डाॅ. महेन्द्र भानावत और जोरावर सिंह दानुभाई जादव संयुक्त रूप से डाॅ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार से होंगे सम्मानित

डाॅ. महेन्द्र भानावत और जोरावर सिंह दानुभाई जादव संयुक्त रूप से डाॅ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार से होंगे सम्मानित

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा लोक कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये पद्मभूषण डाॅ. कोमल कोठारी की स्मृति में ‘‘कोमल कोठारी स्मृति (लाइफ टाइम अचीवमेन्ट) लोक कला पुरस्कार’’ प्रदान किया जा रहा है इसके अंतर्गत लोक कला के क्षेत्र मे

 

डाॅ. महेन्द्र भानावत और जोरावर सिंह दानुभाई जादव संयुक्त रूप से डाॅ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेन्ट लोक कला पुरस्कार से होंगे सम्मानित

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा लोक कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये पद्मभूषण डाॅ. कोमल कोठारी की स्मृति में ‘‘कोमल कोठारी स्मृति (लाइफ टाइम अचीवमेन्ट) लोक कला पुरस्कार’’ प्रदान किया जा रहा है इसके अंतर्गत लोक कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये डाॅ. महेन्द्र भानावत, उदयपुर तथा श्री जोरावर सिंह दानुभाई अहमदाबाद को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है। आगामी 21 दिसम्बर को यह पुरस्कार माननीय राज्यपाल द्वारा प्रदान किया जायेगा। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों में पहला ऐसा केन्द्र होगा जिसने लोक कला के क्षेत्र में लाइफ टाइम अचीवमेन्ट पुरस्कार पिछले साल प्रारम्भ किया है।

केन्द्र निदेशक श्री फुरकान ख़ान ने प्रेस काॅन्फ्रेन्स में इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि माननीय राज्यपाल की प्रेरणा एवं पहल पर केन्द्र द्वारा वर्ष 2017 से प्रति वर्ष मूर्धन्य लोक कला मर्मज्ञ पद्मभूषण डाॅ. कोमल कोठारी की स्मृति में यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि यह पुरस्कार केन्द्र के सदस्य राज्यों में लोक कला के क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्ति व संस्था को प्रदान किया जायेगा। पुरस्कार के अंतर्गत राशि रूपये दो लाख इक्यावन हजार का चैक, प्रशस्ति स्वरूप रजत पट्टिका एवं शाॅल पहनाया जायेगा।

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पद्मभूषण डाॅ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेन्ट पुरस्कार वर्ष 2018 में राजस्थान से उदयपुर के डाॅ. महेन्द्र भानावत एवं गुजरात से अहमदाबाद के जोरावर सिंह दानुभाई जादव को प्रदान किया जा रहा है।

डाॅ. महेन्द्र भानावत का परिचय

डाॅ. महेन्द्र भानावत का जन्म 13 नवम्बर 1937 को कानोड़ में श्री प्रतापमल भानावत के परिवार मे हुआ। डाॅ. भानावत ने लोक कला के क्षेत्र में अपने लेखन की शुरूआत पद्मश्री देवी लाल सामर के सानिध्य में भारतीय लोक कला मण्डल में शोध सहायक के रूप में की। इसके पश्चात् वर्ष 1963 से 1967 तक आपने राजस्थान विद्यापीठ में शोधाधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ दी। तदुपरान्त डाॅ. महेन्द्र भानावत ने वर्ष 1967 से 1995 तक में भारतीय लोक कला मंडल के अनुसंधान अधिकारी, उपनिदेशक और फिर निदेशक के पद पर अपनी सेवाएँ दी। डाॅ. भानावत के देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में 9000 लेखों का प्रकाशन हुआ है। डाॅ. भानावत द्वारा लोक कला, साहित्य संस्कृति एवं आदिवासी जीवन धारा विषयक 90 पुस्तकों का लेखन किया गया व उनका प्रकाशन हुआ। इसके अलावा डाॅ. भानावत ने कला पर आधारित पत्र पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। डाॅ. भानावत को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी से फैलोशिप, साहित्य अकादमी नई दिल्ली, राजस्थान साहित्य अकादमी जैसी संस्थाओं के साथ-साथ ही आपने देश की कई लब्ध प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ लोक साहित्य पर कार्य और यात्राएँ की हैं। वर्तमान में आप लेखन के साथ-साथ शोध संकलन में संलग्न हैं।

श्री जोरावर सिंह दानुभाई जादव का परिचय

श्री जोरावर सिंह दानुभाई जादव का जन्म 10 जनवरी 1940 को हुआ। गुजरात में लोक कला और संस्कृति के क्षेत्र में श्री जोरावर सिंह जादव जी का नाम बड़े आदर और सम्मान से लिया जाता है। आपने अल्पायु में अपना जीवन कला का समर्पित कर दिया तथा लोक कला, साहित्य के क्षेत्र में आपका ज्ञान आज कई कलाकारों को मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

आपके कार्य करने का सलीका कई औरों से भिन्न है। आप सर्वप्रथम लोक कलाकार की पहचान कर उसकी अपनी भाषा में उससे संवाद स्थापित करते हैं और फिर लोक कला, साहीत्य, संस्कृति तथा उसके सामाजिक व आर्थिक सरोकारों पर कार्य करते हैं। आपके सानिध्य में गुजरात के कई लोक कलाकार देश विदेश में अपनी कला प्रदर्शन कर चुके हैं। आप द्वारा ‘गुजरात लोक कला फाउण्डेशन’ की स्थापना की गई जिसके माध्यम से कई कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय मंच उपलब्ध हुए हैं। आपकी पहल पर आप प्रत्येक वर्ष श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले लोक कला दलों को पारितोषिक प्रदान करने का महत्ती कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं आपने विशेष दिव्यांग कलाकारों के लिये भी एक पुरस्कार की पहल की है। इसके लावा आप की साहित्य में भी रूचि है। आपकी अनेक पुस्तकों को गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया है।

लोक कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये श्री जोरावर सिंह दानुभाई जादव को अनेक राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय मंचों पर पुरस्कृत किया जा चुका है।

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