बाल विवाह होने के पश्चात् भी करवा सकते है निरस्त – डॉ. पण्ड्या
जहाँ बाल विवाह रोकने हेतु सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रयास किए जा रहे है, वही यह भी आवश्यक है कि हमारे द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का अनुच्छेद 3(2) एवं 3(3) अन्तर्गत जिन बालक एवं बालिकाओं का बाल विवाह हो चुका है एवं वे या उनका परिवार इससे मुक्ति चाहते है तो इस बाल विवाह को निरस्त अथवा शून्य करवा सकते हैं।
उदयपुर, 14 अक्टूबर 2019। जहाँ बाल विवाह रोकने हेतु सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रयास किए जा रहे है, वही यह भी आवश्यक है कि हमारे द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का अनुच्छेद 3(2) एवं 3(3) अन्तर्गत जिन बालक एवं बालिकाओं का बाल विवाह हो चुका है एवं वे या उनका परिवार इससे मुक्ति चाहते है तो इस बाल विवाह को निरस्त अथवा शून्य करवा सकते हैं।
यह बात राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने सोमवार को उदयपुर एवं राजसमन्द जिले के जनजाति गावों सासेरा, किर खेडा, चान्दनी में आयोजित “बाल स्वराज” कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राजस्थान सरकार अपने देखभाल एवं संरक्षण शाखा अन्तर्गत महात्मा गाँधी की 150वीं वर्ष जयन्ति के उपलक्ष्य में इस विषय पर जन जागरूकता हेतु “बाल स्वराज” कार्यक्रम प्रदेश के विभिन्न गाँवों में आयोजित कर रहा है। डॉ. पण्ड्या ने बताया कि बाल आयोग 30 दिवसों में 150 जनजाति गावों तक अपनी पहुँच सुनिश्चित कर उन्हें बाल अधिकारों के लिए जागरूक करेगा। इस अवसर पर बाल आयोग के सदस्य के साथ निजी सचिव अमित राव, बाल अधिकार विशेषज्ञ जिग्नेश दवे उपस्थित रहे।
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