ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों ने बयां की कैंसर से जीत की कहानी

ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों ने बयां की कैंसर से जीत की कहानी

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, उदयपुर के गीतांजली कैंसर सेन्टर द्वारा ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता दिवस पर गुलाबी अक्टूबर को आयोजन स्वर्गीय श्रीमती नर्मदा देवी अग्रवाल सभागार में आयोजन किया गया। यह आयोजन ब्रैस्ट कैंसर से लड़ने वाले एवं उस पर जीत हासिल करने वाले रोगियों का आयोजन था।

 

ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों ने बयां की कैंसर से जीत की कहानी

उदयपुर 18 अक्टूबर 2019 । गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, उदयपुर के गीतांजली कैंसर सेन्टर द्वारा ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता दिवस पर गुलाबी अक्टूबर को आयोजन स्वर्गीय श्रीमती नर्मदा देवी अग्रवाल सभागार में आयोजन किया गया। यह आयोजन ब्रैस्ट कैंसर से लड़ने वाले एवं उस पर जीत हासिल करने वाले रोगियों का आयोजन था।

कार्यक्रम का शुभारम्भ गीतांजली ग्रुप के निदेशक अंकित अग्रवाल, डीन डॉ. एफ.एस. मेहता, सी.ई.ओ. प्रतीम तम्बोली व कैंसर विभाग के मेडिकल ऑन्कोलोजी के डॉ. अकिंत अग्रवाल, सर्जीकल ऑन्कोलोजी के डॉ. आशीष जाखेटिया व डॉ. अरूण पांडेय, रेडियेशन ऑन्कोलोजी के डॉ. ए.आर. गुप्ता (एच.ओ.डी.), डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. मेनाल भण्डारी एवं डॉ. किरण चिगुरूपल्ली चिकित्सकों ने दीप प्रज्जवलन कर किया।

कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वन्दना से हुई। इसके पश्चात् गीतांजली कॉलेज के तृतीय वर्ष के विद्याथियों द्वारा नृत्य की प्रस्तुती दी गई। तदोपरान्त गुलाबी अक्टूबर द्वारा आयोजित किये गये जागरूकता कार्यक्रम जो कि कॉलेज एवं गांवों में किये गये थे, उनकी झलकियाँ दिखाई गई। जिसे देख कर सभी जोश से भर गये। इसके पश्चात् कैंसर विशेषज्ञों के द्वारा स्टेज पर पैनल वार्तालाप किया गया। यह बहुत ही महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक बैठक थी, जिसमें ब्रैस्ट कैंसर से जागरूकता बचाव के बारे में बताया गया एवं उपस्थित सभी लागों ने कैंसर से जुड़े प्रश्न भी पूछे जिसका जवाब सभी कैंसर विशेषज्ञों ने बहुत गहनता के साथ दिया।

अब पढ़ें उदयपुर टाइम्स अपने मोबाइल पर – यहाँ क्लिक करें

सिर्फ ब्रैस्ट कैंसर ही ऐसा कैंसर है जिसका प्रारम्भिक लक्षण का परीक्षण स्वयं किया जा सकता है एवं विशेषज्ञों द्वारा स्वतः परीक्षण के तरीके भी बताये गये जिससे कि समय रहते इस कैंसर की सभी संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है।

48 वर्षीय उदयपुर निवासी सीता जी (नाम रूपान्तरण) जो कि ब्रैस्ट कैंसर सर्वाइवर है उन्होंने बहुत जोश से कहां कि सबसे पहले अपने डॉक्टर पर विश्वास करें, क्योकि हमने भगवान को साक्षात नहीं देखा है, हमारे लिए डॉक्टर ही भगवान का रूप है। भीलवाड़ा से आई 40 वर्षीय लता (नाम रूपान्तरण) जो कि ब्रैस्ट कैंसर पर जीत हासिल कर चुकीं है उन्होंने तहे दिल कैंसर विशेषज्ञों को शुक्रिया करते हुए उपस्थित लोगों को बताया कि गीतांजली के सभी डॉक्टर्स ने उनको बहुत सहयोग दिया। दिन हो या रात हो हर समय बात की एवं समस्या का निदान किया।

37 वर्षीय श्रीमती दुर्गा (नाम रूपान्तरण) जो कि सरकारी स्कूल में अध्यापिका है। उन्होंने अपनी ब्रैस्ट कैंसर लड़ाई को साझा करते हुए बताया कि डॉक्टरों ने उनका अत्मविश्वास बढ़ाया जिससे कि इतनी गम्भीर बीमारी में भी वह घबबराई नहीं और आज वह बिल्कुल ठीक है और अपनी दिनचार्य का सही रूप से निर्वाह कर रही है। 54 वर्षीय श्रीमती चंदा (नाम रूपान्तरण) ने अपने वकतव्य में बताया कि जब वह प्रारम्भ में कैंसर से पीड़ित बताये जाने पर बहुत घबराई हुई थी। डॉक्टर्स द्वारा उनको हिम्मत बांधते हुए परामर्श के साथ ही प्रारम्भिक जांच शुरू कर दी गई जिसमें उन्हे ब्रैस्ट कैंसर होने का पता चला। इसके पश्चात् उनका ऑपरेशन एवं उपचार किया गया तत्पश्चात् आज वह बिल्कुल ठीक अवस्था मे है और सभी को यही कहना चाहती है कि इस बीमारी से डरना नहीं है इसका सामना करना है।

कार्यकारी निदेशक अंकित अग्रवाल ने संबोधित करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम ब्रैस्ट कैंसर सर्वाइवर्स को समर्पित है और उन्होंने वुमन हेल्थ हेल्पलाईन नम्बर की घोषणा की। यह हेल्पलाईन (9116151129) 24 घण्टे निःशुल्क जानकारी देगी, इसमें वे सभी महिलायें जो इस बीमारी के बारे में बात करने में भी संकोच करती है वह बिना किसी संकोच के किसी भी समय हेल्पलाईन नम्बर पर बात कर सकती है एवं अपनी समस्याओं का साझा कर सकती है।

वहीं सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कैंसर मरीजों के लिए बनाये गये स्पर्श कार्ड (गीतांजली कैंसर सर्पोट ग्रुप) एवं ट्यूमर बोर्ड के बारे में बताया जिसमें मेडिकल, सर्जीकल एवं रेडियेशनल ऑन्कोलोजी में उपचार के प्रोटोकोल की जानकारी दी। उन्होंने यह भी जानकारी दी की ट्यूमर बोर्ड द्वारा एक वर्ष में कई केसेज का उपचार गीतांजली कैंसर सेन्टर कर चुका है।

डीन, डॉ. एफ.एस. मेहता ने सबसे महत्पूर्ण बात यह बताई कि जब उपचार के दौरान डॉक्टर एवं मरीज के बीच रिश्तेदारों का उसके प्रति व्यवहार उसकी मानसिक स्थति को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए मरीज का सकारात्मक रखना बहुत जरूरी है। स्तन कैंसर का उपचार पहले से बहुत विकसित हो चुका है। अन्त में जीएमसीएच के विद्याथियों एवं इन्सानियत एन.जी.ओ. द्वारा विविध प्रकार के रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal