केलवा के जगदीश ने रचा इतिहास, इंग्लिश चैनल किया फतह


केलवा के जगदीश ने रचा इतिहास, इंग्लिश चैनल किया फतह

राजसमंद के केलवा के जगदीश तेली ने अपने तीन अन्य दिव्यांग तैराक साथियों के साथ इंग्लिश चैनल पार कर सोमवार को नया इतिहास रच दिया। जगदीश ने यह साबित कर दिया कि अदम्य इच्छाशक्ति के साथ लगातार कोशिशें की जाए तो सफलता जरूर कदम चूमती है। दिव्यांग तैराकों ने समंदर की ऊंची लहरों पर फतह हासिल करते हुए यह अनूठा कीर्तिमान बनाया। इस कीर्तिमान को लेकर पूरे खेल जगत में अपार उत्साह एवं हर्ष का माहौल है। इंग्लैण्ड से फ्रांस तक की 36 किलोमीटर की समुद्री दूरी को उन्होंने 12 घंटे 26 मिनट में पार कर नया विश्व कीर

 
केलवा के जगदीश ने रचा इतिहास, इंग्लिश चैनल किया फतह

राजसमंद के केलवा के जगदीश तेली ने अपने तीन अन्य दिव्यांग तैराक साथियों के साथ इंग्लिश चैनल पार कर सोमवार को नया इतिहास रच दिया। जगदीश ने यह साबित कर दिया कि अदम्य इच्छाशक्ति के साथ लगातार कोशिशें की जाए तो सफलता जरूर कदम चूमती है। दिव्यांग तैराकों ने समंदर की ऊंची लहरों पर फतह हासिल करते हुए यह अनूठा कीर्तिमान बनाया। इस कीर्तिमान को लेकर पूरे खेल जगत में अपार उत्साह एवं हर्ष का माहौल है। इंग्लैण्ड से फ्रांस तक की 36 किलोमीटर की समुद्री दूरी को उन्होंने 12 घंटे 26 मिनट में पार कर नया विश्व कीर्तिमान रच दिया।

जगदीश के कोच व खेलगांव उदयपुर में ख्यातनाम वरिष्ठ तैराकी प्रशिक्षक महेश पालीवाल ने बताया कि कीर्तिमान के लिए बहुमुखी प्रतिभा के धनी जगदीश पिछले 1 महीने से इंग्लैंड में लगातार कठिन अभ्यास कर रहे थे। उनके साथ तीन अन्य दिव्यांग तैराक भी इंग्लिश चैनल रिले करने के लिए प्रेक्टिस कर रहे थे। जगदीश की तैयारियों का सिलसिला उदयपुर से शुरू हुआ, उसके बाद उन्होंने पूना और मुंबई में कठिन अभ्यास किया। इसके बाद इंग्लेण्ड में मौसम, तापमान और जलवायु की अनुकूल परिस्थितियों के बीच जगदीश ने अपने साथी तैराकों के साथ तैयारियों को परखा।

केलवा के जगदीश ने रचा इतिहास, इंग्लिश चैनल किया फतह

रविवार को उनका स्विमिंग का slot था। सुबह 7:40 बजे तैराकी शुरू हुई जिसकी शुरुआत जगदीश ने की। जगदीश ने बताया कि उस रोमांच को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। समंदर की लहरों को चुनौती देते हुए लगातार आगे लक्ष्य की ओर बढ़ चला। इसके बाद अन्य दिव्यांग साथी सत्येंद्र सिंह मध्य प्रदेश, चेतन रावत महाराष्ट्र, रिमो साहा पश्चिम बंगाल ने चुनौती को स्वीकार करते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए इंग्लिश चैनल रिले के लक्ष्य का हासिल कर लिया। इस मिशन में 12 घंटे 26 मिनट का वक्त लगा। इस बीच उन्हें समंदर की ऊंची-ऊंची लहरों के थपेड़ों का सामना तो करना ही पड़ा, जैलीफिश से भी बचकर निकलना पड़ा। जगदीश ने बताया कि सबसे मुश्किल था करंट में स्विमिंग करना। इसमें वक्त भी लगता है और धैर्य की परीक्षा भी होती है मगर हमारी टीम ने बहुत ही परफेक्शन और अच्छी टाइमिंग के साथ धीमे-धीमे आगे बढऩे का लक्ष्य जारी रखा व अंतत: लक्ष्य को हासिल कर लिया। अपार हर्ष जताते हुए जगदीश ने कहा कि पिछले 6,7 महीनों से हम इस मिशन में लगे हुए थे।

केलवा के जगदीश ने रचा इतिहास, इंग्लिश चैनल किया फतह पुणे के कोच रोहन मोरे के दिशा निर्देशन में उन के साथ तैराकी की थी। 6:30 बजे रिपोर्टिंग की। उसके बाद कागजी कार्रवाई पूरी हुई और 7:40 पर तैराकी शुरू की। ऑब्जर्वर ट्रेसी क्लार्क और पायलट स्टूअर्ट ने हमें निर्देशित किया कि क्या रूल्स फॉलो करने हैं और किन बातों का खास ध्यान रखना है। तैराकी फ्रांस बीच पर 8 बज कर 6 मिनट पर खत्म हुई और इसके साथ ही हमने एशिया में पहला रिकॉर्ड बना लिया। साथ ही 4 पैरा स्विमर्स का नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया। जगदीश ने बताया कि जैसे सही उन्होंने फ्रांस की धरती पर कदम रखा, वहां के लोगों ने ताली बजाकर और सेल्फी लेकर उनका भव्य स्वागत किया। जगदीश ने अपनी इस सफलता का श्रेय कोच रोहन मोरे, कोच एवं गुरू अंतरराष्ट्रीय तैराकी प्रशिक्षक महेश पालीवाल और उदयपुर जिला खेल अधिकारी ललित सिंह झाला, यूआईटी चेयरमैन रामनिवास मेहता को दिया। तय शेड्यूल के अनुसार 31 मई से 3 जुलाई तक वर्ल्ड पैरा सीरीज के बाद वे इंग्लिश चैनल के लिए डोवर पहुंचे थे। वहां 15 दिन की प्रेक्टिस के बाद उनका 21 जून से 28 जून तक इंग्लिश चैनल का स्लॉट बुक था। जगदीश का 2 जुलाई को भारत लौटने का शेड्यूल है। जगदीश के इस सुनहरे सफर के लिए उनके गांव केलवा, जिले राजसमंद और राजस्थान से फोन कॉल्स और सोशल मीडिया के माध्यम से बधाइयों का तांता लगा है।

केलवा के जगदीश ने रचा इतिहास, इंग्लिश चैनल किया फतह

गौरतलब है कि जगदीश अब तक कई राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदकों की झड़ी लगा चुके हैं।जगदीश ने सबसे पहले 2007 में राजसमंद झील पार को पार कर सबको चौंका दिया था। उसके बाद उसे कई पुरस्कार मिले। 2008 में इलाहाबाद में एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में तृतीय स्थान पाने के बाद उनके हौसलों के मानों पंख लग गए। मुंबई अभ्यास के लिए गए व समंदर में तैराकी की कई स्पधाओं में पदकों की झड़ी लगा दी। कई स्पधाओं में उन्होंने दिव्यांग होते हुए भी साधारण तैराकों को पीछे छोड़ दिया। जगदीश अब तक राष्ट्रीय स्पधाओं में 67 से अधिक मैडल जीत चुके हैं। इनमें से 20 स्वर्ण पदक, 30 रजत और 10 से अधिक कांस्य पदक शामिल हैं। पोरबंदर में 7 व 8 जनवरी को हुई दो किलोमीटर की सी-स्विमिंग में उन्होंने रजत पदक जीता। जगदीश ने 2015 से राजस्थान पैरा स्विमिंग टीम में खेलना शुरू किया तो गर्व से प्रदेश का नाम ऊंचा हो गया। उन्होंने बेलगाम में दो गोल्ड, दो सिल्वर जीते। जयपुर नेशनल में एक स्वर्ण, तीन रजत व 2017 में उदयपुर में हुई राष्ट्रीय स्पर्धा के तीनों इवेंट में स्वर्ण पदक जीते।

सपने के सच होने जैसा

जगदीश के कोच वरिष्ठ तैराकी प्रशिक्षक महेश पालीवाल ने बताया कि यह संघर्ष से सफलता कि किसी कहानी और शिद्दत से देखे गए किसी सपने का सच होने जैसा है। लगातार संघर्ष के दम पर केलवा के जगदीश ने वो कर दिखाया है जो जिसकी मिसाल बरसों तक दी जाएगी, जिससे पूरा खेल जगत प्रेरणा लेकर गद्दग होगा। पालीवाल ने बताया कि उदयपुर आगमन पर जगदीश का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जगदीश खुद हमेशा कुछ सीखने को तत्पर और उत्साहित रहता है तथा उसकी लगातार अच्छा परफॉर्म कर सफलता प्राप्त करने की कभी न खत्म होने वाली इच्छा कमाल की है।

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