कृषकों की आय को दोगुना करने में क्रॉप वैज्ञानिको को निभानी होगी अहम भूमिका

कृषकों की आय को दोगुना करने में क्रॉप वैज्ञानिको को निभानी होगी अहम भूमिका

एमपीयूएटी उदयपुर के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में बदलते परिदृष्य में सस्य विज्ञान हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने विषय पर इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी (आईएसए), नई दिल्ली की तीन दिवसीय 21 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह आज आरसीए के नूतन सभागार में संपन्न हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी, नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं एमपीयूएटी के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

 

कृषकों की आय को दोगुना करने में क्रॉप वैज्ञानिको को निभानी होगी अहम भूमिका

एमपीयूएटी उदयपुर के संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय में बदलते परिदृष्य में सस्य विज्ञान हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने विषय पर इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी (आईएसए), नई दिल्ली की तीन दिवसीय 21 वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह आज आरसीए के नूतन सभागार में संपन्न हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन इण्डियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी, नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं एमपीयूएटी के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ. रमेश चन्द्र, सदस्य, नीति आयोग, भारत सरकार, नई दिल्ली ने अपने संबोधन में कहा कि जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ हमें द्वितीय हरित क्रान्ति की आवश्यकता है, लेकिन हमें इसमें कौन-कौन-सी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना है, उसको अन्तिम रूप देने की आवश्यकता है । द्वितीय हरित क्रान्ति को हम अपने देश में किस प्रकार से लागू करें ताकि किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दुगुना किया जा सके, इस उपलब्धी को प्राप्त करने में शस्य वैज्ञानिकों एवं पादप संरक्षण वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दो गुना करने के लिए फसल उत्पादन में 4.1 प्रतिशत एवं पशु उत्पादन में 6,0 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि दर प्राप्त करनी होगी।

विशिष्ठ अतिथि डाॅ. एन. एस. राठौड़, उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि सस्य विज्ञान कृषि की रीढ़ है । देश के सस्य वैज्ञानिकों ने खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने में अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं अहम् भूमिका प्रदान की है। उन्होने कहा कि वर्ष 2022 में देश की जनसंख्या के हिसाब से 310 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन की आवश्यकता होगी । इसमें सस्य वैज्ञानिकों को अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी साथ ही इस तरह के अनुसन्धानों की आवश्यकता होगी जिससे इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। विशेषकर हमें गेहॅूं व चाॅंवल की फसल के उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक अनुसन्धान की आवश्यकताओं पर बल देना होगा।

Download the UT App for more news and information

समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. उमा शंकर शर्मा, कुलपति, एमपीयूएटी, उदयपुर देश के किसान भाईयों की आय को दुगुना करने की दिशा में नीति निर्धारकों एवं संस्थागत सहयोग को महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने कहा कि हमने विगत दशकों में कृषि उत्पादन में सार्थक एवं महत्वपूर्ण वृद्धि की है परन्तु किसानों की आय को बढ़ाने की दिशा में कार्य करने के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल कृषि, नई तकनीकी के समावेश, परिशुद्धतापूर्ण कृषि तकनीकों, आनुवंशिक रूप से उन्नत बीज के उपयोग, कार्बन के न्यूनतम् उत्सर्जन और जैविक खेती पर भी गहन कार्य करने की आवश्यकता है।

समारोह के प्रारम्भ में आईएसए के उपाध्यक्ष डाॅं. वी.के. सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा डॉ पी.सी. जैन, भूतपूर्व वरिष्ठ सस्य वैज्ञानिक विश्व बैंक ने अपने उद्बोधन में देश की कृषि में कम लागत पर उत्पादकता बढ़ाने एवं पर्यावरण अनुकूल खेती की आवश्यकता पर बल दिया, उन्होने पंजाब में धान का भूसा (पराली) जलाने से पर्यावरण प्रदूषण और खेत में हो रहे सूक्ष्म जीवों के नुकसान पर चिन्ता व्यक्त की एवं पर्यावरण अनुकूल कृषि के लिए देश के किसानों की जागरूता बढ़ाने की आवश्यकता व्यक्त की। डाॅ. अ । भय कुमार व्यास, अध्यक्ष, आईएसए, नई दिल्ली ने आईएसए का द्विवार्षिक प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस संगोष्ठी में देश के सभी राज्यों के 400 से अधिक सस्य वैज्ञानिक, उद्योगपति, नीति निमार्ता, अनुसंधान छात्र एवं किसान भाग ले रहे हैं। इस संगोष्ठी में देश भर के सस्य वैज्ञानिक तीन दिनों तक भारतीय कृषि की उभरती चुनौतियों को हल करने तथा कृषकों की आय को दोगुनी करने के लिए तीन दिन तक मंथन करेंगे जिससे महत्वपूर्ण सिफारिशें तैयार की जा सके।

स्थानीय कार्यक्रम साचिव डाॅं. विरेन्द्र नेपालिया ने बताया कि उद्घाटन समारोह के दौरान संगोष्ठी की स्मारिका मुख्य अनुसन्धान पत्रों एवं संक्षिप्त अनुसन्धान पत्रों के साथ विश्वविद्यालय में कार्यरत अध्यापक डाॅं. आर.एस. चौधरी, डाॅं. एस.एल. मुंदड़ा एवं डाॅं. रोशन चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक ’फण्डामेन्टल आॅंफ एग्रोनोमी’ का भी विमोचन किया गया। डाॅं. नेपालिया ने बताया कि प्रथम सत्र में डाॅं. पी. एस. लाम्बा स्मृति व्याख्यान में प्रो. रमेश चन्द्र, सदस्य नीति आयोग भारत सरकार ने भारतीय कृषि में चुनौतियाॅं, अवसर एवं विकसित नीतियों विषय पर अपना उद्बोधन दिया। इसी क्रम में डाॅं. टी.सी. जैन, भूतपूर्व वरिष्ठ सस्य वैज्ञानिक विश्व बैंक ने बदलते परिदृश्य में सस्य वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की आय को दुगुना करना विषय पर अपना उद्बोधन दिया। प्रथम सत्र में कम या बिना लागत निवेश और जैव संसाधनों के उपयोग व कुशल प्रबंधन, कुशल वर्षा और सिंचाई जल प्रबंधन का आयोजन किया गया।

उद्घाटन समारोह में सोसायटी द्वारा डाॅ. कल्याण सिंह, भूतपूर्व अधिष्ठाता, बीएचयू, वाराणसी और डाॅ. बी गंगवार, पूर्व निदेशक, आईसीएआर-आईआईएफएसआर, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश को लाईफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा सोसायटी द्वारा 8 प्रसिद्ध सस्य वैज्ञानिकों को आईएसए गोल्ड मेडल तथा 16 को आईएसए फेलो से सम्मानित किया। साथ ही 5 सस्य वैज्ञानिकों को आईएसए एसोसिएटशिप, 2 सस्य वै ज्ञानिकों को डा. पी एस देशमुख युवा सस्य विज्ञानी अवार्ड, 4 सर्वश्रेष्ठ पीएच.डी थीसिस अवार्ड तथा 2 सर्वश्रेष्ठ आईएसए शोधपत्र अवार्ड प्रदान किए गए।

डाॅ. दिलीप सिंह, विभागाध्यक्ष, सस्य विज्ञान विभाग, आरसीए, उदयपुर ने बताया कि इस तीन दिवसीय संगोष्ठी के दौरान आठ सत्रों जैसे- कम या बिना लागत निवेश और जैव संसाधनों के उपयोग का कुशल प्रबंधन, कुशल वर्षा और सिंचाई जल प्रबंधन, बदलते परिदृष्य के तहत् सतत संसाधन उपयोग और कृषि आय के लिए विविधीकरण, विभिन्न कृषि पारिस्थितिक तंत्र और संसाधन के लिए आईएफएस और आईसीएम, संरक्षण कृषि और जलवायु प्रतिरोधक क्षमतापूर्ण सस्य विज्ञान, कार्बनिक, परिशुद्धता और संविदात्मक खेती, फार्म मशीनीकरण, कटाई उपरान्त फसल प्रबंधन, प्रसंस्करण, मूल्य वृद्धि तथा सस्य विज्ञान शिक्षा, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और आय उत्पन्न करने वाली नीतियों का समर्थन करना आदि विषयों पर अनुसंधान पत्रों का वाचन किया जाएगा साथ ही इन्हीं विषयों पर अलग से पोस्टर सत्रों का भी आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. वीरेन्द्र नेपालिया एवं धन्यवाद की रस्म डाॅ. वाई एस शिवाय ने अदा की। कार्यक्रम में कुलपति डाॅ. अरविन्द कुमार, डाॅ. डी. पी. सिंह अन्य पूर्व कुलपति कृषि एवं सस्य वैज्ञानिक व अध्यापक किसान एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal