श्रीमद् भागवत कथा कभी समाप्त नही होती, भागवत तो एक धर्म की यात्रा है, कुछ समय के लिए जरूर ठहराव हों जाता है, लेकिन धर्म की यह भागवतमयी पताका हमेशा लहराती रहती है। कहने के लिए भले ही आज यहां भागवत कथा की पूर्णाहूति हुई है, लेकिन यह भागवत कल फिर कही और शुरू होगी तो परसो कही और। यह बात मेवाड़ राजवंशीय कथा वाचक पं. स्कन्द कुमार पंड्या ने विवेक नगर सेक्टर 3 के शिव मंदिर मे चल रही भागवत कथा आयोजन के अंतिम दिन व्यास पीठ से भक्तों से कही। पंड्या ने बताया कि सुकदेव द्वारा राजा परिक्षित को भागवत कथा सूनाने के बाद परिक्षित के मन से सांप के काटने का भय निकल जाता है, भागवत के श्रवण मात्र से ही हमे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शाम को श्रीजगत शिरोमणि मंदिर मे कथा वाचन करते हुए पं. स्कन्द कुमार पंड्या ने कहा कि मनुष्य चाहे इस जन्म मे प्रभु का स्मरण और भजन करे या अगले जन्म मे, करना तो पड़ेगा वह भी स्वंय को। चाहे सौ जन्म क्यों ना लेने पड़े। जन्म – मरण के इस चक्र से बाहर निकल कर अगर मोक्ष प्राप्त करना है तो सत्संग, भजन और प्रभु को आत्मसात् करना होगा तभी मोक्ष प्राप्त होगा।
पूर्णाहूति यज्ञ मे दी आहूतियां
कथा प्रवक्ता अभिशेक जोशी ने बताया कि अंतिम दिन की कथा के बाद पं. स्कन्द कुामर पंड्या के सानिध्य मे पूर्णाहूति यज्ञ किया गया, जिसमे कथा आयोजक प्रहलाद मिश्रा, प्रवीण मिश्रा, मयंक, विनोद, शैलेष मिश्रा, भावेष शर्मा ने सजोडे से आहूतियां दी। इसके साथ ही अन्य भक्तों ने भी यज्ञ मे आहूति देकर भागवत की पूर्णता का लाभ लिया। पूर्णाहूति यज्ञ के बाद श्रीकृष्ण स्वरूप भागवत पोथी को सिर पर धारण कर गाजे- बाजे के साथ सेक्टर 3 सेे परिक्रमा करते हुए महाराज श्री के निवास पहुचाँया गया।
आयोजन सहयोगियों का सम्मान
कथा आयोजक प्रहलाद मिश्रा ने बताया कि पुरूषोत्तम मास के इस पवित्र महीने मे कथा के आयोजन मे कथा प्रसंगो पर विभिन्न झाँकियो मे अलग-अलग रूप मे नजर आने वाले वृन्दावन के कलाकार विष्णु शर्मा, भगवान दास, रवि शर्मा, दीपक परिहार, आशीष गोराणा सहित श्रीमद् भागवत कथा की आरती के निर्माता अभिषेक जोशी व अन्य व्यवस्था सहयोगियों को व्यास पीठ से पं. स्कन्द कुमार पंड्या द्वारा ओपरणा ओढ़ा कर सम्मानित किया गया।