गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल उदयपुर को ड्रग कंट्रोलर (इंडिया) द्वारा प्लाज्मा थेरेपी हेतु लाईसेन्स प्राप्त होने के पश्चात गीतांजली हॉस्पिटल उदयपुर का पहला प्लाज्मा थेरेपी करने वाला निजी अस्पताल बन चुका है। प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना रोगियों के इलाज के रूप में काम में लिया जा रहा है।
प्लाज्मा देने के लिए जो भी पुरुष रोगी जिसे कोरना नेगेटिव हुए 28 दिन हो चुके हैं वह अपना प्लाज्मा दे सकता है और साथ ही जो महिलाएं जिन्होंने गर्भ धारण नही किया और कोरोना नेगेटिव होने के 28 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकती हैं। प्लाज्मा दान करने से पूर्व रोगी के स्वास्थ की जाँच की जाती है और साथ डोनर की एंटी बॉडीज एवं अन्य ट्रांसमिटेड, ट्रांसफ्यूज़न इन्फेक्शन की जाँच की जाती है जिससे कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्लाज्मा देने से पूर्व डोनर को किसी तरह का कोई संक्रमण नही है।
आज गीतांजली हॉस्पिटल में उदयपुर निवासी 43 वर्षीय प्लाज्मा डोनर महेश कुमार (परिवर्तित नाम) जिनका ब्लड ग्रुप ए.बी.पॉजिटिव है के द्वारा पहला प्लाज्मा गीतांजली हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में भर्ती 36 वर्षीय रोगी मनीष कुमार (परिवर्तित नाम) जो कि ए.बी.पॉजिटिव हैं के लिए दान कर प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत की गयी।
मेडिकल सुप्रीटेनडेंट डॉ. नरेन्द्र मोगरा ने बताया कि गीतांजली हॉस्पिटल हमेशा अग्रणी रूप से हेल्थकेयर, गुणवत्ता एवं शोध पर ध्यान देता आया है व अपनी जिम्मेदारियों को निभाता आया है। कोरोनाकल में गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा पहले आर.टी.पी.सी.आर लैब की शुरुआत और अब जब कोरोना महामारी के फिर से गति पकड़ने पर प्लाज्मा थेरेपी का आरम्भ होना, कोरोना की जंग से झूझ रहे रोगियों के लिए वरदान है। प्लाज्मा थेरेपी द्वारा रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता एक स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रान्सफर की जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली हॉस्पिटल ने चिकित्सा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं परन्तु आज जो वातावरण कोरोना की वजह से बन चुका है उसमे गीतांजली हॉस्पिटल का ये अथक प्रयास जन हित में बहुत महत्वपूर्ण है।
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