अपराध शास्त्र के विद्यार्थियों ने यौन हिंसा के खिलाफ निकाली रैली

अपराध शास्त्र के विद्यार्थियों ने यौन हिंसा के खिलाफ निकाली रैली 
 

सेण्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी & पब्लिक पॉलिसी, उदयपुर ने अपराध शास्त्र के विद्यार्थियों के साथ मिलकर चुप्पी तोड़ो अभियान के अंतर्गत, गुरुवार, दिसंबर 5 को नगर निगम पर सुबह 10 बजे एक मौन रैली का आयोजन किया। 
 
 
अपराध शास्त्र के विद्यार्थियों ने यौन हिंसा के खिलाफ निकाली रैली
रैली के संयोजक और क्राइम ब्रांच कंसलटेंट, प्रोफेसर रोचिन चंद्रा ने रैली के सदस्य और उपस्थित जनो को सम्बोधित करते हुए स्पष्ट किया की वे यहाँ न्याय के दरवाज़े खटखटाने नहीं बल्कि, महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने आये है। निर्भया और आसिफा रेप केस में बाद बने सख्त कानून का प्रभाव बताते उन्होंने बोला " यौन हिंसा के कानूनों में कठोरता बढ़ाना ही जुर्म को रोकने के लिए काफी नहीं, बल्कि उनमे तुरंत्ता और निश्चत्ता होनी भी ज़रूरी है।"

सेण्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी & पब्लिक पॉलिसी, उदयपुर ने अपराध शास्त्र के विद्यार्थियों के साथ मिलकर चुप्पी तोड़ो अभियान के अंतर्गत, गुरुवार, दिसंबर 5 को नगर निगम पर सुबह 10 बजे एक मौन रैली का आयोजन किया। 

महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए रैली के सदस्यों ने हाथ में कई पोस्टर उठाये, जिसमे दर्शया गया की किस तरह रेप के जरिये पुरुष वर्ग महिलाओं पर अपनी ताकत दिखता है और उनको कण्ट्रोल में रखने कोशिश करता है। रैली में सभी सदस्यों ने अपने मुँह पर पट्टी बाँधी थी। 

रैली के संयोजक और क्राइम ब्रांच कंसलटेंट, प्रोफेसर रोचिन चंद्रा ने रैली के सदस्य और उपस्थित जनो को सम्बोधित करते हुए स्पष्ट किया की वे यहाँ न्याय के दरवाज़े खटखटाने नहीं बल्कि, महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने आये है। निर्भया और आसिफा रेप केस में बाद बने सख्त कानून का प्रभाव बताते उन्होंने बोला " यौन हिंसा के कानूनों में कठोरता बढ़ाना ही जुर्म को रोकने के लिए काफी नहीं, बल्कि उनमे तुरंत्ता और निश्चत्ता होनी भी ज़रूरी है।"

हरियाणा और अलवर जिलों में रेप कल्चर के बारे में प्रकाश डालते हुए, उन्होंने  बताया की " रेप का मतलब सहमति देना नहीं होता। रूढ़ धारणाओं के अनुसार रेप में लड़की की सहमति होती है और अपने रेप के लिए वे खुद ही ज़िम्मेदार होती है। समाज की इसी मानसिकता की वजह से यह समझा जाता है की लड़की को 'नहीं' कहने का अधिकार नहीं है।"

यौन हिंसा की मानसिकता के बारे में बताते हुए विनीता केवलानी और अंजू ने कहा," छोटी सी उम्र में बच्चे मरदाना आदर्शों की वजह से लड़कियों को हमेशा कमजोर मानते है और इसके परिणाम स्वरुप महिलाऐं यौन अपराधों का शिकार हो रही है। कथित आदर्श मर्दानगी को महिलयों के प्रति हिंसा, ओब्जेक्टिफिकेशन, सेक्सुअल अग्ग्रेशन और शत्रुता से जोड़ता है।  

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal