झीलों को स्वच्छ रखना सामूहिक जिम्मेदारी
पर्यटकों की आवाजाही सीजन तथा विभिन्न धर्मों के त्योहारों-पर्वों के दिनों में झीलों में कचरे व गंदगी की मात्रा बढ़ती है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता व संवेदनशीलता द्वारा इस गंदगी से बचा जा सकता है। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में रखे गए। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान व गांधी मानव कल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
पर्यटकों की आवाजाही सीजन तथा विभिन्न धर्मों के त्योहारों-पर्वों के दिनों में झीलों में कचरे व गंदगी की मात्रा बढ़ती है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता व संवेदनशीलता द्वारा इस गंदगी से बचा जा सकता है। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में रखे गए। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान व गांधी मानव कल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि होटलों व गेस्ट हाउस में पर्यटकों के लिए स्पष्ट निर्देश हो कि किसी भी प्रकार के कचरे, वेस्ट आइटम को निर्धारित कचरा पात्र में ही विसर्जित करें व झीलो को सम्मान, सुरक्षा दे। तेज शंकर पालीवाल ने सुझाव दिया कि होटलों के कर्मचारियों का भी शिक्षण व जिम्मेदारी तय करना जरूरी है कि वो झीलों में कोई गंदगी, बचा हुआ भोजन, शेम्पू शराब की बोतलें इत्यादि विसर्जन को रोके ।
नंद किशोर शर्मा ने कहा कि हर होटल अपने बाहर के सौ मीटर क्षेत्र को पूर्ण साफ रखें। वे इस बात को समझे कि स्वच्छ झीलों, स्वच्छ उदयपुर से ही उनका व्यवसाय बना रह सकेगा। रमेश चंद्र राजपूत तथा द्रुपद सिंह ने कहा कि टेम्पो व टेक्सी चालको को भी स्वच्छता संदेश की इस मुहिम में जुडना चाहिए व पर्यटकों को जोड़ना चाहिए।
पल्लब दत्ता, इस्माईल अली दुर्गा तथा सुमित विजय ने कहा कि त्योहारों व पर्वो के दौरान झील में किसी भी प्रकार के प्रदूषण कारी विसर्जन को केवल नागरिक ही रोक सकते हैं । रामलाल गहलोत ने सभी से झीलों को पवित्र बना कर रखने में सहयोग मांगा। इस अवसर पर पिछोला अमर कुंड में श्रमदान कर कचरे व खरपतवार को निकाला गया।
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