झील स्वच्छता व स्मार्ट सिटी के लिए घर घर जाकर आग्रह

झील स्वच्छता व स्मार्ट सिटी के लिए घर घर जाकर आग्रह

झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति, डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट तथा गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के तत्वावधान में झील सफाई समूह ने नागा नगरी क्षेत्र में घर घर जाकर रहवासियों से झील स्वच्छता, शहर स्वच्छता अभियान से जुड़ने का आग्रह किया गया। प्रारम्भ में समूह सदस्यों ने श्रमदान कर पीछोला के नागा नगरी छोर से खरपत

 
झील स्वच्छता व स्मार्ट सिटी के लिए घर घर जाकर आग्रह

झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति, डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट तथा गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के तत्वावधान में झील सफाई समूह ने नागा नगरी क्षेत्र में घर घर जाकर रहवासियों से झील स्वच्छता, शहर स्वच्छता अभियान से जुड़ने का आग्रह किया गया। प्रारम्भ में समूह सदस्यों ने श्रमदान कर पीछोला के नागा नगरी छोर से खरपतवार, प्लास्टिक, पॉलीथिन व मलबे को हटाया।

श्रमदान में लक्षवर्धन सिंह, दीप्ती चौहान, डॉ निष्ठा जैन, पल्लव दत्ता, अनूप सिंह, मधु सूदन कुमावत, रमेशचंद्र राजपूत, केशव कांत जोशी, ध्रुपद सिंह, तेज शंकर पालीवाल, राम लाल, डॉ अनिल मेहता, नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।

इस अवसर पर झील विकास प्राधिकरण समिति के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि प्लास्टिक, पॉलीथिन व घरेलू कचरे से झील पर्यावरण दूषित हो रहा है। झीलों का पानी हमारे पीने के काम आता है। लेकिन इनमें रोजाना भारी मात्रा में पॉलीथिन, प्लास्टिक, शराब बीयर की बोतलें, फूल मालाएं, नारियल, बचा खुचा मांस व हर प्रकार का घरेलू कचरा, गंदगी फैंका जाता है। यह झीलों पर अत्याचार है।

झील विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि कचरे व गंदगी के विसर्जन से पानी खराब हो रहा है एवं जहरीला हो रहा है। प्लास्टिक, पॉलीथिन के कचरे से नपुसंकता व बांझपन जैसी समस्याएं बढ़ सकती है। स्मार्ट सिटी बनाने के लिए झीलों का स्वच्छ होना पहली आवश्यकता है। झील क्षेत्र में पॉलीथिन पर अंकुश लगाने के लिए समग्र प्रयास करने जरूरी है।

झील स्वच्छता व स्मार्ट सिटी के लिए घर घर जाकर आग्रह

गांधी मानव कल्याण समिति के सदस्य नंद किशोर शर्मा ने कहा कि कोई और आकर इन झीलों को नही बचा सकता। झीले हमारे जीवन व आजीविका का आधार है। उदयपुर के नागरिकों को ही इन्हें स्वच्छ व सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लेनी होगी।

पर्यावरण कार्यकर्ता दिगम्बर सिंह अनूप सिंह, दीप्ति चौहान ने घर घर जाकर आग्रह किया कि घर से निकलते समय परिवार के सभी सदस्य कपड़े की थैलियाँ साथ रखें – जेब में, गाड़ी में, पर्स में सदैव ही कुछ थैलियाँ रखे रहने दें।

डॉ निष्ठा जैन ,पल्लब दत्ता, रमेश चंद्र राजपूत ने लोगों से मंदिर मस्जिद की पूजा व आराधना सामग्री झील में बहाने की जगह जैविक खाद बनाने व मिट्टी को उपजाऊ करने के कार्य में इस्तेमाल करने की अपील की।

केशव कांत जोशी, मधुसूदन कुमावत, ध्रुपद सिंह ने कहा कि कचरे को नाली में जाने से या सड़क पर बिखरने से रोकना चाहिए। इससे नालियां चोक होकर सड़क पर पानी फैलता है और गंदा पानी झील में चला जाता है ।

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