GMCH, उदयपुर में जटिल सर्जरी द्वारा रोगी को रेक्टम, लीवर व छोटी आंत के ट्यूमर से किया गया रोगमुक्त


GMCH, उदयपुर में जटिल सर्जरी द्वारा रोगी को रेक्टम, लीवर व छोटी आंत के ट्यूमर से किया गया रोगमुक्त
 

 
GMCH, उदयपुर में जटिल सर्जरी द्वारा रोगी को रेक्टम, लीवर व छोटी आंत के ट्यूमर से किया गया रोगमुक्त

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में कोरोना महामारी के समय भी सुरक्षित चिकित्सकीय नियमों का पालन करते हुए निरंतर आवश्यक इलाज किये जा रहे हैं। गीतांजली हॉस्पिटल के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग से सर्जन डॉ. कमल किशोर बिशनोई, गैस्ट्रोलोजिस्ट डॉ. पंकज गुप्ता, व डॉ. धवल व्यास तथा कैंसर मेडिकल विभाग से डॉ. अंकित अग्रवाल, एनेस्थेसिस्ट डॉ. करुणा शर्मा, ओ.टी. इंचार्ज हेमंत गर्ग व आई.सी.यू इंचार्ज डॉ. संजय पालीवाल के अथक प्रयासों से राजसमंद निवासी 28 वर्षीय रोगी को ट्यूमर से मुक्ति प्रदान कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया। 

क्या था मसला?

28 वर्षीय राजसमंद निवासी कृपा सिंह (परिवर्तित नाम) ने बताया कि पिछले 10 माह से पेट में बहुत समस्या थी पेट साफ़ नही होता था कब्ज़ की शिकायत रहती थी, काम करने में बहुत दिक्कत आ रही थी। दिसम्बर 2019 में आंतो में रुकावट व सूजन के चलते गीतांजली हॉस्पिटल आया। यहाँ आने पर रोगी का सी.टी. स्कैन किया गया, उसमे रेक्टम में स्टेज- 4ट्यूमर की पुष्टि हुई| ट्यूमर रेक्टम से होते हुए लीवर तक पहुंच गया था। 

डॉ. कमल ने बताया कि जब रोगी इस तरह के स्टेज 4 ट्यूमर का इलाज किया जाता है सबसे पहले रोगी के कोलोस्ट्रोमी करना आवश्यक होता है जिससे कि वह सामान्य रूप से खाना खाये और कोलोस्ट्रोमी द्वारा बनाये हुए बैग में मल का त्याग कर सके। इसके पश्चात् रोगी की कीमोथेरेपी शुरू की जाती है। 

रोगी की कोलोनोस्कोपी करने के पश्चात् ट्यूमर की बायोप्सी की गयी, जिसमे अत्यंत जटिल ट्यूमर का पता चला। सामान्यतया ऐसे रोगीयों को कीमोथेरेपी दी जाती है ताकि ट्यूमर का साइज़ छोटा हो सके और साथ ही लीवर की गांठ भी छोटी हो जाए। परन्तु इस रोगी के पैट सी.टी स्कैन की जाँच में पाया गया कि ट्यूमर का साइज़ कम नही हुआ क्यूंकि ट्यूमर ने प्रतिक्रिया नही दिखाई। जब रोगी को कीमोथेरेपी से कोई फर्क नही पड़ा ऐसे में सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था। अब सबसे पहली चुनौती थी कि रोगी के रेक्टम (मलद्वार) में जो ट्यूमर था उसे ऑपरेशन द्वारा हटाया जाये और साथ ही लीवर में उपस्तिथ ट्यूमर को भी हटाया जाये। ऐसे में डॉक्टर्स द्वारा योजना बनायी गयी कि जिससे कि दोनों उपस्तिथ ट्यूमर को एक साथ सर्जरी द्वारा हटाया जा सके, रोगी की सर्जरी प्रारंभ की गयी परन्तु सर्जरी के दौरान पता चला कि रोगी की छोटी आंत भी ट्यूमर के साथ चिपकी हुई थी, इसके चलते रोगी की छोटी आंत को भी काटना पड़ा। रोगी का रेक्टम, लीवर व छोटी आंत तीनो को ट्यूमर के चलते काटना पड़ा, इसमें सबसे बड़ा डर रोगी के ऑपरेशन के पश्चात लीवर के फ़ेल होने का था। रोगी की पैट व सी.टी स्कैन में ट्यूमर का जो साइज़ था वह ऑपरेशन के दौरान काफी बड़ा पाया गया, जोकि बहुत ही आश्चर्यजनक था। बहुत ही ध्यानपूर्वक रोगी के रेक्टम, लीवर व छोटी आंत में से ट्यूमर को सफतापूर्वक निकाल दिया गया व रोगी को ट्यूमर मुक्त कर दिया गया। रोगी के ट्यूमर पुनः होने की संभावना न रहे इसके चलते रोगी की कीमोथेरेपी का दूसरा साइकिल भी पूरा किया गया। रोगी अब स्वस्थ है, हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी है। 

डॉ. कमल ने बताया कि आमतौर पर स्टेज-4 कैंसर की सर्जरी नही की जाती  लेकिन कोलोरेकटल कैंसर यदि लीवर मेटास्टेसिस हैं तभी सर्जरी द्वारा इलाज की संभावना रहती है। फिर चाहे स्टेज-4 ट्यूमर लीवर या फेफड़े में हो उन रोगियों को भी बचाया जा सकता है। 

गौरतलब है कि रोगी, आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना की लाभार्थी है। 

जी.एम.सी.एच सी.ई.ओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि गीतांजली मेडिसिटी पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चंहुमुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं। गीतांजली कैंसर सेंटर में ट्यूमर बोर्ड में सर्जिकल, रेडिएशन व मेडिकल ऑन्कोलॉजी की कुशल टीम के निर्णयानुसार रोगीयों का सर्वोत्तम इलाज किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टा का परिचायक है।  

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