पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र हो लागू - जार

पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र हो लागू - जार

जार की उदयपुर इकाई ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

 
पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र हो लागू - जार
मांग को लेकर जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ राजस्थान (जार) की ओर से प्रदेशभर में चलाए जा रहे अभियान के तहत उदयपुर इकाई की ओर से सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

उदयपुर। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारों पर लगातार हमले की घटनाएं बढ़ रही है, जिससे पत्रकारों व दूसरे मीडियाकर्मियों में भय व खौफ है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को भयमुक्त करने के लिए राजस्थान में पत्रकारों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए राजस्थान में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाना बहुत जरूरी हो गया है। महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो चुका है। राज्य में पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर बढ़ते हमले को देखते हुए यहां भी शीघ्रातिशीघ्र पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाना चाहिए। इस मांग को लेकर जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ राजस्थान (जार) की ओर से प्रदेशभर में चलाए जा रहे अभियान के तहत उदयपुर इकाई की ओर से सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

जार उदयपुर के जिलाध्यक्ष नानालाल आचार्य के नेतृत्व में एडीएम प्रशासन ओपी बुनकर के मार्फत दिए गए इस ज्ञापन में कहा गया कि दो साल के कार्यकाल में राजस्थान सरकार ने पत्रकार हितों के लिए महत्वपूर्ण फैसले किए हैं, जिसमें वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मान राशि फिर से शुरू की और सम्मान राशि को बढ़ाकर दस हजार रुपये किए हैं। गैर अधिस्वीकृत पत्रकारों को मेडिकल सुविधा प्रदान की, साथ ही पत्रकार आवास योजना को मूर्तरुप देने के दिशा-निर्देश दिए हैं। डिजिटल मीडिया को मान्यता देने के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। इसी तरह पत्रकारों को पत्रकार सुरक्षा कानून भी जल्द ही बनाए जाने की उम्मीद है।

जिलाध्यक्ष आचार्य ने कहा कि पिछले दिनों जयपुर के युवा पत्रकार अभिषेक सोनी की जानलेवा हमले में मौत हो गई। उसका कसूर इतना था कि एक युवती को बदमाशों से बचाने की कोशिश की तो उस पर बदमाशों ने जानलेवा हमला करके लहुलूहान कर दिया। उदयपुर में हाल ही मीडियाकर्मी शकील को अपराध की खबर चलाने पर असामाजिक तत्वों ने धमकी दी, इससे पहले मीडियाकर्मी शंकर सरगरा के साथ एक चिकित्साकर्मी ने अभद्र व्यवहार किया। ये सभी घटनाएं एक साल के भीतर घटी हैं। 

पूर्व में भी ऐसी बहुत सी घटनाएं हो चुकी हैं। इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही है, जिससे पत्रकारों व दूसरे मीडियाकर्मियों में भय व खौफ है। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को भयमुक्त करने के लिए राजस्थान में पत्रकारों की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है।

जार उदयपुर जिला महासचिव भरत मिश्रा ने बताया कि ज्ञापन में जार की की ओर से सुझाव भी दिए गए जिनमें पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर जानलेवा हमले, जान से मारने की धमकियों को गैर जमानती अपराध बनाने, उक्त अपराधों में सात साल से आजीवन कारावास तक के कठोर कारावास से दंडित करने और दो लाख से पांच लाख रुपये के जुर्माने के प्रावधान, जानलेवा हमले में पत्रकार की मृत्यु होने पर दोषियों पर मृत्युदंड की सजा और दस लाख रुपये के जुर्माने तक के प्रावधान, आश्रित पत्नी, बेटे-बेटी को सरकारी नौकरी दिए जाने के प्रावधान आदि सुझाव शामिल हैं। 

मीडिया कवरेज के दौरान कवरेज से रोकने, अपशब्द कहने, जान से मारने की धमकी देने, हमले करने के कृत्य को राजकार्य में बाधा डालने जैसे गैर जमानती प्रावधान रखे जाने की मांग की गई है। साथ ही, हमले में किसी पत्रकार, फोटोजर्नलिस्ट्स, कैमरामैन व अन्य मीडियाकर्मी पर चोट पहुंचने पर इलाज की समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार वहन करे और उक्त खर्चे की वसूली दोषियों से करने की मांग की गई।

मिश्रा ने बताया कि ज्ञापन देने वालों में वरिष्ठ पत्रकार सैयद हबीब, जार प्रदेश सचिव कौशल मूंदड़ा, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजेश वर्मा, जार उदयपुर के कोषाध्यक्ष गोपाल लोहार, सह कोषाध्यक्ष जयवंत भैरविया, उपाध्यक्ष सुनील पंडित, ग्रामीण क्षेत्र प्रभारी हेमंत सिंह चदाणा, सचिव दिनेश भट्ट, महिला संगठन सचिव प्रिया दुबे, मीडिया प्रभारी हरीश नवलखा, सह प्रभारी लक्षित लोहार, कार्यकारिणी सदस्य सुरेश लखन, दिनेश हाड़ा आदि शामिल थे। 

पत्रकार सुरक्षा की मांग को लेकर शहर के कई वरिष्ठ व युवा पत्रकारों ने ज्ञापन पर अपने हस्ताक्षर कर इस मांग पर सहमति जताई और सरकार से इस सम्बंध में जल्द से जल्द  कानून लागू करने की मांग की।  

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