श्री महर्षि काॅलेज ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलोजी का दीक्षान्त समारोह आयोजित


श्री महर्षि काॅलेज ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलोजी का दीक्षान्त समारोह आयोजित

60 शोधार्थियों को मिली वाचस्पति की उपाधि
 
श्री महर्षि काॅलेज ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलोजी का दीक्षान्त समारोह आयोजित
कार्यक्रम संयोजक प्रकाश परसाई ने बताया कि इसमें 60 शोधार्थियों को वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई। परसाई ने बताया कि आज समारोह में 60 विद्यार्थियों को ज्योतिष,वास्तु, हस्त रेखा, फेंगशुई आदि विषयों में उपाधियां प्रदान की गई। 

उदयपुर। श्री महर्षि काॅलेज ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलोजी का वर्ष 2018-19 का दीक्षान्त समारोह आज सौ फीट रोड़ स्थित अशोका ग्रीन पैलेस में आयोजित किया गया। 

समारोह को संबोधित करते हुए विशिष्ठ अतिथि डाॅ. भवगती शंकर व्यास ने कहा कि ज्योतिष को समझने से पूर्व उसकी साधना आवश्यक है। यह एक ऐसा अध्याय है जो परमात्म के लिये किया जाता है। विवाह के लिये सिर्फ गुणों को मिलान ही सब कुछ नहीं है। उसके साथ-साथ कुण्डली में गण, नाड़ी आदि के गुणांक का अध्ययन कर कुण्डली का सही मिलान किया जाना चाहिये तभी वह विवाह सुखमय दाम्पत्य जीवन में बदलेगा। 

कुण्डली का सही अध्ययन से कैंसर जैसे अनेक असाध्य रोगों का भी निदान किया जाता है। ज्योतिष विद्या के जरिये हम इस जीवन के साथ-साथ अगले जन्म को भी श्रेष्ठ बना सकते है। 

हस्त रेखा प्रातः ही देखें शाम को नहीं- उन्होंने कहा कि हस्त रेखा का अध्ययन प्रतिदिन प्रातः 10-11 बजे तक ही किया जान चाहिये और जिस व्यक्ति की हस्त रेखा का अध्ययन किया जा रहा हो यदि वह भूखा है तो उसका और बेहतर तरीके से अध्ययन किया जा सकता है क्योंकि उस समय रेखायें बहुत बारीक एवं स्पष्ट दिखाई देती है। शाम को हस्त रेखा का अध्ययन बिलकुल नहीं करना चाहिये। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रविन्द्र श्रीमाली ने जीवन को कर्म प्रधान बताया। उन्होंने  बताया कि राम एवं कृष्ण दोनों ने जीवन में कर्म की प्रधानता को स्वीकार किया हैं। आपने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भाग्य और कर्म की प्रधानता के साथ निरन्तर मन से सूक्ष्म अध्ययन किया जाए तो सफलता मिलना तय हैं इसी के साथ श्रेष्ठ ग्रन्थों का अध्ययन करने की प्रेरणा भी दी। आपने श्रीराम की नवधा भक्ति का उदाहरण देकर बताया कि इससे आधिदैहिक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक तापों का शमन होता हैं एवं निश्चित ही स्वाभिमान, समर्पण, स्वावलम्बन की वृद्धि होती हैं।

उन्होंने कहा कि ज्योतिष विद्यार्थी अपने अध्ययन के जरिये अपने जीवन की दिशा तय करेंगे। ज्ञान को तभी अर्जित किया जा सकता है जब श्रेष्ठ गुरूजन उसे हमें प्रदान करें। इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष मेवाड़ महामण्डलेश्वर महन्त श्री रासबिहारी शरण शास्त्री ने कहा कि ज्योतिष एक विशाल शास्त्र के साथ-साथ एक विज्ञान भी हैं इसका हमारे जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पडता हैं। इसे समाज की सेवा के रूप में अपनाये एवं अपनी संस्कृति को बढावा दें।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाॅ. हरस्वरूप वशिष्ठ ने कहा कि संसार के सभी प्राणी अपने जीवन में सुख की कामना करते हैं पर व्यक्ति इसके लिये ज्यों ज्यों प्रयास करता हैं त्यों त्यों वह दुःख में धंसता जाता हैं तो ऐसा क्या किया जाए कि अपने जीवन को सहज बनाया जा सके। इसके लिये शास्त्रों की आज्ञा का पालन करना, उस मार्ग का अनुसरण करना हम मनुष्यों के लिये नितान्त आवश्यक है। 

उन्होंने कहा कि यदि हम जीवन में शास्त्र मर्यादित मार्ग का अनुसरण करें तो निश्चित ही सफलता प्राप्त होती हैं। आपने शिक्षावल्ली के दीक्षान्त सूत्र को भी बताया कि हम समाज में जब अपना जीवन जीये तो संस्थान का गौरव बढ़ाये, अपने आप को विनम्र बनायें।

60 शोधार्थियों को मिली उपाधियां  

कार्यक्रम संयोजक प्रकाश परसाई ने बताया कि इसमें 60 शोधार्थियों को वाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई। परसाई ने बताया कि आज समारोह में 60 विद्यार्थियों को ज्योतिष,वास्तु, हस्त रेखा, फेंगशुई आदि विषयों में उपाधियां प्रदान की गई। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत उद्बोधन महर्षि काॅलेज ऑफ़ वैदिक एस्ट्रोलाॅजी के संस्थापक डाॅ. विकास चौहान ने दिया एंव धन्यवाद भी ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अजय माहेश्वरी ने किया।

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