नहीं रहे अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी वाजपेयी का आज शाम एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने शाम को बयान जारी कर बताया, 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 36 घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। हमने पूरी कोशिश की पर आज उन्हें बचाया नहीं जा सका।' वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। डॉयबिटीज़ के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी वाजपेयी का आज शाम एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने शाम को बयान जारी कर बताया, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 36 घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। हमने पूरी कोशिश की पर आज उन्हें बचाया नहीं जा सका।’ वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। डॉयबिटीज़ के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था। अटलजी के स्वास्थ्य में बुधवार से तेजी से गिरावट आई थी। इससे पहले एम्स ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत काफी खराब हो गई है। इसके बाद गुरुवार सुबह दूसरे मेडिकल बुलेटिन में उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद से ही अटल को देखने के लिए एम्स में नेताओं का तांता लग गया।
उल्लेखनीय है की बुधवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका हालचाल जानने एम्स पहुंचे थे। इसके बाद वह गुरुवार दोपहर फिर एम्स गए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेता पूर्व प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने गुरुवार को एम्स पहुंचे थे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी दो बार एम्स पहुंचे। इसके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री एम्स पहुंचे। इससे पहले वाजपेयी के रिश्तेदारों को भी एम्स बुला लिया गया था।
तीन बार बने प्रधानमंत्री
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 1996 से 1999 के बीच तीन बार पीएम चुने गए। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
वह 10 बार लोकसभा के लिए और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को ‘गुड गवर्नेंस डे’ के तौर पर मनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी पार्टी ही नहीं विपक्षी नेता भी उनकी बातों को तल्लीनता से सुनते थे और उनका सम्मान करते थे।
कभी अपनी कविताओं और भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले वाजपेयी स्वास्थ्य खराब होने के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए थे। 2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और तब से वह अपने घर पर ही थे। अटल बिहारी वाजपेयी को कई वर्षों से बोलने और लिखने में भी तकलीफ होती थी। वह किसी को पहचान भी नहीं पा रहे थे।
आखिरी बार उनकी तस्वीर साल 2015 में सामने आई थी जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उनके आवास पर जाकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था। डॉक्टर रणदीप गुलेरिया पिछले तीन दशकों से पूर्व पीएम वाजपेयी के निजी डॉक्टर हैं। एम्स में भी उनकी टीम वाजपेयी का इलाज कर रही थी।
डिमेंशिया से पीड़ित थे वाजपेयी
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डिमेंशिया (मनोभ्रांस ) नाम की बीमारी से भी लंबे समय से पीड़ित थे। डिमेंशिया किसी खास बीमारी का नाम नहीं है बल्कि यह ऐसे लक्षणों को कहते हैं जब इंसान की मेमरी कमजोर हो जाती है और वह अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाता। डिमेंशिया से पीड़ित लोगों में शॉर्ट टर्म मेमरी लॉस जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। ज्यादातर डिमेंशिया के केसों में 60 से 80 प्रतिशत केस अलजाइमर के होते हैं। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के मूड में भी बार-बार बदलाव आता रहता है। वे जल्दी परेशान हो जाते हैं या ज्यादातर वे उदास या दुखी रहने लगते हैं।
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