एमपीयूएटी सीटीएई के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ


एमपीयूएटी सीटीएई के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ

उदयपुर 16 अक्टूबर 2019 । कॉलेज ऑफ़ टेक्नॉलजी एंड इंजीनियरिंग के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग एवं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में “डिजिटल टेक्नोलॉजीस फॉर स्मार्ट एग्रीकल्चर” नामक एक संयुक्त राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ आज हुआ। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़, माननीय कुलपति एमपीयूएटी, उदयपुर के द्वारा किया गया।

 

एमपीयूएटी सीटीएई के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग में राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ

उदयपुर 16 अक्टूबर 2019 । कॉलेज ऑफ़ टेक्नॉलजी एंड इंजीनियरिंग के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग एवं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में “डिजिटल टेक्नोलॉजीस फॉर स्मार्ट एग्रीकल्चर” नामक एक संयुक्त राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ आज हुआ। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़, माननीय कुलपति एमपीयूएटी, उदयपुर के द्वारा किया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में माननीय कुलपति, एम्. पी. यू ए टी ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में ” डिजिटल सेल ” की शुरुआत कृषि क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस सेल के माध्यम से हम पारम्परिक कृषि से स्मार्ट कृषि की ओर अग्रसर हो सकते हैं। स्मार्ट की व्याख्या करते हुए प्रो. राठौड़ ने कहा कि जो नियत हो, जिसको मापा जा सके तथा जिसमे तकनिकी का समावेश हो जिससे कि आम आदमी का जीवन आसान हो सके, वही स्मार्ट है।

डिजिटल तकनिकी का प्रयोग कृषि को भी स्मार्ट बना सकता है। कृषि के क्षेत्र में हमें इज़राइल से बहुत कुछ सीखने की जरुरत है। भारत का विकास केवल कृषि के ही विकास से संभव है लेकिन भारत में कृषि का अर्थ केवल फसल उगाना समझा जाता है जबकि हमें कृषि में फसल उगाने के साथ साथ, उसका प्रसंस्करण, कृषि बाजारों का सुदृढ़ीकरण तथा उसकी पहुँच को सुलभ बनाना भी शामिल है। ये सारे काम कृषि को डिजिटल तकनीकों से जोड़ने से ही संभव है और विश्वविद्यालय का डिजिटल सेल इस काम में अपने शोध तथा तकनिकी विकास से सहायता कर सकता है।

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इस कार्यशाला में प्रोफेसर एम् बी चेट्टी, माननीय कुलपति कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के द्वारा मुख्य सम्बोधन दिया गया। अपने सम्बोधन में प्रो. चेट्टी ने कहा कि कृषि का विकास पारम्परिक रूप से होते हुए हरित क्रांति तक पहुंची है। अब हमारे देश को प्रेसिजन फार्मिंग से होते हुए डिजिटल फार्मिंग की ओर बढ़ना है। विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे रोबोट्स, ड्रोन, स्मार्ट ऐन्टेना आदि का कृषि क्षेत्र में उपयोग आज के वक्त की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स के प्रयोग से हम 2070 तक अपने कृषि क्षेत्र का उत्पादन 70% तक बढ़ा सकते हैं तथा कृषि क्षेत्र में होने वाले उत्पादों के नुकसान को 25% तक कम कर सकते हैं।

कृषि के क्षेत्र में मौसम का बहुत बड़ा योगदान होता है तथा विभिन्न डिजिटल टेक्नोलॉजी जैसे मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस के द्वारा मौसम के बारे में सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। कृषि के क्षेत्र में तकनीकी का प्रयोग आज के वक्त की आवश्यकता है तथा इसके बिना हम कृषकों की आय के दुगना करने के सपने को पूरा नहीं कर सकते हैं।

इसके पहले कार्यक्रम के शुरुआत में कॉलेज ऑफ़ टेक्नॉलजी एंड इंजीनियरिंग के अधिष्ठाता डॉ. अजय कुमार शर्मा ने विभिन्न अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजक कमेटी को बधाई दी। कार्यक्रम के सचिव डॉ .सुनील जोशी ने कार्यक्रम के बारे में बताया तथा कार्यशाला के औचित्य को दर्शकों को समझाया। अंत में डॉ. नवनीत अग्रवाल ने धन्यवाद् प्रस्ताव पारित किया तथा उद्घाटन समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

विदित है कि इस कार्यशाला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और निजी संस्थानों में कार्यरत कृषि वैज्ञानिकों और उद्यमियों के द्वारा भी कार्यशाला को सम्बोधित किया जायेगा जिसमे प्रो. रबिन्द्र शाह तथा डॉ. प्रीता भद्रा, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर तथा प्रफुल्ल माथुर और अक्षय गर्ग, केप्लेनटेक प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम हरियाणा से सम्बंधित हैं।

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