गीतांजली हॉस्पिटल के कैंसर सेंटर एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त प्रयासों से मिला हाई-रिस्क रोगियों को जीवनदान

गीतांजली हॉस्पिटल के कैंसर सेंटर एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त प्रयासों से मिला हाई-रिस्क रोगियों को जीवनदान

 
गीतांजली हॉस्पिटल के कैंसर सेंटर एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के संयुक्त प्रयासों से मिला हाई-रिस्क रोगियों को जीवनदान
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के कैंसर सेंटर एवं नेफ्रोलॉजी विभाग में अनवरत रूप से डॉक्टर्स की व्यापक टीम द्वारा कैंसर व किडनी के हाई रिस्क वाले रोगियों का इलाज निरंतर किया जा रहा है, इलाज के दौरान कोरोना से सम्बंधित सभी नियमों का पालन गंभीरता से किया जा रहा है।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के कैंसर सेंटर एवं नेफ्रोलॉजी विभाग में अनवरत रूप से डॉक्टर्स की व्यापक टीम द्वारा कैंसर व किडनी के हाई रिस्क वाले रोगियों का इलाज निरंतर किया जा रहा है, इलाज के दौरान कोरोना से सम्बंधित सभी नियमों का पालन गंभीरता से किया जा रहा है। अभी हाल ही में ऐसे चार कैंसर व किडनी रोग के हाई रिस्क रोगियों का इलाज किया सफलतापूर्वक किया गया, इन हाई-रिस्क इलाज को सफल बनाने वाली टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया, डॉ. अरुण पांडेय, नेफ्रोलॉजी विभाग से नेफ्रोलोजिस्ट डॉ. जी.के. मुखिया, डॉ. सूरज कुमार गुप्ता, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. नवीन पाटीदार, आई.सी.यू इन्चार्ज डॉ. संजय पालीवाल व आई.सी.यू स्टाफ, ओ.टी.स्टाफ इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान रहा। 

डॉ. आशीष ने बताया कि जैसे कि गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर मल्टी- मोडेलिटी व टर्शेरी सेंटर है, इसलिए यहाँ आने वाले हाई-रिस्क रोगियों का भी एक ही छत के नीचे सभी सुविधाओं के चलते निरंतर रूप से इलाज किया जाता है। यहाँ सभी मल्टी- सुपरस्पेशिलिटी विभाग समन्वय के साथ काम करते हैं जिससे कि जटिल से जटिल इलाज को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया जाता है। जैसा कि इन सभी रोगियों में देखने को मिला चूँकि यदि रोगी को कैंसर भी और साथ में किडनी की बीमारी या डायलिसिस भी हो रहा है, अकसर इस तरह के रोगी हॉस्पिटल जाने में डर जाते हैं, ऐसे में गीतांजली हॉस्पिटल में सभी मल्टी-सुपरस्पेशिलिटी व सुपरस्पेशिलिटी विभाग मिलकर रोगियों का इलाज कर रहे हैं, जिससे कि बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं। 

क्या थे मसले:

बाँसवाड़ा निवासी (परिवर्तित नाम) रेशमा जिसे जीभ का कैंसर था व दोनों किडनियां भी फेल थी। उसका हफ्ते में तीन बार डायलिसिस हो रहा था ऐसे में ऑपरेशन करना संभव नही होता, क्यूंकि डायलिसिस के साथ ब्लड थिनर्स भी चलते हैं और ऑपरेशन के दौरान रक्त स्त्राव होने का भय बना रहता है। ऐसे में ऑपरेशन के अगले दिन रोगी का डायलिसिस किया गया जो कि बहुत बड़ी चुनौती थी, अब ये रोगी स्वस्थ है अपने घर हैं रोगी का डायलिसिस भी होता रहा और साथ में ऑपरेशन को भी सफतापूर्वक अंजाम दिया गया। 

डूंगरपुर निवासी सुमन (परिवर्तित नाम) एवं जालोर निवासी अर्चना (परिवर्तित नाम) इन दोनों रोगियों की किडनियों में बहुत सी गांठे थी और साथ दोनों किडनीयाँ सही से काम नही कर रही थी। सुमन की एक किडनी खराब होते हुए भी अन्य किडनी को हटाना था, इसी प्रकार से अन्य रोगी अर्चना को भी ओवेरियन कैंसर था जिसमे कि किडनी के बंद होने का खतरा बना रहता है। सामन्यतया इस तरह के हाई रिस्क केस साधारण हॉस्पिटल वाले नही लेते क्यूंकि इसमें खतरा ज्यादा रहता है, डॉ अरुण  ने कहा कि उनकी टीम ने ये रिस्क लिया क्यूंकि उनके पास नेफ्रोलॉजी यूनिट का पूरा सहयोग था तभी सफलतापूर्वक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। 

नीमच निवासी 55 वर्षीय खेमचंद (परिवर्तित नाम) रोगी ने बताया कि उनके मुंह में छाले हो गए थे व हाथों, पैरों में भी सूजन आई तो नीमच के स्थानीय डॉक्टर ने जाँच की उसमे मुंह में कैंसर व किडनी की बीमारी का पता चला। स्थानीय डॉक्टर द्वारा सभी सुविधाओं से लेस गीतांजली हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी गयी। रोगी हाई- रिस्क के साथ यहाँ भर्ती हुआ एवं 4-5 घंटे तक उसका ऑपरेशन चला जिसमे कि एक बार डायलिसिस भी किया गया। कैंसर विभाग व नेफ्रोलोजी के कुशल डॉक्टर्स ने मिलकर रोगी का सफल इलाज किया गया, रोगी अभी स्वस्थ है एवं हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी दे दी गयी है। 

वहीँ डॉ. मुखिया ने बताया कि बहुत बार किडनी की बीमारी से ग्रसित रोगियों में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है उसी तरह कैंसर रोगियों में भी किडनी की बीमारियाँ पैदा हो सकती हैं, ऐसा इसलिए संभव है क्यूंकि प्रायः किडनी की व कैंसर की समस्या उन लोगों में ज्यादा पायी जाती है जो कि धूम्रपान करते हैं, डाइबिटिक हैं, या जिनकी जीवनशेली अनुकूल नही है। उन्होंने ये भी बताया कि कैंसर के रोगी जिन्हें साथ में किडनी की भी बीमारियाँ रहती हैं, या किडनी के कैंसर की सर्जरी करनी हो, या डायलिसिस चल रहा हो या किडनी ट्रांसप्लांट हो इस तरह के रोगियों के इलाज के लिए नेफ्रो व कैंसर डॉक्टर्स की टीम मिलकर इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन या इलाज को अंजाम देते हैं क्यूंकि इस तरह के रोगी हाई रिस्क पर होते हैं इसलिए इलाज बहुत ही गंभीरता व रोगी की स्थिति के अनुसार किया जाता है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सब सुविधाएं उपलब्ध हैं| गीतांजली मेडिसिटी पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर बहुमुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं। गीतांजली कैंसर सेंटर व नेफ्रोलॉजी विभाग की कुशल टीम के निर्णयानुसार रोगीयों का सर्वोत्तम इलाज निरंतर रूप से किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टा का परिचायक है। 
 

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