कैंसर जिसका नाम सुनते ही हताशा, तकलीफ एवं बेबसी का चित्र ज़हन में हो आता है, दिनेश की कहानी लगातार पीड़ा, परिवार की बेबसी अनगिनत शारीरिक व मानसिक तकलीफे एवं बार बार सर्जरी के साइड इफेक्ट्स होने के बावजूद कैंसर जैसी बीमरी को हराकर जीने की प्रबल इच्छा शक्ति का होना जिसमे उनकी चिकित्सकीय सहायता कर गीतांजली कैंसर सेंटर स्वयं को गोरवान्वित अनुभव कर रहा है।
सितंबर 2013 में दिनेश जी को आभास हुआ कि उनका मुंह कम खुल रहा है ऐसे में बायोप्सी द्वारा चेकअप कराने पर पता चला कि मुंह में ट्यूमर है, ऐसे में तुरंत कमांडो सर्जरी द्वारा बाये जबड़े को बाहर निकाल दिया गया। इसके पश्चात जनवरी 2014 में उन्हें बायोप्सी करवाई गई जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई एवं दोबारा कमांडो सर्जरी द्वारा होठ के अंदर की गांठ को निकाला गया। सितंबर 2014 में फिर ऑपरेशन किया गया एवं जांच जारी रखी 2017 में रेडिएशन सर्जरी की गई। इतनी सब सर्जरी होने के बाद दिनेश जी का मुंह में घाव पड़ गया था जिसके चलते प्लास्टिक सर्जरी करवाई गई।
मार्च 2019 में PET टेस्ट एवं बायोप्सी की गई तत्पश्चात लेजर सर्जरी की गयी इस तरह से पांच कैंसर सर्जरी की जा चुकी थी परंतु अभी भी कहां सारी मुश्किलें खत्म हुई थी, दिनेश ने पुनः पाया कि जीभ के नीचे छाला हो गया है एवं राजस्थान के जाने-माने हॉस्पिटल में दिखाने पर बताया गया कि कि उनकी जीभ की नोक काटनी पड़ेगी इसके चलते दिनेश व उनका परिवार बहुत घबरा गये एवं उदयपुर आये तथा गीतांजली हॉस्पिटल में दिखाया। यहां गीतांजली कैंसर सेंटर के रेडियोलॉजी ऑंकोलॉजिस्ट रमेश पुरोहित द्वारा दिनेश का निरीक्षण किया गया एवं मलटीडिसीप्लेनरी (एमडीटी) मीटिंग डॉक्टरों के बीच की गयी जिसमें पाया की दिनेश की मुंह की स्थिति बहुत ही जटिल है। ऐसी स्थिति में ब्रेकी थेरेपी सबसे अच्छा विकल्प है। मुंह के कैंसर की ब्रेकीथेरेपी की सुविधा देश के कुछ ही चुनिन्दा सेंटर्स में उपलब्ध है जिसमें गीतांजली कैंसर सेंटर भी एक है।
ब्रेकीथेरेपी एक प्रकार की रेडिएशन थेरेपी है जिसका उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। यह कैंसर की कोशिकाओं को मारने और ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए बहुत उपयोगी है। इसमें डॉक्टर बहुत कम समय में एक छोटे क्षेत्र का इलाज करने के लिए रेडिएशन्स की हाई डोज़ का उपयोग करते है एवं इस तकनीक द्वारा ट्यूमर के अलावा किसी और अंग के साइड इफेक्ट होने का खतरा नहीं रहता तथा मरीज के शरीर पर रेडिएशन का दुष्प्रभाव कम पड़ता है।
दिनेश की ब्रेकी थेरेपी को करने में जो तीन सबसे बड़ी चुनौती जो सामने आई वह थी:
दिनेश की ब्रेकी थेरेपी डॉ रमेश पुरोहित द्वारा की गयी जिसमे कि जबड़े में ट्यूमर के अन्दर ब्रेकीथेरेपी कैथिटर प्रत्योपित किये गए, एवं एनेस्थेटिक डॉक्टर नवीन पाटीदार ने बेहोशी के लिए एंडोस्कोपी द्वारा ट्यूब डाले गए। पांच दिन तक लगातार कैथेटर द्वारा रेडिएशंस किए गए जिसमे सफलता हासिल हुई तथा ब्रेकी थेरेपी के 1 सप्ताह पश्चात पाया गया कि मुंह में ट्यूमर का आकार कम हो गया है जिसके चलते आज दिनेश मोदी सामान्य रूप से स्वस्थ हैं एवं अपनी दिनचर्या का निर्वाह कर रहे हैं।
दिनेश एवं उनका परिवार बहुत खुश हैं क्यूंकि उन्हें जटिल ऑपरेशन नही करवाना पड़ा तथा उनका इलाज ब्रेकीथेरेपी द्वारा संभव हो पाया जिसमे कि कम परेशानी हुई एवं हॉस्पिटल में कम समय भर्ती रहना पड़ा। इसके लिए उन्होंने गीतांजली हॉस्पिटल का बहुत आभार प्रकट किया।
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