हिन्दुस्तान जिंक को पहले यूरोपीय पेटेंट – ईपी 3192882 की मंजूरी

हिन्दुस्तान जिंक को पहले यूरोपीय पेटेंट – ईपी 3192882 की मंजूरी

हिन्दुस्तान जिंक के जेडएन टेक जो कि पूर्व में केंद्रीय अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (सीआरडीएल) द्वारा पोटेशियम एंटिमोनी टार्टारेट के उत्पादन के लिए विधि एंटीमैनी बीयरिंग रेजीड्यूज यानि अवशेषों के उपयोग के तरिकों का पेटेंट विकसित किया है। पेटेंट जिंक और लेड स्मेल्टर्स के एंटीमनी धारक उप उत्पाद के उपचार की प्रक्रिया के लक्षणों को बताता है और इसे एक मूल्य वर्धित उत्पाद, पोटेशियम एंटिमोनी टारटरेट (पीएटी) में परिवर्तित करता है।

 

हिन्दुस्तान जिंक को पहले यूरोपीय पेटेंट – ईपी 3192882 की मंजूरी

हिन्दुस्तान जिंक के जेडएन टेक जो कि पूर्व में केंद्रीय अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (सीआरडीएल) द्वारा पोटेशियम एंटिमोनी टार्टारेट के उत्पादन के लिए विधि एंटीमैनी बीयरिंग रेजीड्यूज यानि अवशेषों के उपयोग के तरिकों का पेटेंट विकसित किया है। पेटेंट जिंक और लेड स्मेल्टर्स के एंटीमनी धारक उप उत्पाद के उपचार की प्रक्रिया के लक्षणों को बताता है और इसे एक मूल्य वर्धित उत्पाद, पोटेशियम एंटिमोनी टारटरेट (पीएटी) में परिवर्तित करता है।

जस्ता धातु के उत्पादन के लिए जिंक सल्फेट के घोल की शुद्धि हेतु जिंक हाइड्रो स्मेल्टर्स द्वारा पीएटी का उपयोग किया जा रहा है। पेटेंट प्रक्रिया का व्यवसायीकरण हो चुका है और 2016 से दरीबा स्मेल्टिंग काॅम्प्लेक्स में सहायक सेटअप में सफलतापूर्वक चल रहा है। पीएटी का लगभग 75 एमटी सालाना उत्पादन किया जाता है जो हिन्दुस्तान जिंक हाइड्रो स्मेल्टर्स द्वारा आंतरिक रूप से खपत किया जाता है।

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हिन्दुस्तान जिंक की अनुसंधान एवं विकास टीम पेटेंट पोर्टफोलियो विकसित करने पर लगातार काम कर रही है। इस तकनीक पर अमेरिकी पेटेंट आवेदन और भारतीय पेटेंट आवेदन भी प्रसंस्करण के अधीन हैं। इसके अलावा, हिंदुस्तान जिंक ने 4 राष्ट्रीय और 2 अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट दायर किए हैं। पेटेंट की मंजूरी हिन्दुस्तान जिंक में किए जा रहे नवाचार की गुणवत्ता को और मान्यता प्रदान करता है।

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