सांभर विभीषिका के पश्चात पूरे राज्य में सावधानी जरूरी

सांभर विभीषिका के पश्चात पूरे राज्य में सावधानी जरूरी

झील प्रेमियों ने दोहराया
 
सांभर विभीषिका के पश्चात पूरे राज्य में सावधानी जरूरी
रविवार को पीछोला बारी घाट पर हुए श्रमदान झील क्षेत्र से मरे हुए कबूतर, तोते, सांप एवं प्लास्टिक की बोतले, पॉलिथीन एवं तैरती हुई सड़ी गली पूजा व खाद्य सामग्री, नारियल को निकाला गया। 

उदयपुर, 1 दिसंबर 2019। यद्यपि झील सफाई के दौरान झील प्रेमी अन्य कचरे के साथ मृत पक्षियों को निकालते रहे हैं, लेकिन सांभर विभीषिका के पश्चात मृत पक्षी को देखते ही झील प्रेमियों की चिंता बढ़ जाती है। 

रविवार को पीछोला बारी घाट पर हुए श्रमदान झील क्षेत्र से मरे हुए कबूतर, तोते, सांप एवं प्लास्टिक की बोतले, पॉलिथीन एवं तैरती हुई सड़ी गली पूजा व खाद्य सामग्री, नारियल को निकाला गया। 

श्रमदान में रमेश चंद्र राजपूत ,अभिनव संस्थान से कुशल रावल, कुणाल कोष्टी और जल योद्धा देवराज सिंह सोलंकी, पल्लव दत्ता, सुमित विजय, ध्रुपद सिंह झील विकास प्राधिकरण के सदस्य ने तेज शंकर  पालीवाल एवं गांधी मानव कल्याण समिति से नंदकिशोर शर्मा ने भाग लिया। 

इस अवसर पर संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि सांभर झील में हजारों की संख्या में पक्षियों की मृत्यु के बाद अजमेर आनासागर व अन्य स्थानों से भी पक्षियों की मौत की खबरे आ रही है। अतः पूरे राज्य में मौत के कारक घातक जीवाणुओं की उपस्थिति की जांच होनी चाहिये।

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों में गत दिनों हुई मछलियों की मौत का कारण प्रदूषण का बढ़ना था। हर ऐसी दुर्घटना के पीछे पूरे कारणों की जांच होनी चाहिए।

गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि देशी प्रवासी पक्षियों का अवैध शिकार, पतंग के धागों में उलझ कर मरना भी चिंता का विषय है। इस पर नियंत्रण जरूरी है।

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