कोरोना काल में मीडिया विश्वसनीय जानकारी के जरिये पाठकों-दर्शकों में विश्वास बहाली करे- तिवारी


कोरोना काल में मीडिया विश्वसनीय जानकारी के जरिये पाठकों-दर्शकों में विश्वास बहाली करे- तिवारी 

एमएलएसयू - पत्रकारिता विभाग का दो दिवसीय वेबिनार शुरू
 
कोरोना काल में मीडिया विश्वसनीय जानकारी के जरिये पाठकों-दर्शकों में विश्वास बहाली करे- तिवारी
नए दौर की पत्रकारिता और चुनोतिया- कोरोना काल के विशेष सन्दर्भ में 

उदयपुर 8 जून 2020। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से दो दिवसीय वेबिनार सोमवार को शुरू हुआ।  

"नए दौर की पत्रकारिता और चुनोतिया- कोरोना काल के विशेष सन्दर्भ में" विषयक इस वेबिनार में सोमवार को उद्घाटन सत्र में एनडीटीवी नई दिल्ली के सीनियर आउटपुट एडिटर राकेश तिवारी ने कहा कि महामारी के इस दौर में पाठकों और दर्शकों में विश्वास बहाली का संकट पैदा हो गया है। यह संकट ना सिर्फ मीडिया और जनता के बीच है बल्कि केंद्र और राज्य के बीच में भी है, अन्य नियामक संस्थाओं और घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों के बीच भी है। ऐसे में पत्रकारों को अलर्ट रहते हुए सच दिखाना चाहिए ताकि वो जनता के साथ, उनकी पीड़ा और दुख के साथ खड़ा दिखाई पड़े। 

उन्होंने कहा कि कोरोना के इस दौर में हर और आंकड़ों की भरमार है। हमे सरकारी आंकडों पर भरोसा करने को कहा जाता है लेकिन एक पत्रकार के नाते हमें सच्चाई का पता भी लगाना होगा ताकि पाठक और दर्शक तक विश्वनीय जानकारी पहुँच सके। उन्होंने कहा कि पत्रकार जगत सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है क्योंकि वह जान जोखिम में डाल कर हॉटस्पॉट इलाकों में रिपोर्टिंग भी कर रहा है तो दूसरी ओर विज्ञापनों के अभाव में आर्थिक संकट में मीडिया सँस्थानों का दबाव भी वही झेल रहा है।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो संजय लोढा ने कहा कि 'मीडिया मासीफिकेशन' के दौर में मीडिया कर्मियों की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। कई बार सवाल उठते है कि हैं कि महामारी में सरकार असली आंकड़ा छुपा रही है ऐसे में सही कंटेंट के लिए मीडिया कर्मियों को शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों से बात करनी चाहिए ताकि असल स्थिति सामने आ सके। 

उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों का गांवों में पलायन हो रहा हैं, ऐसे में ग्रामीण इलाको की रिपोर्टिंग और उनके हालत दिखाना भी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ट्रेडिशनल मीडिया के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बन कर खड़ा है उससे निपटने के लिए भी कमर कसनी होगी। 

वेबिनार के दूसरे सत्र में डिजिटल मीडिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म ईटीवी भारत के संपादक नरेश दवे ने कहा कि लोक डाउन और कोरोना काल में डिजिटल मीडिया की भूमिका और स्वीकार्यता बढ़ी है। चाहे वो अखबारों के डिजिटल एडिशन के रूप में हो चाहे विजुअल खबरें हो। इंटरनेट की सहज उपलब्धता ने भी इसकी राह आसान की है। सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है ऐसे में भविष्य का मीडिया भी इससे अछूता नहीं रहेगा।   

हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ मनोज लोढ़ा ने मूल पत्रकारिता को अब ग्रामीण पत्रिका की ओर मोड़ने की जरुरत बताई, उन्होंने चिंता जाहिर की, कि शहर का मजदूर अब गांव में शिफ्ट हो गया है ऐसे में वो किस हाल में हैं, उसका दुख दर्द जानने और उनकी बात सरकार तक पहुंचाने का काम मीडियाकर्मियों को करना चाहिए। दिल्ली दूरदर्शन के चंद्रशेखर ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया के बीच सेतु बनाने और नए मीडिया के भविष्य की संभावना पर अपने बात कही। 

वेबिनार के आयोजन सचिव व संयोजक और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ कुंजन आचार्य ने वेबिनार की संकल्पना बताते हुए विषय प्रवर्तन किया एवं अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया।  वक्ताओं ने सवाल जवाब सत्र में प्रतिभागियों की जिज्ञासा का समाधान भी किया।
 

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