक्निक प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा, चित्तौड़, अजमेर, जयपुर सहित राज्य के लगभग ग्यारह जिले आंशिक या पूर्ण रूप से बनास नदी बेसिन में आते हैं।
मेहता ने कहा कि आयड़ नदी बनास नदी की ही एक धारा है। बनास के सुधार के लिए पूरे बनास बेसिन को एक इकाई मानते हुए बेसिन में आने वाले जिलों की झीलों, तालाबों, बरसाती नदी नालों में प्रदूषण व अतिक्रमण को हटाने व वाटरशेड सुधार के समग्र व सम्मिलित प्रयास होने चाहिए ।
झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि बनास नदी गंगा नदी तंत्र का एक हिस्सा है। गंगा सुधार के लिए बनास सुधार जरूरी है। पालीवाल ने कहा कि आयड़- बेडच के विकास के साथ साथ सम्पूर्ण बनास बेसिन में जल् संरक्षण से गंगा नदी को पुनर्जीवन मिल सकेगा।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि जलनीति के अनुसार नदी बेसिन के समस्त नागरिकों व हितधारकों की नदी सुधार में अधिकतम भागीदारी होनी चाहिए। इससे अन्तर क्षेत्रीय विवाद खत्म होकर नागरिकों में भी परस्पर जुड़ाव बढ़ता है।
संवाद से पूर्व फतेहसागर अलकापुरी छोर पर झील स्वच्छता श्रमदान हुआ। श्रमदान में पॉलीथिन, पूजन सामग्री, शराब पानी की सेंकडो बोतले, निर्माण सामग्री, कपड़े, कट्टे, तस्वीरे, खाद्य सामग्री आदि को झील क्षेत्र से बाहर निकाला गया। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, रमेश चंद्र राजपूत, द्रुपद सिंह चौहान, राम लाल गहलोत, दुर्गा शंकर पुरोहित, देवेंद्र गिरी गुड्डू, दिगम्बर सिंह, तेज शंकर पालीवाल व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।
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