मोहन से मसीहा का प्रभावपूर्ण मंचन

मोहन से मसीहा का प्रभावपूर्ण मंचन

उदयपुर, 5 अक्टूबर, 2019 भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर द्वारा महात्मा गाॅधी के 150वें जयन्ती वर्ष के अवसर पर आयोजित महात्मा गाॅंधी स्मृति नाट्य समारोह के दूसरे दिन नाटक ‘‘मोहन से मसीहा’’ का प्रभावपूर्ण प्रदर्शन किया गया ।

 

मोहन से मसीहा का प्रभावपूर्ण मंचन

उदयपुर, 5 अक्टूबर, 2019 भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर द्वारा महात्मा गाॅधी के 150वें जयन्ती वर्ष के अवसर पर आयोजित महात्मा गाॅंधी स्मृति नाट्य समारोह के दूसरे दिन नाटक ‘‘मोहन से मसीहा’’ का प्रभावपूर्ण प्रदर्शन किया गया ।

भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि नाटक मोहन से मसीहा दिनांक 2 अक्टूबर को स्कूली बच्चों के प्रश्न से प्रारम्भ होता है, जिसमें बच्चे 2 अक्टूबर का महत्व एवं महात्मा गांधी के जीवन से एक दूसरे को परिचित कराते है । इसी बीच अध्यापक बच्चों को महात्मा गांधी के जन्म स्थान, उनके पिता तथा माता के बारे में जानकारी देते है, तथा बताते है की बचपन में कुछ गलत बच्चों कि संगत में आकर महात्मा गांधी तम्बाकू एवं मांस मदीरा का सेवन करने लगे है । परन्तु थोडे ही समय बाद उन्हें लगा की यह सब गलत है और इसका प्रायष्चित करना चाहिए तो वह अपनी गलती मानते है तथा एक पत्र लिख कर अपने पिता से माफी मांगते है।

नाटक में महात्मा गांधी बेरिस्टर बनने हेतु वकालत करने के लिए दक्षिण आफ्रिका जाते है। दक्षिण आफ्रिका जाते समय ट्रेन में, ताॅंगेवाले द्वारा पिटाई करने कोढ़ी की सेवा, और युद्ध में जख्मी लोगों की सेवा तथा आश्रम बनाने के दृष्यों को प्रभावपूर्ण बनाया गया है। साथ ही नाटक में भारत में साबरमति आश्रम बनाने, चम्पारण में किसानों के दुख -दर्द, जालियाँ वाला बाग हत्याकांड, दाण्डी यात्रा, पूना के आगाखाँन महल में कैदी का जीवन तथा दिल्ली में बिरला मन्दिर में उनकी हत्या का दृष्य बहुत ही सशक्त बनाया है । उक्त नाटक का लेखन एवं निर्देशन भारतीय कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने किया है।

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वृद्ध गाँधी और सरपंच- प्रबुद्ध पाण्डेय, युवा गाँधी और रहीम- गंगेश्वर तिवारी, बालक गाँधी और अंग्रेज़- ईशान टण्डन, पुतली बाई और औरत 1- अनुकम्पा लईक, औरत 2 – शिप्रा चटर्जी, कस्तूरबा और सुशीला नायर- मनीषा शर्मा, महादेव और नाथुराम गोडसे – योगेश गर्ग, महाराज और कोचवान-यशराज सोनी, मावजी बाई और राम-कल्याण वैष्णव, जनरल डायर-कुनाल मेहता, श्याम-प्रदीप साहू, राजा-रोहित राठौड़, छात्र और भारतीय नौजवान- नवीन कुमार चौबीसा एवं बाल कलाकार – गितिशा पाण्डेय ने किया।

नाटक में मंच परे लेखन परिकल्पना और निर्देशन- डाॅ. लईक हुसैन, मंच व्यवस्थापक- प्रबुद्ध पाण्डेय, प्रकाश परिकल्पना – कविराज लईक़ (रा.ना.वि.), वस्त्र विन्यास-अनुकम्पा लईक़, नृत्य संयोजन- शिप्रा चटर्जी, संगीत परिकल्पना – गंगेश्वर तिवारी, संगीत संचालन – चेतन टिक्यानी एवं मंच सज्जा एवं परिकल्पना -प्रबुद्ध पाण्डेय एवं कविराज लईक़ ने किया है।

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