रोगी के पेट की परत (पेरिटोनियम) से नाड़ी का निर्माण करके हुआ रोगी के ट्यूमर का दुर्लभ इलाज

रोगी के पेट की परत (पेरिटोनियम) से नाड़ी का निर्माण करके हुआ रोगी के ट्यूमर का दुर्लभ इलाज

रोगी के ऑपरेशन में अनेक जटिलताएं होने के बावजूद रोगी के पेट की परत से नाड़ी (आई.वी.सी) का निर्माण एक बड़ी सफलता

 
रोगी के पेट की परत (पेरिटोनियम) से नाड़ी का निर्माण करके हुआ रोगी के ट्यूमर का दुर्लभ इलाज

यह ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ है। 

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में ह्रदय शल्य रोग एवं कैंसर सेंटर के अथक प्रयसों से 50 वर्षीय नीमच निवासी रोगी के पेट के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन करके रोगी को नया जीवन प्रदान किया गया। सफल इलाज करने वाली टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशीष जखेटिया, डॉ. अरुण पाण्डेय, एनेस्थेटिस्ट डॉ. नवीन पाटीदार एवं कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. पार्थ वाघेला, एनेस्थेटिस्ट डॉ. अंकुर गाँधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ. हर्शील जोशी, डॉ. रामचंद्रन, आईसीयू स्टाफ, ओ.टी स्टाफ इत्यादि शामिल हैं। 

क्या था मसला

50 वर्षीय नीमच निवासी- सीताबाई (परिवर्तित नाम) को जब गीतांजली कैंसर सेंटर लाया गया तो उसके पेट में दाहिने तरफ एक गांठ थी। ऐसे में रोगी को सी.टी स्कैन करवाने की सलाह दी गयी। सी.टी. स्कैन में लगभग 7 सेंटीमीटर के ट्यूमर की पुष्टि हुई। ट्यूमर इन्फ्रा वेना कावा (आईवीसी) जो कि मानव शरीर की प्रमुख नस है, जिसका काम रक्त को एकत्रित कर ह्रदय में डालना है, उसमें ट्यूमर उत्पन्न हो गया था जिस कारण नस बंद हो गयी थी, ट्यूमर नस के बाहर भी फैलने लग गया था और साथ ही रोगी की ट्यूमर से मात्र 1 सेंटीमीटर ऊपर किडनी से रक्त कोशिकाएं बाहर आ रही थीं जिस कारण दोनों किडनियों को भी बचाना बहुत महत्वपूर्ण था जिसके लिए यूरोलोजिस्ट डॉ. पंकज त्रिवेदी द्वारा भी किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ने पर सम्पूर्ण तैयारी रखी गयी। यह ट्यूमर बहुत ही दुर्लभ है। 

डॉ. आशीष ने बताया प्रायः एक लाख लोगों में किसी एक रोगी में इस तरह का ट्यूमर देखने को मिलता है और काफी जटिलताएं होने के कारण इस तरह के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन के लिए सम्पूर्ण सुविधाएँ एक की अस्पताल में होनी चहिये क्यूंकि इस तरह के ट्यूमर बहुत ही आक्रामक होने के कारण एक्सपर्ट कैंसर सर्जन, सी.टी.वी.एस.सर्जन, कार्डियक बैकअप और सभी अत्याधुनिक तकनीकों और विकसित चिकित्सा सेंटर की आवयशकता पड़ती है। 

डॉ. संजय गाँधी ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी एक्सपर्ट टीम के द्वारा पैट स्कैन देखने के पश्चात् आईवीसी को सफलतापूर्वक पृथक्क किया गया।  इसके पश्चात् रोगी की आईवीसी के स्थान पर ग्राफ्ट डाला गया, यदि यह ड्राफ्ट नही डाला जाता तो रोगी की टांगों में सूजन आ जाती है, रोगी का चलना फिरना बहुत मुश्किल हो जाता है। रोगी के ड्राफ्ट डालने के पश्चात् अल्ट्रासाउंड व सी.टी. स्कैन देखने पर पता चला कि रोगी के ग्राफ्ट में खून का थक्का बन गया था और वो चलना बंद हो गया था। ऐसी स्थिति में रोगी को पुनः ऑपरेशन थिएटर में लिया गया और ग्राफ्ट को हटा कर पेट की एक परत जिसे पेरीटोनियम कहते हैं वहीँ से एक पैच लिया गया और कार्डियक टीम के द्वारा नया ट्यूब ड्राफ्ट बनाकर रोगी के लगाया गया, यह अभी सुचारू रूप से कार्य कर रहा है, इस तरह की सर्जरी बहुत ही दुर्लभ है। 

रोगी अभी स्वस्थ है एवं हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी देने से पहले रोगी की 3.0 टेस्ला एम.आर.आई की गयी जिसमे पाया गया कि रोगी का आईवीसी पेरेटोनियम ग्राफ्ट नस की तरह सुचारू रूप से काम कर रहा है। 

जीएमसीएच सी.ई.ओ. प्रतीम तम्बोली ने कार्डियक रोग विभाग एवं कैंसर सेंटर के डॉक्टर्स की सराहना करते हुए जानकारी दी कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल पिछले सतत् 14 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी विश्वस्तरीय सेवाएं दे रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता आया है, गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदेव तत्पर है। 

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