मावली से मारवाड़ तक बने ब्रोडगेज, गोरमघाट होगा राष्ट्रीय आकर्षण

मावली से मारवाड़ तक बने ब्रोडगेज, गोरमघाट होगा राष्ट्रीय आकर्षण

एनटीपीसी के पूर्व जरनल मेनेजर एवं मेकेनिकल इंजिनियर के. एस. सामोता ने कहा कि मुम्बई से मेंगलोर तक देश के दो महत्त्वपूर्ण बन्दरगाहों को जोड़ने वाली 760 किमी की रेल परियोजना की भांति मावली से मारवाड जंक्शन तक उसी प्रेरणा से यदि ब्रोडगेज लाईन का निर्माण किया जाय तो गोरमघाट का प्राकृतिक पर्यटन स्थल एक राष्ट्रीय आकर्षण बन सकेगा

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मावली से मारवाड़ तक बने ब्रोडगेज, गोरमघाट होगा राष्ट्रीय आकर्षण

एनटीपीसी के पूर्व जरनल मेनेजर एवं मेकेनिकल इंजिनियर के. एस. सामोता ने कहा कि मुम्बई से मेंगलोर तक देश के दो महत्त्वपूर्ण बन्दरगाहों को जोड़ने वाली 760 किमी की रेल परियोजना की भांति मावली से मारवाड जंक्शन तक उसी प्रेरणा से यदि ब्रोडगेज लाईन का निर्माण किया जाय तो गोरमघाट का प्राकृतिक पर्यटन स्थल एक राष्ट्रीय आकर्षण बन सकेगा

वे आज प्रबुद्ध चिंतन प्रकोष्ठ की विज्ञान समिति में आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि 1990 में तत्कालीन रेलमंत्री जाॅर्ज फर्नांडिस के समय प्रारम्भ हुई इस परियोजना को पूर्ण करने की जिम्मेदारी ततकलीन रेल्वे बोर्ड के सदस्य श्रीधरन को सौंपी थी। शहयाद्री की सुरम्य पहाड़ियों और सागर के मध्य में एक सकड़ी भू-पट्टी में इस रेल लाइन को बिछाने का कार्य बहुत ही असाधारण किस्म का था। 93 सुरंगों, 179 बड़ें तथा 8000 छोटे पुलों से गुजरने वाली इस रेल लाइन का निर्माण एक चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट था।इस परियोजना में 300 के करीब रोड़ क्रोसिंग के लिए आर.ओ.बी / आर. यू. बी एक पहाड़ी क्षेत्र में रेल लाइन को पार करवाने के लिए बनाने का काम था। चार राज्यों-गोवा, महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक से होकर यह परियोजना बनानी थी।

इस अति विकट एवं दुर्गम परियोजना को श्रीधरन ने विश्व की आधुनिकतम तकनीक तथा उपकरण एवं मशीनों का उपयोग करते हुए मात्र 7 साल में इस प्रोजेक्ट को पूर्ण कर दिया। सही काम करने वाले सहयोगी तथा कान्ट्रेक्टर्स का चयन किया गया, उन्हें बिल भुगतान समय पर 75 प्रतिशत 48 घंटो में और शेष 25 प्रतिशत 7 दिनों में हो जाए यह सुनिश्चित किया, कार्य समय पर हो उसके लिए अत्याधुनिक मशीने उपलब्ध करवाई, देरी होने पर दण्ड तथा समयपूर्व होने पर पुरस्कार, उन्हें काम की जगह पर पेट्रोल-डीजल बिना पूर्व भुगतान के उपलब्ध करवाया गया। तथा आप्टीकल फाइबर बिछा कर पूरे काम की विधिवत मोनिटरिंग आधुनिक संचार साधनों से की गया। इस परियोजना के बन जाने से पूर्व में मुम्बई-मेंगलोर की दूरी तय करने में जहां 41 घंटे लगते थे अब मात्र 15 घंटों में पूरी हो गई तथा इस मार्ग पर 1127 किमी की दूरी भी कम हो गई।

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सामोता ने बताया कि परियोजना हेतु 40,000 परिवारों की जमीन अधिग्रहीण का महत्त्वपूर्ण कार्य मात्र 8 माह में ही पूरा कर लिया गया। 7 साल की अवधि में 25 जनवरी 1998 को पहली रेल मुम्बई से मेंगलोर के लिए चालू हो गई। आवागमन तथा परिवहन को सबसे अधिक लाभ इस रेल मार्ग के निर्माण से हुआ।

उदयपुर के संदर्भ में उल्लेखनीय बात यह है कि मावली से मारवाड़ तक रेलवे लिंक में अभी की करीब 100 किमी का लिंक मीटर गेज ही है तथा इस सैक्शन पर कोंकण के समकक्ष ही गोरम घाट में सुरम्य और सुंदर घाटियां, वनस्पति, झरने एवं सुरंग से रेल गुजरती है। पर्यटन की दृष्टि से यह क्षेत्र अभी भी उपेक्षित है। आवश्यकता है कि इस रेलवे लिंक को ब्रोडगेज बनाकर गोरमघाट को एक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित कर प्रचारित किया जाए। इससे न केवल मारवाड़ एवं मेवाड़ राष्ट्रीय ब्रोडगेज नेटवर्क पर आ जायेगा परंतु देश के पर्यटक मान चित्र पर भी इस रमणीय गोरमघाट को स्थान मिल पायेगा।

बैठक में उपस्थित अध्यक्ष डाॅ. एल एल धाकड़ ने वार्ताकार के सुझाव पर सदन की सहमति प्राप्त की। महासचिव प्रकाश तातेड़ ने धन्यवाद प्रकट किया। इस अवसर पर डाॅ. महीप भटनागर, डाॅ. बी.एल चावत, डाॅ. आर. के. गर्ग, इंजि. एल. एल. सिंघटवाडिया, इंजि. जे. एस. दवे, डा. पी एम अग्रवाल सहित अनेक सदस्यों की कार्यक्रम में सहभागिता रही।

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