MLSU में खूब जमी कोरोना वैक्सीनेशन जागरुकता 'शाम ए ग़ज़ल'

MLSU में खूब जमी कोरोना वैक्सीनेशन जागरुकता 'शाम ए ग़ज़ल'  

कोरोना के विरुद्ध समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सजग रहने और उससे बचाव के उचित माध्यमों की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए यह आयोजन

 
MLSU में खूब जमी कोरोना वैक्सीनेशन जागरुकता 'शाम ए ग़ज़ल'

कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने कहा कि उर्दू और हिंदी आपस मे बहनें है लेकिन उर्दू की मिठास और प्रेम की भाषा है जिसका एक समृद्ध साहित्यिक इतिहास

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग द्वारा कोरोना वैक्सीनेशन जागरूकता अभियान के तहत  अतिथि गृह सभागार में शनिवार को 'शामे गज़ल' और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।  कोरोना के विरुद्ध समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सजग रहने और उससे बचाव के उचित माध्यमों की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए यह आयोजन किया गया।  कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो अमेरिका सिंह ने कहा कि उर्दू और हिंदी आपस मे बहनें है लेकिन उर्दू की मिठास और प्रेम की भाषा है जिसका एक समृद्ध साहित्यिक इतिहास है। 

समारोह में उर्दू के मशहूर शायर आबिद अदीब को उनके उर्दू साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इसी के साथ इस वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि प्राप्त करने वाले बोहरा यूथ संस्थान के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में अल्पसंख्यक विद्यार्थियों और प्रबुद्ध समाज सेवियों लेफ्टिनेंट कर्नल सिराजुद्दीन, कमांडर मंसूर अली और  शरफ़ अली लोहावाला पूर्व निदेशक, भाभा अटॉमिक सेंटर को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के इस मुख्य अतिथि  कुलपति, बीएन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनबी सिंह, राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत एवं अध्यक्ष बोहरा यूथ संस्थान  की अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद रेहाना जर्मनवाला थी।

कार्यक्रम के शुरू में उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो हदीस अंसारी ने सभी का स्वागत किया।प्रसिद्ध ग़ज़लकार आबिद अदीब,  इश्कात फुरकत, खुर्शीद नवाब ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। इकबाल हुसैन इकबाल ने -'कहा ऐसा समझती है कहां वैसा समझती है, मां गंगा सभी बेटों को एक जैसा समझता है सुनाई, उन्होंने 'मुक्कदर के सिकन्दर है बहुत इकबाल दुनिया में, मगर सबको प्रेम की दौलत नही मिलती' सुना कर दाद पाई। विजय मारू ने 'नींद  हो  चुकी  है  कामचोर, आती  ही  नहीं  आसानी  से, लाख  मन्नतों  के  बाद  भी, यह  कि...रसोई  फुटपातों  पर  सजी  है बर्तन  बेचारें  टुकर-टुकर  देखते हैं

घर  के  लोगों  को,  बजते  हुए...' सुनाई। मुश्ताक चंचल, ने लोकडॉउन में कहां आराम है सुनाकर सबको खूब हंसाया। पंडित आईना उदयपुरी ने-' उजालो को दबाना चाहता है, अंधेरा सर उठाना चाहता है' सुना कर चिन्तनधारा प्रवाहित की। उर्दू विभाग के विद्यार्थियों इरम निदा, फिरदौस बानू, फरहान रज़ा,निगार सुल्ताना, गौसिया बानू ने भी अपनी गज़लें सुनाई और वाहवाही लूटी।

Photos by Farhina Ansari

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal