अग्नाशय के कैंसर की जटिल सर्जरी सफल
गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के आॅन्को सर्जन डाॅ आशीष जाखेटिया व डाॅ अरुण पांडेय ने अग्नाशय कैंसर से ग्रसित तीन रोगियों (50, 63 व 75 वर्षीय उम्र) की सफल सर्जरी (विपल्स प्रोसीजर) कर स्वस्थ किया। सामान्यतः अग्नाशय में कैंसर का इलाज सर्जरी द्वारा ही किया जाता है परंतु विशेष प्रशिक्षण एवं सर्जरी की जटिलताओं के कारण स्टेंट एवं दवाईयों द्वारा इलाज कर दिया जाता है क्योंकि सर्जरी द्वारा इलाज काफी जोखिमपूर्ण होता है। परंतु गीतांजली कैंसर सेंटर के विशेष प्रशिक्षण प्राप्त आॅन्को सर्जन ने 6-7 घंटें के जटिल आॅपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे रोगियों को सामान्य जीवन प्रदान किया।
गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के आॅन्को सर्जन डाॅ आशीष जाखेटिया व डाॅ अरुण पांडेय ने अग्नाशय कैंसर से ग्रसित तीन रोगियों (50, 63 व 75 वर्षीय उम्र) की सफल सर्जरी (विपल्स प्रोसीजर) कर स्वस्थ किया। सामान्यतः अग्नाशय में कैंसर का इलाज सर्जरी द्वारा ही किया जाता है परंतु विशेष प्रशिक्षण एवं सर्जरी की जटिलताओं के कारण स्टेंट एवं दवाईयों द्वारा इलाज कर दिया जाता है क्योंकि सर्जरी द्वारा इलाज काफी जोखिमपूर्ण होता है। परंतु गीतांजली कैंसर सेंटर के विशेष प्रशिक्षण प्राप्त आॅन्को सर्जन ने 6-7 घंटें के जटिल आॅपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे रोगियों को सामान्य जीवन प्रदान किया।
चिकित्सकों ने बताया कि इस प्रक्रिया द्वारा इलाज काफी जटिल होता है क्योंकि इसमें अग्नाशय, छोटी आंत (ड्यूडेनम), पित्ताशय की थैली एवं पित्त नली के प्रथम भाग को हटाया जाता है। तत्पश्चात् शेष बचे सभी अंगों को फिर से एक दूसरे से जोड़ा जाता है जिससे रोगी सामान्य रुप से भोजन खा एवं पचा सके। इस मामले में भी तीनों ही रोगियों ने इलाज के आठवें दिन से ही भोजन खाना आरंभ कर दिया था और अब वे एकदम स्वस्थ है। उम्र अधिक एवं खराब स्वास्थ्य स्थिति होने के बावजूद तीनों ही रोगी अच्छी तरह से ठीक हो कर हाॅस्पिटल से डिसार्च हुए।
डाॅ आशीष व डाॅ अरुण ने बताया कि अग्नाशय में कैंसर के इलाज हेतु विपल्स सर्जरी करने का लक्ष्य कैंसर के ट्यूमर को हटाना होता है जिससे वह अन्य अंगों में न फैले और इससे रोगी लम्बे समय तक जीवित एवं स्वस्थ रहता है। साथ ही इस सर्जरी से जुड़े जोखिम के कारण इसका तकनीकी रुप से संचालन कठिन होता है। इसमें शल्य चिकित्सा के दौरान एवं बाद में कई जटिलताएं होती है जैसे रक्तस्त्राव, पेट में संक्रमण, खाना खाने में मुश्किल होना एवं भोजन का सेवन कम होना, अग्नाशय से रिसाव इत्यादि। किन्तु अनुभवी एवं प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा इलाज के परिणामस्वरुप इन जटिलताओं को नियंत्रित कर सफल इलाज किया गया।
राजसंमद निवासी रोगी रतन सिंह चुंडावत (उम्र 75 वर्ष), अनीसा बेगम (उम्र 63 वर्ष) एवं बांसवाड़ा निवासी हूकमा राम (उम्र 50 वर्ष), तीनों रोगियों ने पेट में दर्द, खाना खाने में अक्षम एवं पीलिया के चलते स्थानीय हाॅस्पिटल में परामर्श लिया था जहां सीटी स्केन की जांच में अग्नाशय के कैंसर की पुष्टि हुई। बेहतर इलाज हेतु उन्हें गीतांजली कैंसर सेंटर पर रेफर किया गया जहां डाॅ आशीष जाखेटिया व डाॅ अरुण पांडेय ने इलाज किया। रोगियों का इलाज राजस्थान सरकार की भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत निःशुल्क किया गया।
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