पत्नी व बच्चों के नाम की बेनामी सम्पत्ति भी सरकार की


पत्नी व बच्चों के नाम की बेनामी सम्पत्ति भी सरकार की

यदि आप सरकार की आंखो में धूल झोंक कर पत्नी व बच्चों के नाम सम्पत्ति एकत्रित कर रहे हे तो सावधान हो जाईयें क्योंकि सरकार की नजर में आते ही वह सम्पत्ति आपकी नहीं सरकार की हो जायेगीे। यह कहना था जयपुर के एडवोकेट संजय झंवर का। जो आज द इन्स्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट ऑफ़ इंडिया की कमेटी ऑन अकाउन्टिंग, स्टेण्डर्ड फाॅर लोकल बाॅडिज, बैंकिग, इंश्योरेंस व फाईनेन्शियल सर्विसेज व उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में सौ फीट रोड़ स्थित ओपेरा गार्डन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे।

 

पत्नी व बच्चों के नाम की बेनामी सम्पत्ति भी सरकार की

यदि आप सरकार की आंखो में धूल झोंक कर पत्नी व बच्चों के नाम सम्पत्ति एकत्रित कर रहे हे तो सावधान हो जाईयें क्योंकि सरकार की नजर में आते ही वह सम्पत्ति आपकी नहीं सरकार की हो जायेगीे। यह कहना था जयपुर के एडवोकेट संजय झंवर का। जो आज द इन्स्टीट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट ऑफ़ इंडिया की कमेटी ऑन अकाउन्टिंग, स्टेण्डर्ड फाॅर लोकल बाॅडिज, बैंकिग, इंश्योरेंस व फाईनेन्शियल सर्विसेज व उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में सौ फीट रोड़ स्थित ओपेरा गार्डन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे।

मीडिया प्रभारी दीपक एरन ने बताया कि झवंर ने बेनामी अधिनियम पर पुराने व नये नियम को समझाते हुए कहा कि देश में अब तक राजस्थान में असीमित प्रोपर्टी अटेच की गई है। उन्होेंने यह भी कहा कि पत्नी व बच्चों के नाम ली गई प्रोपर्टी भी बेनामी सम्पत्ति के दायरे में आ जायेगी। यदि उसका स्त्रोत उपलब्ध नहीं कराया गया तो ऐसी स्थिति में सरकार उस प्रोपर्टी को लेने की हकदार हो जायेगी।

झंवर ने कहा कि सरकार के पास लेण्ड रेवेन्यू, आयकर विभाग व कम्पनी अधिनियम के तहत बेनामी सम्पत्ति के आंकड़े उपलब्ध हो रहे है। जिनका उपयोग भविष्य में ऐसी सम्पत्तियों को उजागर करने में होगा। विशिष्ठ परिस्थितियों में बेनामी सम्पत्ति जाने के साथ-साथ मार्केट दर की 25 प्रतिशत तक शास्ती वसूलने के साथ-साथ 7 वर्ष तक की जेल भी हो सकती है। सत्र की अध्यक्षता सीए निर्मल सिंघवी ने की।

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शाखा चेयरमेन सीए पंकज जैन ने बताया कि इस सत्र में दिल्ली से आये एडवोकेट कपिल गोयल ने कहा कि देश में अधिकांश मामलों में आयकर निर्धारण मनमर्जी से किये जा रहे है और ऐसे मामलें अपील में खारिज हो जाते है, जिसमें धन एवं समय दोनों की बर्बादी होती है। गोयल ने यह भी कहा कि कर विभाग को ऐसे कर निर्धारणों से बचना चाहिये क्योंकि उच्च अदालतों में इस तरह के मामलों की अवमानना के गंभीर परिणाम हो जाते है। उन्होंने कहा कि कानून को उसे लागू करने की भावना से देखा जाना चाहिये। उन्होंने धारा 115 बीबीई के बारें में बताया कि यदि आय को कोई स्त्रोत उपलब्ध है तो इस तरह के अधिकतम टेक्स करदाता से नहीं लिये जा सकते है। सत्र की अध्यक्षता सीए वी.एस.नाहर ने की।

सचिव विशाल मेनारिया ने बताया कि तृतीय सत्र में दिल्ली के सीए अभिषेक सिंघानिया ने जीएसटी के वार्षिक रिटर्न एवं जीएसटी ऑडिट की बारीकियों पर प्रकाश डाला। सत्र की अध्यक्षता श्याम एस.सिंघवी ने करते हुए कहा कि इन रिटर्न में अनेक जटिल बारीकियां है, जो समय के साथ सुलझ जायेगी, साथ ही सीए साथियों को जीएसटी ऑडिट करते समय सचेत रहने को कहा।

विशेष सत्र में गीताजंली हाॅस्पिटल के ह्दय रोग विशेषज्ञ रमेश पटेल ने सीए सदस्यों को ह्दय रोग से बचने के गुर बताते हुए भारी खानपान से बचने की सलाह दी। उन्होेंने कहा कि दिनचर्या में जरा सा बदलाव लाने से जीवन के जीने का स्तर अच्छा हो जाता है और पहले से बेहतर महसूस करते है।

पत्नी व बच्चों के नाम की बेनामी सम्पत्ति भी सरकार की

समापन सत्र में शाखा चेयरमेन पंकज जैन ने सभी साथियों का आभार ज्ञापित किया एवं सम्मेलन को सफल बनाने के लिये सीए चिराग धर्मावत, सीए प्रतीक हिंगड़, सीए अभिषेक संचेती, सीए शैलेन्द्र कुणावत, सीए संगीता बोर्दिया, सीए दिलीप बाबेल, सीए रोहन मित्तल, सीए रौनक जैन, सीए मिनाक्षी भेरवानी, सीए अंशुल कटेजा, सीए केतन जैन, सीए दीपक एरन को सम्मानित किया। सत्र की अध्यक्षता काॅन्फ्रेन्स डायरेक्टर डाॅ. निर्मल कुणावत ने की।

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