मशहूर लेखक, उपन्यासकार कुणाल बासु के साथ उनकी किताबो पर चर्चा
प्रभा खेतान फाउंडेशन, अहसास वीमेन ऑफ़ उदयपुर एवं होटल रेडिसन ब्लू पैलेस रिसोर्ट एन्ड स्पा के संयुक्त तत्त्वावधान में होटल रेडिसन ब्लू पैलेस में 11 मार्च 2019 को 'द राइट सर्किल' कर्यक्रम के तहत मशहूर उपन्यासकार कुणाल बासु के साथ उनकी लिखे उपन्यास 'द मिनिएचरिस्ट' (The Miniaturist) एवं अन्य उपन्यासों को लेकर मूमल भंडारी के साथ रूबरू साक्षात्कार किया गया। कार्यक्रम की शुरआत जम्मू कश्मीर के पुलवामा हमले में मारे गए शहीदों की श्रद्धांजलि के साथ हुई।
प्रभा खेतान फाउंडेशन, अहसास वीमेन ऑफ़ उदयपुर एवं होटल रेडिसन ब्लू पैलेस रिसोर्ट एन्ड स्पा के संयुक्त तत्त्वावधान में होटल रेडिसन ब्लू पैलेस में 11 मार्च 2019 को ‘द राइट सर्किल’ कर्यक्रम के तहत मशहूर उपन्यासकार कुणाल बासु के साथ उनकी लिखे उपन्यास ‘द मिनिएचरिस्ट’ (The Miniaturist) एवं अन्य उपन्यासों को लेकर मूमल भंडारी के साथ रूबरू साक्षात्कार किया गया। कार्यक्रम की शुरआत जम्मू कश्मीर के पुलवामा हमले में मारे गए शहीदों की श्रद्धांजलि के साथ हुई।
कोलकाता में जन्मे, भारत और अमेरिका से अपनी शिक्षा पूरी करने वाले कुणाल बासु ने ‘द मिनिएचरिस्ट’ (The Miniaturist) के अतिरिक्त ‘द ओपियम क्लर्क’ (The Opium Clerk), ‘रेसिस्टस’ (Racists), ‘द येलो एम्परर क्योर’ (The Yellow Emperor’s Cure), ‘द कलकत्ता’ (The Kalkatta), ‘तेजस्विनी और शबनम’ और ‘जापानीज वाइफ’ (Japanese Wife) जैसी उपन्यास की रचना की है।
कुणाल बासु की लिखी उपन्यास ‘जापानीज वाइफ‘ बेहद चर्चित हुई है। अपर्णा सेन ने राहुल बोस, राइमा सेन और जापानी अभिनेत्री छिगासु तकाकू को लेकर 2008 में इस पर एक फिल्म भी बनाई है। एक जापानी बीवी के हिन्दुस्तानी पति की कहानी है ‘जापानीज वाइफ’। एक भारतीय की दोस्ती पत्रों के जरिए एक जापानी महिला से होती है। पत्राचार ही पत्राचार में वे शादी भी कर लेते हैं। पंद्रह साल तक चलने वाले इस संबंध में वे कभी मिलते नहीं मगर उनके बीच का संबंध पक्का है।
कुणाल बासु का कहना है कि वे काफी यात्राएँ करते हैं। अनुशासन से लिखते हैं। यही उनकी सफलता का रहस्य है। अपनी लिखी उपन्यास कलकत्ता के बारे में बताते हुए बासु कहते ‘आप बंगाली, मारवाड़ी, पंजाबी या तमिल हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता। एक बार कोलकाता में आए तो आप कलकत्ता वाले बन जाते हैं।कोलकाता पर बहुत कुछ लिखा गया है, फिर भी बहुत कुछ कहने से रह गया है। कुणाल बासु की ‘कलकत्ता’ इस शहर पर पहचान और संबंध के बारे में एक डार्क साइड बयान करती है।
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उपन्यास का मुख्य पात्र कलकत्ता का ‘जिगोलो किंग’ है। उसे तस्करी के जरिये बांग्लादेश से भारत भेजा गया था। पक्का कलकत्ता-वाला बनने के सपने के साथ वह जकरिया स्ट्रीट पर खेलते हुए बड़ा होता है। अमीर हाउसवाइफ, टूरिस्ट, ट्रैवलिंग एग्जीक्यूटिव और कभी कभी बेशुमार पैसा देने वाली ‘खतरनाक’ पार्टियां उसकी ग्राहक बन जाती हैं। लेकिन उनकी दोहरी जिंदगी करवट लेती है जब वह ल्यूकेमिया रोग से ग्रस्त लड़के से मिलता है।
कुणाल बासु ने अपने उपन्यास तेजस्विनी और शबनम पर चर्चा करते हुए बताया की उपन्यास की दोनों पात्र ‘तेजस्विनी’ और ‘शबनम’ दोनो पश्चिम बंगाल की अनाथ लड़किया है जिनकी मुलाकात इराक के वॉर जोन में होती है। तेजस्विनी सीएनएन की जर्नलिस्ट है जबकि शबनम देह व्यापार में लिप्त है। दोनों महिलाओ की दोस्ती पर यह उपन्यास लिखा गया है। दोनों पात्रो के बीच समानता यह है की दोनों ही पश्चिम बंगाल की अनाथालय में पली बढ़ी है है। तेजस्विनी को एक एनआरआई दम्पति गोद लेकर अमेरिका चले जाते है जहाँ पर वह शिक्षा हासिल कर जर्नलिस्ट बन जाती है। जबकि शबनम को मानव तस्करो के हाथो बेच दिया जाता है जिससे वह देह व्यापार में धकेल दी जाती है।
कुणाल बासु ने अपने उपन्यास द मिनिएचरिस्ट (The Miniaturist) के बारे में भी खुलकर चर्चा की। द मिनिएचरिस्ट मुग़ल काल में बादशाह अकबर के ज़माने की सुंदर प्रेम कथा है जो उस दौर की भव्यता और उस दौर की सूफी, मुस्लिम, हिन्दू, पारसी और क्रिश्चियन समन्वय को भी दर्शाती है।
कार्यक्रम के अंत में द राइट सर्किल और अहसास वीमेन ऑफ़ उदयपुर की ओर से लेखक उपन्यासकार कुणाल बासु का सम्मान किया गया। इस अवसर पर द राइट सर्किल और अहसास वीमेन ऑफ़ उदयपुर की सदस्याओं कनिका अग्रवाल, मूमल भंडारी, रिद्धिमा दोशी, श्रद्धा मुर्डिया, शुभ सिंघवी और स्वाति अग्रवाल के अतिरिक्त शहर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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