गृहमंत्री ने किया प्रदेश के पहले आर्किड फेस्टीवल का शुभारम्भ
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने शुक्रवार को सज्जनगढ़ बायोलाॅजिकल पार्क के पार्किंग स्थल पर तीन दिवसीय ऑर्किड फेस्टीवल का फीता काट कर शुभारम्भ किया। वन विभाग की ओर से आयोजित अपनी तरह का प्रदेश का यह पहला फेस्टीवल है जिसमें ऑर्किड की स्थानीय और अन्य राज्यों की विभिन्न प्रजातियां प्रदर्शित की गई हैं।
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने शुक्रवार को सज्जनगढ़ बायोलाॅजिकल पार्क के पार्किंग स्थल पर तीन दिवसीय ऑर्किड फेस्टीवल का फीता काट कर शुभारम्भ किया। वन विभाग की ओर से आयोजित अपनी तरह का प्रदेश का यह पहला फेस्टीवल है जिसमें ऑर्किड की स्थानीय और अन्य राज्यों की विभिन्न प्रजातियां प्रदर्शित की गई हैं।
इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर, इंद्रपाल सिहं मथारू, उप वन संरक्षक हरिणी वी, ओपी शर्मा, सुहैल मजबूर, शैतान सिंह देवड़ा सहित अन्य अधिकारी एवं प्रकृति प्रेमी उपस्थित रहे।
कटारिया ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और विभाग के प्रयासों को सराहा। रंग बिरंगे ऑर्किड के फूलों देखकर गृहमंत्री अभिभूत हुए और प्रत्येक के बारे में जिज्ञासा प्रकट करते हुए जानकारी ली। भटनागर एवं हरिणी वी ने बताया कि यहां प्रदर्शित अधिकांश ऑर्किड फुलवारी की नाल से लाकर प्रदर्शित किए गये हैं जो वहां प्राकृतिक रुप से पाए जाते हैं। कुछ प्रजातियों को केरल, कर्नाटक आदि राज्यों से लाकर प्रदर्शित किया गया है जो यहां के मौसम के अनुकूल हैं।
कटारिया ने विजिटर बुक में अपने संदेश में लिखा कि प्रकृति प्रेमियों को इन पौधों के बारे में जानकारी देने हेतु इस तरह की प्रदर्शियां लगाई जानी चाहिए। साथ ही ऐसे प्रयास करने की आवश्यकता है कि फुलवारी की नाल भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सके। इस अवसर पर गृहमंत्री एवं अन्य गणमान्यों ने ‘आर्किड का स्वर्ग फुलवारी की नाल‘ पर आधारित चित्रनुमा ब्राॅशर का भी विमोचन किया।
बिक्री को उपलब्ध हैं ऑर्किड
भटनागर ने बताया कि तीन दिवसीय प्रदर्शनी प्रतिदिन प्रातःकाल 10 बजे से सांयकाल 6 बजे तक आमजन के लिए खुली रहेगी। यहां पर प्रदर्शित ऑर्किड को निर्धारित मूल्य चुकाकर खरीदा भी जा सकता है।
मगरमच्छ के संरक्षण पर जताई खुशी
गृहमंत्री कटारिया ने सज्जगढ़ बायोलाॅजिकल पार्क में पल रहे मगरमच्छ के 16 बच्चों के संरक्षण को लेकर किये जा रहे प्रयास पर प्रसन्नता जताई। उन्होने स्वयं इन बच्चों को देखा और इनको बचाने हेतु किया जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार इनके भोजन आदि की व्यवस्था की जाती है।
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