पत्रकार श्री ललित गर्ग सम्मानित
अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ की श्री महावीरजी तीर्थ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में उत्कृष्ट नैतिक, आदर्श लेखन एवं जैन पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को शाल एवं प्रतीक चिन्ह प्रदत्त कर सम्मानित किया गया। संघ के अध्यक्ष एडवोकेट शैलेन्द्र कुमार जैन ए
अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ की श्री महावीरजी तीर्थ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में उत्कृष्ट नैतिक, आदर्श लेखन एवं जैन पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को शाल एवं प्रतीक चिन्ह प्रदत्त कर सम्मानित किया गया। संघ के अध्यक्ष एडवोकेट शैलेन्द्र कुमार जैन एवं महामंत्री अखिल बंसल ने गर्ग की चार दशक से राष्ट्रीय स्तर पर लेखन और जैन पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सेवाओं की चर्चा करते हुए कहा कि जैन पत्रकारिता को एक नया आयाम देने में श्री गर्ग की सेवाओं को सदैव स्मरणीय रखा जाएगा।
विदित हो गर्ग ने अणुव्रत पाक्षिक, युवादृष्टि, तेरापंथ टाइम्स, श्री विजयइन्द्र टाइम्स, समृद्ध सुखी परिवार जैसी पत्रिकाओं का लंबे समय तक संपादन कर जैन पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है। वर्तमान में सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी (रजि॰) द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल के कार्यकारी अध्यक्ष है।
अखिल बंसल ने गर्ग की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए कहा कि श्री गर्ग सृजनशील प्रतिभा हैं जिनमें सरलता, सादगी और नैतिक निष्ठा दिखाई देती है। उन्होंने जैन संपादकों और लेखकों को सामाजिक और धार्मिक विचारधारा का वाहक बताया और जैन पत्रकारिता के माध्यम से भगवान महावीर के अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह के सिद्धातों को विश्वव्यापी बनाने की आवश्यकता व्यक्त की। कार्यशाला का उद्घाटन 23 जून को राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जसवीर सिंह ने किया जबकि पंजाब केसरी के कार्यकारी अध्यक्ष स्वदेश भूषण जैन ने दीप प्रज्ज्वलन किया। मुख्य अतिथि गृह मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त निदेशक धीरज जैन थे। इस अवसर पर संघ के मुख पत्र जैन संवाद का विमोचन किया गया। एक अन्य सत्र की अध्यक्षता प्रखर लेखक डाॅ. अरविंद कुमार ने करते हुए जैन पत्रकारिता की प्रासंगिकता पर विचार व्यक्त किए।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में देश के सुदूर क्षेत्र कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल आदि प्रांतों के जैन पत्र पत्रिकाओं के संपादक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। जिन्होंने जैन पत्रकारिता की दिशा एवं दशा पर चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि संघ कुछ ऐसे प्रयत्न करे जिससे भारत की राजनीति में जैनों का प्रतिनिधित्व बढ़े। उन्होंने संघ के संगठन को मजबूत किये जाने और इसकी गतिविधियां राष्ट्रीय स्तर पर संचालित किये जाने को भी जरूरी बताया।
समापन सत्र की अध्यक्षता ललित गर्ग ने की। इस अवसर पर डाॅ. अरविंद कुमार को सम्मानित किया गया। बघेरवाल संदेश पत्रिका का लोकार्पण भी इसी समारोह में किया गया। धीरज जैन ने अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए जैन मंदिरों एवं संस्कृति के इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता व्यक्त की। अखिल भारतीय दिगम्बर अग्रवाल संघ के अध्यक्ष रमेशचंद तिजारिया, दिल्ली के जिनेश कोठिया, मध्यप्रदेश के डाॅ. नरेंद्र भारती, कर्नाटक के शांतिनाथ होतपेटे, राजस्थान के उदयभान जैन, उत्तरप्रदेश के गणतंत्र जैन, डाॅ. राजीव प्रचंडिया, कोलकाता के डाॅ. चिरंजीलाल बगड़ा, जैन संवाद के संपादक डाॅ. अनिलकुमार जैन, जैन प्रचारक के संपादक प्रदीप जैन आदि ने अपने विस्तृत वक्तव्य में जैन समाज के साधुओं में पनप रही शिथिलाचार को चिंता का विषय बताते हुए ऐसी घटनाओं को समाज के लिए अशोभनीय बताया। अध्यक्ष एडवोकेट शैलेन्द्र जैन ने अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ के कार्यक्रमों की विस्तृत चर्चा करते हुए आगामी सात माह का विस्तृत कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर सर्वसम्मति से जैन साधुओं की शिथिलाचार पर एक प्रस्ताव पारित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन महामंत्री अखिल बंसल ने किया। दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने जैन एकता पर बल दिया और संवत्सरी को एक दिन आयोजित करने की आवश्यकता व्यक्त की। साधु संघ एवं जैन परिवारों में पनप रही विसंगतियों एवं विकृतियों को चिंता का विषय बताते हुए जैन समाज में होने वाले आयोजनों एवं उत्सवों में फिजूलखर्ची एवं दिखावे पर अंकुश लगाये जाने को भी जरूरी बताया। जैन समाज में तलाक जैसी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण लगे, भ्रूण हत्या जैसे अमानवीय कृत्य रूके, पशु-पक्षियों की तस्करी, जीवों को मारकर बनायी गयी प्रसाधन सामग्री का बहिष्कार और व्यापार में शुद्धि जैसे विषयों पर भी वक्ताओं ने महत्वपूर्ण विचार रखे। जैन साधुओं में प्रचार की भूख, नेताओं के साथ फोटो खिचवाने के प्रचलन और भव्य आयोजनों को भी जैन आचार-विचार के विरोध बताया।
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