NCC शिविर में राजस्थान लोकगीतों और लोक नृत्यों से सजी वर्ष की आखिरी सांझ
वर्ष 2018 की आखिरी शाम 31 दिसम्बर को "एक भारत श्रेष्ठ भारत" NCC शिविर के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आये कैडेट्स के मध्य राष्ट्रीय एकता एवं जागरूकता अभिव्यक्ति के तहत कैडेट्स के बीच राजस्थानी संस्कृति से ओतप्रोत लोक गायन और लोक नृत्यों की प्रस्तुति पर कैडेट्स खूब झूमे।
वर्ष 2018 की आखिरी शाम 31 दिसम्बर को “एक भारत श्रेष्ठ भारत” NCC शिविर के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आये कैडेट्स के मध्य राष्ट्रीय एकता एवं जागरूकता अभिव्यक्ति के तहत कैडेट्स के बीच राजस्थानी संस्कृति से ओतप्रोत लोक गायन और लोक नृत्यों की प्रस्तुति पर कैडेट्स खूब झूमे।
सांस्कृतिक संध्या के इस कार्यक्रम की शुरुआत जोधपुर से आये लंगा कलाकारों ने मेरे रश्के कमर…., केसरिया बालमा …. और छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाई के…… जैसे लोकप्रिय गीतों ने कैडेट्स छात्रों को खूब लुभाया। जहाँ बारां जिले के सहरिया आदिवासी समुदाय द्वारा होली के अवसर पर किया जाने वाला ‘सहरिया स्वांग‘ नृत्य के कलाकारों द्वारा नृत्य के दौरान किये जाने वाली भाव भंगिमा और रंग बिरंगे चेहरों और जोश ने कैडेट्स में नई ऊर्जा में भर दी वहीँ चकरी नृत्यांगनाओं ने छात्रों को हूटिंग करने पर मजबूर कर दिया।
चूरू जिले के कलाकारों ने डफ और चंग की धाप पर मधुर प्रस्तुति दी। आखिर में राजस्थान में शादी और अन्य शुभ प्रसंगो पर किया जाने चरवी नृत्य प्रस्तुत किया गया जिनमे नृत्यांगनाओं ने सर पर चरु (कलश) में आग रखकर जबरदस्त नृत्य प्रस्तुत किया।
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कार्यक्रम के अंत में सभी कैडेट्स ने नूतन वर्ष के अभिनन्दन के अवसर पर झूम झूम कर मस्ती की।
इससे पूर्व देश के विभिन्न NCC निदेशालयों से आयें कैडेट्स ने अपनी अपनी प्रस्तुतियाँ दी। राजस्थान निदेशालय के कैडेट्स को ग्रुप-वाइस पांच ग्रुप में बांटा गया तथा छठा ग्रुप उड़ीसा निदेशालय का था। इन ग्रुप्स का नामकरण मेवाड़ कंपनी, मारवाड़ कंपनी, ढूंढाड़ कंपनी, हाड़ौती कंपनी, गोडवाड़ कंपनी तथा शेखावाटी कंपनी से किया गया।
इन कंपनी में NIAP,समूह नृत्य व समूह गान में प्रतियोगिता करवाई गई। राजस्थान की कंपनियो ने राजस्थान की कला, संस्कृति, उद्योग धंधे तथा यहाँ की राजनीति, यहाँ का गौरवशाली इतिहास,यहाँ के खेल प्रेमी, कृषि,खानपान, नृत्य आदि की प्रस्तुतियाँ दी, कैडेट्स ने यहाँ के इतिहास को लघुनाटिका के रूप में प्रस्तुत कर खूब तालियाँ बटोरी, एक्ट महाराणा प्रताप का शौर्य, पन्नाधाय का बलिदान, मीरा की भक्ति, अमृता देवी का पर्यावरण के प्रति लगाव, हाड़ी रानी की महिला शक्ति, पद्मिनी का जौहर तथा भामाशाह का दान नाटिकाओं ने देश से आये विभिन्न कैडेट्स को बहुत प्रभावित किया।
उड़ीसा के कैडेटस ने कोणार्क के मंदिर, कलिंग का युद्ध, जगन्नाथ की यात्रा का दृश्य और उनके कला तथा संस्कृति द्वारा कैडेट्स को बहुत प्रभावित किया। राजस्थान के प्रमुख नृत्यों में घूमर, लड़ली लूमा-झूमा, कंगसियो, धापूड़ी नामक समूह नृत्यों ने केडेट्स का मन मोह लिया। वही उड़ीसा के कैडेट्स ने शिव भक्ति तथा तांडव नृत्य द्वारा केडेट्स को मोहित किया। समूह गान में रुणेचे रा धनियां, लेहरियों, चम-चमके चुंदड़ी के गानों द्वारा प्रतुतियाँ दी।
जनसम्पर्क अधिकारी पी एस राव ने बताया की उड़ीसा की टीम फाइनल में, टग ऑफ़ वॉर में उदयपुर की टीम तथा खो-खो में शेखावाटी की टीम पहुची।
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