रेरा में पंजीयन नहीं तो बिल्डर्स पर होगी कानूनी कार्यवाही

रेरा में पंजीयन नहीं तो बिल्डर्स पर होगी कानूनी कार्यवाही

राजस्थान रियल एस्टेट (रेगुलेशन एवं डवलप्मेंट) एक्ट, 2016 गत 1 मई 2017 से लागू है। इस एक्ट का मूल उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर को रेग्यूलेट करने तथा ग्राहकों एवं विकासकर्ताओं के हित में अधि

 

रेरा में पंजीयन नहीं तो बिल्डर्स पर होगी कानूनी कार्यवाही

रेरा बिल्डर व उपभोक्ताओं के बीच एक कड़ी है, इससे धोखाधड़ी रुकेगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। यह बात राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव और राजस्थान रेरा के चेयरमैन पवन कुमार गोयल ने गुरुवार को उदयपुर के नगर निगम सभागार में उदयपुर संभाग के निकायों के अफसरों, बिल्डर्स व डवलपर्स के साथ आयोजित रेरा जागरूकता कार्यक्रम के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि रेरा में बिल्डर्स को पंजीयन कराना जरूरी है और ऐसा नहीं करता है तो उसके लिए कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। श्री गोयल ने कहा कि बिल्डर्स व डवलपर्स से मकान खरीदने वाला उपभोक्ता अपनी शिकायत कहां करें इसके लिए भारत सरकार ने रेरा कानून बनाया है और राजस्थान में यह कानून 2017 से कार्यरत है।

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रेरा एक्ट

राजस्थान रियल एस्टेट (रेगुलेशन एवं डवलप्मेंट) एक्ट, 2016 गत 1 मई 2017 से लागू है। इस एक्ट का मूल उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर को रेग्यूलेट करने तथा ग्राहकों एवं विकासकर्ताओं के हित में अधिकारों के प्रति जागरूक कर इसकी रक्षा करना है।

उन्होंने कहा कि शहरी हो या ग्रामीण सभी बिल्डर्स पर रियल एस्टेट रेगुलेशन एण्ड डवलपमेंट एक्ट (रेरा) लागू होगा। रेरा का उद्देश्य बिल्डर्स एवं उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखना है। उन्होंने कहा कि रेरा एक्ट से बिल्डर्स अथवा डवलपर्स एवं उपभोक्ताओं के मध्य हुए करार में गुणवत्ता एवं पारदर्शिता के साथ तय समयावधि में कार्य होगा और उपभोक्ताओं को पूर्ण संरक्षण मिलेगा। जिस प्रकार टेलीफोन कंपनियों एवं उसके उपभोक्ताओं के लिए ट्राई बना है उसी प्रकार बिल्डर्स व मकान खरीदने वालों के लिए रेरा बना है।

रेरा आॅर्थोरिटी की कार्यप्रणाली

श्री गोयल ने बताया कि रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) के तहत उपभोक्ता के संरक्षण के साथ उनकी शिकातयों का समाधान किया जाकर राहत प्रधान की जाएगी। उन्होंने बताया कि बिल्डर्स या डवलपर्स की ओर से बेची जाने वाली प्रोपर्टी के लिए उपभोक्ता से पूर्व में निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क वसूलने, समय पर डिलवरी नहीं करने, गुणवत्ता में कमी तथा स्थान के क्षेत्रफल में कमी होने संबंधी शिकायते रेरा आॅर्थोरिटी में की जा सकेगी।

रेरा राजस्थान के रजिस्ट्रार सतीश कुमार शर्मा ने कानून व नियमों के बारे में बताते हुए इसके प्रति जागरूकता लाने की बात कही। यूआईटी चेयरमैन रवीन्द्र श्रीमाली ने रेरा को आज की आवश्यकता बताते हुए कहा कि प्रन्यास की ओर से अपनी योजनाओं का रेरा के तहत पंजीकरण कराया गया है। जिला कलक्टर बिष्णुचरण मल्लिक ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि जिले में रेरा के प्रावधान के तहत ही सभी कार्य हो।

कार्यक्रम में यूआईटी सचिव उज्ज्वल राठौड़, नगर निगम आयुक्त सिद्धार्थ सिहाग, बिल्डर्स हेमंत छाजेड़, वीरेन्द्र बापना, ऋषभ भानावत, अजय जैन, अर्जुनसिंह चुंडावत, यूआईटी ओएसडी ओपी बुनकर, यूआईटी भूमि अवाप्ति अधिकारी पुष्पेन्द्रसिंह शेखावत आदि उपस्थित थे।

उन्होंने बताया कि रेरा आॅर्थोरिटी ने अपनी वेबसाइड डवलप कर ली है जिसमें उपभोक्ता अपनी शिकायत आॅनलाईन दर्ज करा सकता है। शिकायत दर्ज होने पर आॅर्थोरिटी के अधिकारी संबंधित बिल्डर एवं शिकायतकर्ता की सुनवाई करते है तथा सुनवाई के पश्चात सारे तथ्य चेयरमैन के समक्ष प्रस्तुत किये जाते है। इसमें सर्वप्रथम यह प्रयास किया जाता है कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाये तथा समझौता नहीं होने की स्थिति में संबंधित बिल्डर अथवा डवलपर्स के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाती है।

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