झील संवाद व श्रमदान : पहाड़ियों को बनाये संरक्षित क्षेत्र
पहाड़ियों की खुदाई कटाई पर फिर से रोष व्यक्त करते हुए झील प्रेमियों ने पहाड़ियों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की है। रविवार को आयोजित संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि नगर निगम, नगर विकास प्रन्यास, वन विभाग, पंचायत एवं समस्त सरकारी निकायों, विभागों को स्वयं पहाड़ियों पर किसी भी प्रकार का ऐसा कार्य नही करना चाहिए जिसमे पहाड़ की कटाई होती हो। तथा किसी निजी व्यक्ति व संस्थान को भी इसकी अनुमति नही देनी चाहिए। पहाड़ों को काटना अपराध घोषित होना चाहिए।
पहाड़ियों की खुदाई कटाई पर फिर से रोष व्यक्त करते हुए झील प्रेमियों ने पहाड़ियों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की है। रविवार को आयोजित संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि नगर निगम, नगर विकास प्रन्यास, वन विभाग, पंचायत एवं समस्त सरकारी निकायों, विभागों को स्वयं पहाड़ियों पर किसी भी प्रकार का ऐसा कार्य नही करना चाहिए जिसमे पहाड़ की कटाई होती हो। तथा किसी निजी व्यक्ति व संस्थान को भी इसकी अनुमति नही देनी चाहिए। पहाड़ों को काटना अपराध घोषित होना चाहिए।
झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पहाड़ियाँ एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक विरासत है। इन्हें कृत्रिम रूप से पुनः नही बनाया जा सकता। इनके कटने से सम्पूर्ण प्राकृतिक जल प्रवाह व्यवस्था नष्ट हो जाती है।
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि पहाड़ियों की ऊंचाई, इनकी वनस्पति, पेड़, जीव सब मिलकर इंसान के लिए स्वस्थ जीवन का आधार बनाते हैं। द्रुपद सिंह, इस्माइल अली दुर्गा, दिगम्बर सिंह, मोहन सिंह चौहान ने आमजन सहित धनाढ्य नागरिकों, भू व्यवसाइयों से आग्रह किया कि वे पहाडों को काट आने वाली पीढ़ियों के जीवन के साथ खिलवाड़ नही करे।
रमेश चंद्र राजपूत, रामलाल गहलोत, कुशल रावल, सुमित विजय ने कहा कि पहाड़ों पर केवल वृक्षारोपण व पर्यावरण समृद्धि के ही कार्यक्रम हो। संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने फतेहसागर अलकापुरी छोर पर स्वच्छता श्रमदान किया व कचरे व गंदगी को हटाया।
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