उदयपुर 7 फरवरी 2023 । नगर निगम, बर्नार्ड वेन लीयर फाउंडेशन के साझे में इकली साउथ एशिया और इकोरस इंडिया की तकनीकी साझेदारी में संचालित अर्बन 95 परियोजना के अंतर्गत शहर को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य शहर के लिए एक चाइल्ड सेफ्टी गाइडलाइन दस्तावेज का निर्माण करने से पूर्व विभिन्न विषय विशेषज्ञों की सलाह और सुझाव लेना था।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए निगम उपायुक्त रागिनी डामोर ने शहर को छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बच्चे वयस्कों द्वारा, वयस्कों के लिए बनाये परिवेश में रहते हैं। ऐसे में बच्चों की ज़रूरतों का खास ख्याल नहीं रहता और अक्सर जाने अनजाने में बच्चे चोटिल हो जाते हैं। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि शहर के मोहल्लों, पार्क, आंगनवाडी केंद्र सहित प्राइवेट स्कूलों आदि को भी बच्चों के लिए सुरक्षित बनाया जाए।
उपायुक्त ने कहा कि कार्यशाला में जो भी सुझाव विषय विशेषज्ञ दे रहे हैं, निगम उन्हें गाइडलाइन में शामिल करते हुए उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने में सकारात्मक रूप से कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि निगम क्षेत्र में मौजूद अन्य विभागों, संस्थाओं आदि सहित सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम चलाकर समुदाय को भी बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर जागरूक करने का काम निगम करेगी।
इस से पूर्व अर्बन 95 के परियोजना प्रबंधक अमित उपाध्याय ने सभी विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए अर्बन 95 का परिचय दिया। उन्होंने अर्बन 95 के अंतर्गत चल रही और प्रस्तावित परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शहर को बच्चों के लिए बेहतर बनाने के लिए आज के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं का उपयोग करते हुए फोकस्ड अप्रोच के साथ आगे बढ़ना होगा ताकि उसके दूरगामी परिणाम हासिल हो सके। उन्होंने स्थान चयन में समुदाय सहभागिता की भी पैरवी की। टीम लीडर पुष्पेन्द्र श्रीवास्तव ने अर्बन 95 परियोजना पर प्रकाश डाला।
अर्बन 95 परियोजना प्रबंधन इकाई के प्रारम्भिक बाल्यावस्था विकास विशेषज्ञ ओमप्रकाश ने शहर में छोटे बच्चों के साथ होने वाली विभिन्न दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कुल दर्ज मामलों में से 74% मामलों में बच्चे घर या घर के बाहर गिरने, सड़क दुर्घटनाओं, आवारा पशुओं के कारण चोटिल होते हैं। इसके अतिरिक्त घर के अन्दर भी अभिभावकों की ज़रा सी चूक के चलते कई बार बच्चे बड़ी दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ट्रेफिक, बेतरतीब पार्किंग, खुले नालों सहित ऐसे कई मामले हैं, जिनके चलते अभिभावक बच्चों को बाहर लेकर आने से डरते हैं। पार्क में बड़े बच्चों के विभिन्न खेलों के चलते भी छोटे बच्चे अक्सर चोटिल हो जाते हैं वहीँ स्कूलों और आंगनवाडी केन्द्रों में भी कई बार सुरक्षा को उतनी एहमियत नहीं दी जाती। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि शहर के लिए एक ऐसी गाइडलाइन का निर्माण हो सके, जिसकी सहायता से विभिन्न नगर नियोजक, विभाग और नगर
विकास निकाय आदि सहयोग लेकर शहर के मोहल्लों, सड़कों, गलियों, पार्क, स्कूल, आंगनवाडी, अस्पताल आदि को नए सिरे से तैयार करते हुए उन्हें बच्चों के लिए सुरक्षित और सुगम बना सके।
ओम ने गाइडलाइन के विजन और उद्देश्यों पर भी प्रकाश डालते हुए अभिभावकों और नागरिकों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता के बारे में भी बात की।
गृह विज्ञान महाविद्यालय से प्रोफ़ेसर डॉ. गायत्री तिवारी एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. स्मिता माथुर, निगम सहायक अभियंता करनेश माथुर, जतन संस्थान निदेशक डॉ. कैलाश बृजवासी, क्लाइमेट चेंज विशेषज्ञ भूपेन्द्र सालोदिया, सेवा मंदिर से अलका, चाइल्डफण्ड इंडिया से एकता चंदा, प्रयत्न संस्था से राकेश त्रिपाठी, अलर्ट संस्थान से बी.के. गुप्ता, स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग से वैभव सरोहा, बाल विकास अधिकारी शहर जुबैर चिश्ती, पैरेंट प्लस से नीलू एवं उषा चौधरी, अर्बन 95 से अमित उपाध्याय, पुष्पेन्द्र श्रीवास्तव, अखिलेश, युगल, अब्बास, राहुल और ओम मौजूद रहे।
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