‘एंटी बायोटिक से प्रतिरोधकता का बढ़ना चिंता का विषय: डाॅ धीरज’

‘एंटी बायोटिक से प्रतिरोधकता का बढ़ना चिंता का विषय: डाॅ धीरज’

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल द्वारा ‘एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध के संदर्भ में स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण के प्रति जागरुकता’ विषयक सीएमई आयोजित की गई। इसमें वक्ताओं ने स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण पर रोकथाम एवं सुधार पर चर्चा की। उन्होंने रोगी के अस्पताल में रहने के समय को कम करने एवं समग्र सुधार पर जागरुकता दी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एंटी बायोटिक्स के उचित उपयोग पर केंद्रित था। साथ ही वैश्विक चुनौती रोगियों में बढ़ते एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध को कम एवं नियंत्रित करने पर विस्तार में चर्चा की गई।

 

‘एंटी बायोटिक से प्रतिरोधकता का बढ़ना चिंता का विषय: डाॅ धीरज’

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल द्वारा ‘एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध के संदर्भ में स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण के प्रति जागरुकता’ विषयक सीएमई आयोजित की गई। इसमें वक्ताओं ने स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण पर रोकथाम एवं सुधार पर चर्चा की। उन्होंने रोगी के अस्पताल में रहने के समय को कम करने एवं समग्र सुधार पर जागरुकता दी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एंटी बायोटिक्स के उचित उपयोग पर केंद्रित था। साथ ही वैश्विक चुनौती रोगियों में बढ़ते एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध को कम एवं नियंत्रित करने पर विस्तार में चर्चा की गई।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नियोनेटोलोजिस्ट डाॅ धीरज दिवाकर ने ‘एंटी माइक्रोबियल स्टीवर्डशिप’ पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए चिंता व्यक्त की और कहा कि हर रोगी अलग है, उसकी बीमारी अलग है, ऐसे में सही रोगी के लिए सही दवा का चयन करना और सही खुराक के साथ सही माध्यम को अपनाने की आवश्यकता है। चिकित्सा क्षेत्र में इस विधि अपनाने के तरीके को स्टीवर्डशिप कहते है। उन्होंने निर्धारित निर्देशों के अनुसार एंटी बायोटिक्स के उपयोग के प्रति प्रतिबद्धता पर बातचीत की।

उन्होंने यह भी बताया कि इंफेक्शन कंट्रोल की ग्लोबल एजेन्सी सेंटर फाॅर डिसीज़ कंट्रोल (सीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक यदि एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध की रोकथाम के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए तो साल 2050 तक साल में करीब 10 लाख लोगों की मौत केवल इंफेक्शन के कारण से होगी जो कैंसर से भी ज्यादा है।

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माइक्रोबायोलोजिस्ट एवं इंफेक्शन कंट्रोल ऑफिसर डाॅ उपासना भुम्बला ने संक्रमण पर रोकथाम एवं नियंत्रण पर जागरुकता दी। जनरल फिजिशियन डाॅ नवगीत माथुर ने रोगियों में एंटी बायोटिक्स के प्रतिरोध पर बातचीत की। साथ ही आईसीयू एवं ओटी स्टाफ को उचित हैंड हाईजीन पर जागरुक किया।

इस कार्यक्रम में गीतांजली मेडिकल काॅलेज के डीन डाॅ एफएस मेहता, गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली एवं चिकित्सा अधीक्षक डाॅ नरेंद्र मेागरा आदि मौजूद थे। डाॅ मेहता ने अपने वकतव्य में कहा कि चिकित्सकों को उनकी क्रियाविधि में क्वालिटी एवं संक्रमण पर नियंत्रण करने की जरुरत है। प्रतीम तम्बोली ने इस संदर्भ में प्रबंधन की जिम्मेदारियों पर बात की। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक हेल्थ केयर प्रोफेश्नल्स ने भाग लिया था।

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